क्या शिवसेना के बाद एनसीपी बिखरने जा रही है? महाराष्ट्र की राजनीति में फिलहाल जो चर्चाएं और घटनाक्रम हैं, उससे यही कयास लग रहे हैं। एनसीपी के सीनियर नेता अजित पवार को लेकर कहा जा रहा है कि वह अपने चाचा और पार्टी मुखिया शरद पवार से बगावत करके भाजपा के साथ जा सकते हैं। शरद पवार ने ऐसे सवालों पर सीधे तौर पर तो कुछ नहीं कहा लेकिन भाजपा के साथ जाने को आत्महत्या करने जैसा बताया है। कहा जा रहा है कि शरद पवार डैमेज कंट्रोल में जुटे हैं और पार्टी के नेताओं को साध रहे हैं। लेकिन उनकी कवायद बेकार होती दिख रही है।
सूत्रों के हवाले से खबर है कि 30 से 34 विधायक अजित पवार के समर्थन में हैं। इन लोगों की ओर से अजित पवार को भाजपा के साथ जाने के लिए हरी झंडी दी गई है। इन नेताओं में प्रफुल्ल पटेल भी शामिल हैं, वहीं प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने इसका विरोध किया है। इससे पहले सोमवार को एनसीपी विधायक अन्ना बंसोडे और माणिकराव कोकाटे ने कह दिया था कि वह अजित पवार के साथ रहेंगे, भले ही वह किसी के भी साथ जाने का फैसला लें। साफ है कि शरद पवार भले ही पार्टी को साधने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अब एनसीपी उनके हाथ से फिसलती दिख रही है।
एनसीपी के टूटने को लेकर कयास शरद पवार की बेटी और सांसद सुप्रिया सुले के एक बयान से भी तेज हुई है। सुप्रिया सुले का कहना है कि अगले 15 दिनों में दिल्ली और महाराष्ट्र की राजनीति में दो बड़े विस्फोट होंगे। एक मराठी चैनल से बातचीत में पुणे के पिंपरी चिंचवाड़ एनसीपी विधायक अन्ना बंसोडे ने कहा, 'मैंने नवंबर 2019 में भी अजित पवार का खुलकर समर्थन किया था, जब उन्होंने देवेंद्र फडणवीस के साथ शपथ ली थी। मैं भविष्य में भी उनके साथ हूं, भले ही वे किसी के भी साथ चले जाएं।'
छगन भुजबल जैसे सीनियर नेता ने भी भाजपा के साथ जाने का समर्थन किया है। खबरें हैं कि अजित पवार गुट फिलहाल शरद पवार को मनाने में जुटा है, लेकिन अब तक वह राजी नहीं हुए हैं। ऐसे में यदि सीनियर पवार राजी नहीं हुए तो अजित पवार खेला कर सकते हैं। अजित पवार की एनसीपी के संगठन में बड़ी पकड़ मानी जाती है। एनसीपी के एक अन्य विधायक ने कहा कि अजित पवार के अलावा कोई भी सरकार को अच्छे से नहीं चला सकता। यदि अजित पवार भाजपा के साथ जाते हैं तो बहुत से विधायक साथ होंगे।
महाराष्ट्र में चल रहे सियासी घमासान के बीच अब उद्धव गुट वाली शिवसेना के नेता संजय राउत की प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने कहा कि अजीत पवार कहीं नहीं जा रहे हैं और बीजेपी इस तरह की खबरें फैला रही है जिनमें सच्चाई नहीं है। अजीत पवार के एनडीए गठबंधन में शामिल होने की खबरों पर राउत ने कहा कि एनसीपी के 20-25 विधायको के जाने से पार्टी नहीं टूटती है। उन्होंने केंद्र सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि ईडी या सीबीआई के जरिए एनसीपी नेताओं पर भी दवाब बनाया जा रहा है।
वहीं एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने भी अजीत पवार के बारे में आ रही खबरों पर बयान दिया है। उन्होंने कहा,'ये बातें मीडिया की देन हैं, हमारे दिमाग में नहीं हैं। मैं मुंबई जा रहा हूं। हम पार्टी को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। कोई और विचार नहीं है। सभी नेताओं की तरह अजीत पवार भी चुनाव में व्यस्त हैं, और कुछ नहीं। शरद पवार ने कहा, 'कुछ लोग सिर्फ खबर बना रहे हैं, इसके अलावा इन बातों का कोई अर्थ नहीं हैं। जो चर्चा आपके मन में वो हम में से किसी के मन में नही है , इसलिए इसका कोई महत्व नहीं है। मैं एनसीपी के बारे में कह सकता हूं कि इस पार्टी में काम करने वाले सभी नेता एक विचार से पार्टी को कैसे मजबूत किया जाए इसके लिए काम कर रहे हैं। ऐसा सुनने में आया कि विधायकों की बैठक है, यह बात बिलकुल झूठी है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल अपने चुनाव क्षेत्र में काम कर रहे हैं। अजीत पवार भी काम में व्यस्त हैं। मैं यहां हूं, इसके अलावा बैठक बुलाने का किसी को अधिकार ही नहीं है।
अजीत पवार का जिक्र करते हुए संजय राउत ने कहा, 'अजीत पवार और शरद पवार में काफी अच्छे संबंध है। नागपुर से लेकर अभी तक वो हमारे संपर्क में हैं। अजीत पवार पर इस तरह से आपको बार-बार सवाल नही उठाना चाहिए। वो हमारे विपक्ष के नेता हैं और महाविकास अघाड़ी पूरी मजबूती के साथ खड़ी है। सबसे ज्यादा राज्य के सीएम भ्रम फैला रहे हैं।
इससे पहले सुप्रिया सुले ने दावा किया था कि अगले 15 दिन मे दो राजनीतिक विस्फोट होने वाले हैं। सुप्रिया ने कहा था कि एक विस्फोट दिल्ली में होगा तो दूसरा विस्फोट महाराष्ट्र में होगा। सुप्रिया का यह बयान ऐसे समय में आया, जब नेता प्रतिपक्ष अजीत पवार के बीजेपी में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही हैं।
सूत्रों के मुताबिक, अजीत पवार ने अभी तक शिंदे की राह पर (पार्टी तोड़ने) चलने की हिम्मत नहीं जुटाई है । अजीत गुट के और भी कई नेता चाहते हैं कि किसी तरह शरद पवार को मना लिया जाए। शरद पवार के आशीर्वाद के बिना वे जाना नहीं चाहते हैं। अजीत पवार को डर है कि अगर शरद पवार ने समर्थन नहीं किया तो उन्हें 2019 की तरह शर्मिंदगी का सामना करना पड़ सकता है। बीजेपी इस बार अजीत के वादे को पूरा करने के लिए आश्वस्त होना चाहती है। अजीत पवार ने विधायकों को यह पूछने के लिए फोन करना शुरू कर दिया है कि उनके मन में क्या है और क्या वे भाजपा-शिवसेना के साथ गठबंधन करने के लिए उनके साथ आने को तैयार हैं।