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ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन के सरकार में विलय की मांग को लेकर हड़ताल हुई अवैध करार, 50 हज़ार कर्मचारियों की जाएगी नौकरी

[Edited By: Admin]

Wednesday, 9th October , 2019 12:20 pm

टीएसआरटीसी (तेलंगाना स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन) के संघों की अनिश्चितकालीन हड़ताल को सरकार ने अवैध करार दिया है। मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने कहा कि प्रदर्शन करने वाले 50 हजार कर्मचारियों को वापस उनके काम पर नहीं लिया जाएगा.

सार्वजनिक सड़क परिवहन संगठन के कर्मचारी अपने कॉरपोरेशन के सरकार के साथ विलय की मांग को लेकर शुक्रवार देर रात से ही हड़ताल पर हैं. इसके अलावा वेतन पुनरीक्षण, नौकरी की सुरक्षा, बकाया राशि का भुगतान और रिक्तियों को सरकार की तरफ से भरने की भी उनकी मांग है.

संगठन के अनुसार काम कर रहे 50 फीसदी से ज्यादा लोग अनुबंध के आधार पर कार्यरत हैं, इन्हें पक्का किया जाए. इसके अलावा बसों की संख्या भी बढ़ाई जाए.

हड़ताल की वजह से जहां सैकड़ों की संख्या में यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा वहीं हड़ताली कर्मचारियों के काम पर वापस लौटने के लिए सरकार ने शनिवार की शाम 6 बजे तक की समयसीमा तय की थी. हालांकि, केवल 1200 कर्मचारी वापस काम पर लौटे जबकि करीब 50 हजार कर्मचारी अभी भी हड़ताल पर हैं.

रविवार रात मीडिया को संबोधित करते हुए केसीआर ने कहा कि काम पर वापस न लौटने वाले कर्मचारियों की नौकरी चली जाएगी.

मुख्यमंत्री ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, “आज तक हमारे पास निगम में केवल 1,200 कर्मचारी हैं, क्योंकि बाकी के कर्मचारियों ने रिपोर्ट नहीं किया है और उन्हें किसी भी परिस्थिति में वापस सेवा में नहीं लिया जाएगा.” उन्होंने कहा कि सरकार को ब्लैकमेल रणनीति से नहीं झुकाया जा सकता. अब संघों से कोई बातचीत नहीं होगी.

10,000 से अधिक बसें बस डिपो में ही रहने के कारण दशहरा और बतुकम्मा त्योहार के लिए घर जा रहे यात्रियों को असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है. अधिकारी 2100 बसों को किराए पर लेकर अस्थायी चालकों और अन्य श्रमिकों को तैनात कर बस सेवा को जैसे-तैसे संचालित कर रहे हैं. सेवा में कुछ स्कूली बसों को भी लगाया गया है.

इस बीच, तेलंगाना राज्य पथ परिवहन निगम (टीएसआरटीसी) के मजदूर संघों ने कहा है कि वे 50 हजार प्रदर्शनकारी कर्मचारियों को बर्खास्त करने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देंगे. मजदूर संघ के एक नेता ने सोमवार को कहा कि सरकारी की तरफ से जैसे-जैसे इनकी बर्खास्तगी या निलंबन के लिये कदम उठाया जाएगा, हम अदालत जाएंगे.

तेलंगाना मजदूर यूनियन के अध्यक्ष ई अश्वत्थामा रेड्डी ने हालांकि स्पष्ट किया कि प्रदर्शनकारी कर्मचारियों को सरकार या निगम प्रबंधन की तरफ से अभी तक बर्खास्तगी या निलंबन का कोई नोटिस नहीं मिला है.

रेड्डी ने पीटीआई को बताया, “…देश में कानून है. हमें नियमों के मुताबिक नियुक्त किया गया है. वे हमें ऐसे ही नहीं हटा सकते. यहां अदालतें हैं. अगर जरूरी हुआ तो हम अदालत जाएंगे.” मुख्यमंत्री के इस आदेश के बाद राज्य में भाजपा और कांग्रेस सरकार का विरोध कर रही हैं और बस कर्मचारियों को बर्खास्त किए जाने वाले फैसले को वापस करने की बात कह रही हैं.

तेलंगाना कांग्रेस के प्रमुख उत्तम कुमार रेड्डी ने ट्विटर पर कहा कि पार्टी आरटीसी कर्मचारियों के साथ खड़ी है और इस तानाशाही रवैये के खिलाफ उनके सभी संघर्षों में भाग लेगी.

कांग्रेस विधायक दल के नेता मल्लू भट्टी विक्रमार्क ने हैदराबाद में संवाददाताओं से कहा कि पार्टी के पास यह विश्वास करने का कारण है कि मुख्यमंत्री एक सत्ताधारी टीआरएस सदस्य के स्वामित्व वाली निजी कंपनी को निगम सौंपना चाहते हैं.

उन्होंने कहा, “उन्हें पता है कि पहले से ही घाटे में चल रहे निगम का आसानी से निजीकरण किया जा सकता है. तेलंगाना के लोगों को इस साजिश को समझना चाहिए और इसका विरोध करना चाहिए.

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. लक्ष्मण ने कहा कि बिना किसी ठोस कारण के केसीआर को ऐसा एकतरफा फैसला लेने का कोई अधिकार नहीं है. उन्हें आदेश को अदालत में चुनौती दी जाएगी और वह कभी लागू नहीं हो पाएगा.

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