उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022, प्रदेश की जनता इस बार जमीनी स्तर के मुद्दों को ध्यान में रखते हुए अपना मत देगी। ऐसे में पार्टियाँ भी अपने मैनिफेस्टो में भी इस चीज़ का ध्यान रखा है, अगर बात करे कांग्रेस की तो किसानों और महिलाओं को मजबूत करने के सिलसिले में वादे किये है। समाजवादी पार्टी की तस्वीर अभी क्लियर नहीं है कि, किस ओर उनको जाना है और किस दिशा में काम करना है। बसपा की बात करे तो बसपा सोशल मीडिया पर छाई है मगर उत्तर प्रदेश की जनता जो दिखता है वही बिकता है की मानसिकता पर अमल करती है, ऐसे में उनको सोशल मीडिया कहाँ तक लेकर जाती है यह देखने वाली बात होगी। इनके अलावा भाजपा जो की सत्ता में है वो हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के मुद्दों को आगे रख कर चुनाव लड़ रही है।
कांग्रेस पार्टी, देश की सबसे पुरानी पार्टी है और इतिहास में इसकी पहचान काफी मजबूत रही है मगर मौजूदा स्थिति में इनकी हालत किसी नई पार्टी से भी कमजोर नज़र आ रही है। फ़िलहाल प्रदेश में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी की मेहनत रंग लाती नज़र आ रही है, प्रियंका गाँधी की अच्छी छवि प्रदेश में उभर के सामने आई है, जनता के बीच उनकी उपस्थिति दर्ज हुई है। इसके पीछे का मुख्या कारण है कि प्रियंका ने प्रदेश भर में आउट ऑफ़ दी बॉक्स जा कर दौरे किए, जनता के बीच पहुंच कर उनकी समस्याओं को समझा और उन्ही को अपना चुनावी मुद्दा बनाया जैसे की स्मार्ट फ़ोन छात्रों को देने का वादा, महिलाओं को 40 प्रतिशत पार्टी में टिकट देने का एलान, किसानो का क़र्ज़ माफ़ जैसे कई बड़े एलान किए है। इनमे कितना दम है यह तो समय ही बताएगा।
सपा यानि समाजवादी पार्टी, अखिलेश ने पूरी कमान संभाली हुई है। उनके नेतृत्व में कई अन्य छोटे दलों से गठबंधन भी किये जा रहे है। पूर्वांचल में पकड़ मजबूत करने के लिए राम अचल राजभर, लाल जी वर्मा और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के ओमप्रकश राजभर जैसे नेताओं को साथ लेकर पार्टी खुद को मजबूत करने में लगी हुई है। इतना ही नहीं चाचा शिवपाल भी भतीजे अखिलेश के साथ आकर चुनाव लड़ सकते है हाँलांकि अभी ऐसा कोई एलान नहीं हुआ है।
बात करते है बसपा की, ब्राह्मणों को साधने में लगी बहुजन समाज पार्टी ने फ़िलहाल अभी तक कोई बड़ा सियासी धमाका नहीं किया है। जिससे विपक्ष ज्यादा चिंतित है क्योंकि बसपा प्रदेश में बड़ा उलट-फेर करने का दम रखती है ऐसे में जमीनी स्तर पर उसकी खामोशी दूसरे चुनावी दलों को परेशान कर रही है। फ़िलहाल तो बसपा ट्विटर पर चुनाव लड़ रही है, इस से पहले बसपा सोशल मीडिया से दूर रहना पसंद करती थी लेकिन इस बार सोशल मीडिया और मीडिया का सहारा लेती नज़र आ रही है।
उत्तर प्रदेश की मौजूदा सरकार यानि भारतीय जनता पार्टी की योगी सरकार अपने दबदबे को प्रदेश में बनाए रखना चाहेगी, इसी कड़ी में भाजपा विकास को साथ लेकर जातीय समीकरण में अपनी पकड़ मजबूत करने में लगी हुई है। पार्टी प्रदेश में पिछड़ा वर्ग सम्मेलन के जरिए अपने चुनावी समीकरण को मजबूत करने में लगी हुई है। इसके साथ साथ राष्ट्रवाद को अपना एक अहम पक्ष रखते हुए जनता के सामने खुद को प्रस्तुत कर रही है। कश्मीर में अनुछेद 370 को निरस्त करने का असर उत्तर प्रदेश तक देखने को मिल रहा है। इसके अलावा अयोध्या राम मंदिर, कशी का मुद्दा यह सब भाजपा के पक्ष में जाते नज़र आ रहे है। हाल ही में पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों में गिरावट से इस मुद्दें से घिर रही भाजपा अब पलटवार करती नजर आ रही है।
आम आदमी पार्टी मैदान में जरूर है, मगर प्रदेश में जमीनी स्तर पर गायब सी लग रही है। प्रदेश के कानपुर जिले में आम आदमी पार्टी के हालात ऐसे है कि लोगो जिले स्तर पर पार्टी के एक भी नेता का नाम तक नहीं जानते है। हांलाकि पार्टी ने वादे जरूर बड़े बड़े किए है कृषि उपयोग के लिए मुफ्त बिजली और पुराना बकाया सारा बिजली बिल माफ़, इसके अलावा घरेलू उपयोग के लिए 300 यूनिट फ्री बिजली। चुनाव की रफ़्तार समय के साथ तेज़ होती नज़र आ रही है। आगे के लिए सारी जानकारियों पर अपनी नज़र बनाए रखने के जुड़े रहे न्यूज़ प्लस के साथ।