मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल और विदिशा के बीच रायसेन जिले के सलामतपुर की पहाड़ी पर लगा है देश का सबसे वीवीआईपी पेड़. इस पेड़ की सुरक्षा में 4 सुरक्षाकर्मी स्थाई रूप से 24*7 सुरक्षा करते है. 21 सितंबर 2012 को श्रीलंका के तत्कालीन राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने यहां प्रस्तावित बौध्द विश्वविद्यालय के भूमि पूजन समारोह में यह वोधि वृक्ष लगाया था. इसका पत्ता भी टूटकर गिरता है तो इसकी रिपोर्ट भोपाल में उच्च स्तर तक जाती है.
खास बात यह भी है कि इस पेड़ का किसी वीआईपी इंसान की तरह मेडिकल चेकअप भी किया जाता है. सामान्य तौर पर लोग इसे पीपल का पेड़ मानते हैं, लेकिन इसकी कड़ी सुरक्षा को देख उनके दिमाग में यह प्रश्र जरूर उठता है कि इस पेड़ की इतना खास क्यों हैं. 15 फीट ऊंची जालियों से घिरा और आस-पास खड़े पुलिस के जवानों को देख यह पेड़ किसी वीवीआईपी की तरह ही लगता है. यह पेड़ इसलिए भी खास है क्योंकि यह बोधी वृक्ष है. इसे श्रीलंका के राष्ट्रपति ने यहां आकर रौपा था.
सिंचाई के लिए यहां सांची नगरपालिका ने अलग से पानी के टैंकर का इंतजाम किया है. पेड़ को बीमारी से बचाने के लिए कृषि विभाग के अधिकारी हर हफ्ते दौरा करते हैं. यह सब होता है जिला कलेक्टर की निगरानी में. इलाके के एसडीएम वरुण अवस्थी ने कहा सुरक्षा के लिए 1-4 गार्ड लगाए हैं. पानी की कमी न हो इसका ध्यान रखा जाता है. पूरी पहाड़ी को बौद्ध विश्वविद्यालय के लिए आवंटित किया गया है. पूरा क्षेत्र बौद्धिस्ट सर्किट के तौर पर विकसित किया जा रहा है.
बताया जाता है कि बौद्ध धर्मगुरु मानते हैं कि भगवान बुध्द ने बोधगया में इसी पेड़ के नीचे ही ज्ञान प्राप्त किया था. वहीं भारत से सम्राट अशोक भी इसी पेड़ की शाखा को श्रीलंका लेकर गए थे. इस पेड़ के स्वास्थ्य का भी ध्यान किसी इंसान की तरह ही रखा जाता है.
बकायदा 15 दिनों में एक बार सरकार जांच करवाती है. जरूरी खाद और पानी की व्यवस्था भी की जाती है. सरकार की भी कोशिश रहती है कि पेड़ का एक पत्ता भी टूटने नहीं पाए. इसलिए 24 घंटे सुरक्षा की जाती है.
इस पेड़ को चारों तरफ फैंसिंग से सुरक्षित रखा गया है. यदि एक पत्ता भी टूटता है तो इसकी रिपोर्ट भोपाल में सरकार में उच्च स्तर पर ली जाती है. इसका एक पत्ता भी सूख जाता है तो प्रशासन में हलचल मच जाती है. सरकार ने इसके लिए खास व्यवस्था भी कर रखी है. इसकी देखरेख उद्यानिकी विभाग, राजस्व, पुलिस और सांची नगरपरिषद मिलकर करते हैं. ये सभी विभाग इस बोधि वृक्ष का ध्यान रखने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं.
इस पेड़ के रखरखाव के बारे में जब आप सुनेंगे तो हैरान रह जाएंगे. दरअसल इस पेड़ के में हर साल लगभग 12-15 लाख रुपये खर्च होते हैं. जिस विश्वविद्यालय के नाम पर बोधि वृक्ष को रोपा गया, पांच साल बाद उसकी बाउंड्री को भी भारी नुकसान पहुंचा है. यूनिवर्सिटी को लगभग 20 लाख का किराया देकर चलाया जा रहा है.