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भारत की तीसरी कोरोना वैक्सीन-ज़ाइकोव- डी

[Edited By: Vijay]

Friday, 2nd July , 2021 12:16 pm

कोरोना वायरस  के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने के लिए देश को तीसरी वैक्‍सीन मिलने वाली है. ज़ाइडस कैडिला कंपनी ने वैक्सीन इमरजेंसी इस्‍तेमाल के लिए डीसीजीआई से अनुमति मांगी. खास बात यह है कि जायडस कैडिला कंपनी द्वारा बनाई गई जायकोव डी वैक्‍सीन 12 से 18 साल के आयु वर्ग के बच्‍चों के लिए है और मौजूदा वैक्‍सीन 18 साल से ज्‍यादा उम्र वालों के लिए ही थीं.

ज़ाइकोव- डी वैक्‍सीन  का ट्रायल 28 हजार लोगों पर किया गया, जिसमें 1 हजार से ज्‍यादा बच्‍चे  शामिल हैं. जो कि देश में कोविड वैक्‍सीन का अब तक का सबसे बड़ा ट्रायल है. इस वैक्‍सीन की सबसे खास बात है कि ये बिना इंजेक्‍शन वाली वैक्‍सीन  है.

यह दुनिया की पहली डीएनए वैक्‍सीन है, यह कोविड-19 वायरस के डीएनए या आरएनए के एक हिस्‍से का इस्‍तेमाल करके शरीर में इम्‍यून रेस्‍पॉन्‍स तैयार करती है.

यह वैक्‍सीन बिना सुई के लगेगी. इसे लगाने के लिए बिना सुई वाला फार्मा जेट उपयोग होगा. वैक्‍सीन भरकर इस फार्मा जेट मशीन को बांह पर लगाएंगे और फिर मशीन का बटन दबाते ही वैक्‍सीन शरीर में पहुंच जाएगी.

इस वैक्‍सीन के 3 डोज लेने होंगे जबकि कंपनी ने कहा है कि 2 डोज से भी उतना ही असर नज़र आया, लिहाजा आने वाले समय में इसे 2 डोज तक सीमित कर सकते हैं. वैक्‍सीन के डोज 4-4 सप्‍ताह के अंतराल से लगेंगे. ट्रायल के दौरान पाया गया कि तीसरे डोज के बाद यह कोविड बीमारी के मध्‍यम स्‍तर के संक्रमण से 100 फीसदी रक्षा करती है.  इस वैक्‍सीन के ट्रायल दूसरे लहर के दौरान हुए, ऐसे में इसके डेल्‍टा जैसे नए वेरिएंट के खिलाफ भी प्रभावी होने की उम्‍मीद है.

 अब तक के परीक्षण के आंकड़ों के अनुसार, वैक्सीन न पाने वालों की तुलना में जिन्हें वैक्सीन लगी है ऐसे लोगों में कोविड -19 के रोगसूचक मामलों को कम करने में सक्षम है, जिन्हें लगभग 67 प्रतिशत की खुराक मिली.

जाइडस कैडिला के प्रबंध निदेशक डॉ शरविल पटेल ने कहा कि यह 79 से 90 आरटी-पीसीआर पर आधारित है. परीक्षण के आंकड़ों के अनुसार, टीके की दो खुराक लोगों को कोविड -19 के गंभीर लक्षणों को विकसित करने और मृत्यु को रोकने के लिए पर्याप्त लगती हैं, जबकि तीन खुराक भी मध्यम लक्षणों को दूर रखती है.

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