बुजुर्गों की शादी के किस्से आपने भी सुने होंगे। कहीं बुजुर्गों की जोड़ी बनते देखी है? यदि नहीं तो आएं सूरत। यहां पर 'अनुबंध फाउंडेशन' बुढ़ापे में अकेलेपन के साथ जीवन जी रहे लोगों को जीवनसाथी खोजने का मंच प्रदान करता है।
जिसके जरिए देश भर से आवेदन मिलते हैं। इस बार सम्मेलन में यहां 70 वृद्धाओं और 200 बुजुर्गों को आमंत्रित किया, जिनमें से 10 जोड़ों की बात भी बन गई। जानकारी के मुताबिक, इस बार देशभर से कुल 800 आवेदन मिले थे।
जो बुजुर्ग चाहते हैं कि उनका जीवनसाथी हो, वे यहां आ सकते हैं। सबको अपनी पसंद चुनने और जोड़ी बनाने का मौका यहां दिया जाता है। बीते सोमवार को भी यहां जीवनसाथी मेले का आयोजन किया गया, जिसके लिए देशभर के वरिष्ठ-जन गुजरात के सूरत पहुंचे। 'अनुबंध फाउंडेशन' के पदाधिकारी ने कहा कि, आखिरी समय में अपने साथियों से दूर हुए लोगों की बची हुई जिंदगी भी एक हमसफर के साथ गुजरे इसके लिए हम ये आयोजन कराते हैं।
बाकायदा संस्था से संपर्क किया जाता है
अनुबंध फाउंडेशन अब तक लगभग 200 ऐसे लोगों की जोड़ी बनवा चुका है, जो बुढ़ापे में जीवनसाथी की तलाश कर रहे थे। पदाधिकारी ने कहा कि, बुढ़ापे में अकेलापन बहुत से बुजुर्ग की परेशानी है और हमारी संस्था इस समस्या से निजात दिलाने की दिशा में काम कर रही है। जो बुजुर्ग हिस्सा लेना चाहते हैं उनके द्वारा पहले बाकायदा संस्था से संपर्क किया जाता है। तब कुछ जरूरी स्टेप्स के साथ उनकी जोड़ी बंधन में बंधती है।
जीवनसाथी मेले में इस बार एक ऐसी वृद्धा भी पहुंची, जिसकी दोनों किडनी खराब हो चुकी हैं और वो आंखें बंद होने से पहले अपने पति के लिए महिला की तलाश कर रही थी। उसने कहा कि, मेरे पति को दिखना बंद होने से पहले उसके जैसी सोच रखने वाली वृद्धा मिल जाए तो ये आखिरी इच्छा पूरी हो जाएगी। उसने कहा कि, जीवनसाथी मेरे पति को मिले यही मेरी अंतिम इच्छा है।
एक बुजुर्ग युगल अकेलेपन से ऊब कर विवाह बंधन में बंध गया। अहमदाबाद में रहने वाले 70 वर्षीय पुरुष और 56 वर्षीय महिला वैसे तो पहले से ही शादीशुदा थे। महिला तलाकशुदा थी जबकि पुरुष की पत्नी का बीमारीवश चार वर्ष पूर्व निधन हो गया था। कहने को हाल में दोनों के भरा पूरा परिवार बताया गया है।
अहमदाबाद शहर के अलग अलग क्षेत्रों में रहने वाले 70 वर्षीय संतोषभाई (नाम परिवर्तित) के दो पुत्र हैं। एक की आयु 30 वर्ष के करीब है दो दूसरे की 25 वर्ष से अधिक है। संतोष की पत्नी का निधन होने के बाद वे अकेले रह गए। इस उम्र में भी वे कामकर अपनी गुजर कर रहे हैं। वे फिलहाल किराए के मकान में रहते हैं। दूसरी ओर अहमदाबाद में ही रहने वाली सावत्रीबेन (नाम परिवर्तित) के भी दो पुत्र और एक पुत्री है। लेकिन पति से किसी बात पर अनबन होने के कारण वे अलग रह रही थीं। किसी अस्पताल में सफाई कर अपना गुजारा करने वाली सावित्री भी किराए के मकान में अकेले ही रहती थीं।
सीनियर सिटीजन महिला-पुरुषों के विवाह कराने वाले अनुबंध फाउंडेशन के चेयरमैन नट्टूभाई पटेल ने बताया कि भरा पूरा परिवार होने के बावजूद ये दोनों ही अकेलापन महसूस कर रहे थे। जिससे ऊब कर पिछले दिनों उन्होंने फाउंडेशन का संपर्क किया। उसके बाद नट्टूभाई ने दोनों का परिचय कराया। सात दिन पूर्व एक दूसरे के परिचय में आए संतोष और सावत्रीबेन हाल ही में विवाह बंधन में बंध गए। अब दोनों एक साथ रहने लगे हैं।
इस युगल का कहना है कि उम्र के इस पड़ाव में जीवन साथी की जरूरत होती है, जिससे उन्होंने यह कदम उठा लिया। अनुबंध फाउंडेशन के कार्यालय में की गई इस शादी में नटूभाई पटेल एवं उनकी पत्नी ने कन्यादान भी किया है।