यूपी की सियासत में बड़ा कद रखने वाले नेता मुलायम सिंह यादव का आज जन्मदिन है. मुलायम वर्तमान में समाजवादी पार्टी के संरक्षक हैं. उनके जन्मदिन को अखिलेश यादव व शिवपाल सिंह यादव अपने-अपने तरीके से मनाएंगे. इन दोनों के बीच एका की चर्चाओं के चलते अब सबकी निगाहें जन्मदिवस आयोजन और उसके साथ होनी वाली गतिविधियों पर हैं.
मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के ऐसे धुरंधर नेता के रूप में जाने जाते हैं, जिन्होंने साधारण परिवार से निकलकर प्रदेश और देश की सियासत में एक बड़ी पहचान बनाई. वह तीन बार यूपी के मुख्यमंत्री और एक बार देश के रक्षा मंत्री रहे हैं.
22 नवंबर 1939 को इटावा जिले के सैफई में जन्मे मुलायम सिंह की पढ़ाई-लिखाई इटावा, फतेहाबाद और आगरा में हुई. आपको जानकार हैरानी होगी कि मुलायम सिंह के पिता सुधर सिंह मुलायम को पहलवान बनाना चाहते थे…लेकिन पहलवानी में अपने राजनीतिक गुरु नत्थूसिंह को मैनपुरी में आयोजित एक कुश्ती-प्रतियोगिता में प्रभावित कर लिया. यहीं से उनका राजनीतिक सफर भी शुरू हो गया.
'नेता जी' के नाम से भी मुलायम सिंह यादव को जाना जाता है. उन्होंने नत्थूसिंह के परंपरागत विधान सभा क्षेत्र जसवंतनगर से अपने राजनीतिक सफर की शुरुवात की. वहीं राम मनोहर लोहिया और राज नरायण जैसे समाजवादी विचारधारा के नेताओं की छत्रछाया में राजनीति का ककहरा सीखने वाले मुलायम 28 साल की उम्र में पहली बार विधायक बने. जबकि उनके परिवार का कोई सियासी बैकग्राउंड नहीं था. ऐसे में मुलायम के सियासी सफर में 1967 का साल ऐतिहासिक रहा जब वो पहली बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. मुलायम को पहली बार मंत्री बनने के लिए 1977 तक इंतजार करना पड़ा. हालाँकि बाद में इन्होने वर्ष 1992 में समाजवादी पार्टी का गठन किया और बाद में उत्तर प्रदेश जैसे बड़े और राजनितिक रूप से अहम् राज्य के मुख्यमंत्री बने और साथ ही 1996 में देश के रक्षामंत्री बने.
मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक और व्यक्तिगत जीवन में किस्सों की कमी नहीं है। लेकिन उनके जीवन में साधना गुप्ता का आना किसी बड़ी चर्चा से कम नहीं था. साधना उनकी दूसरी पत्नी कैसे बनीं और उनकी प्रेम कहानी घरवालों को रास क्यों नहीं आई इसकी भी एक रोचक दास्तान है.
मुलायम सिंह यादव जब राजनीति के शिखर पर थे उसी वक्त उनकी जिंदगी में साधना गुप्ता का आगमन हुआ. 1982 में जब मुलायम लोकदल के अध्यक्ष बने, उस वक्त साधना पार्टी में एक कार्यकर्ता की हैसियत से काम कर रही थीं.
बेहद खूबसूरत और तीखे नैन-नक्श वाली साधना पर जब मुलायम की नजर पड़ी तो वह भी बस उन्हें देखते ही रह गए. अपनी उम्र से 20 साल छोटी साधना को पहली ही नजर में मुलायम दिल दे बैठे थे. मुलायम पहले से ही शादीशुदा थे और साधना भी. साधना की शादी फर्रुखाबाद के छोटे से व्यापारी चुंद्रप्रकाश गुप्ता से हुई थी लेकिन बाद में वह उनसे अलग हो गईं. इसके बाद शुरू हुई मुलायम और साधना की अनोखी प्रेम कहानी.
80 के दशक में साधना और मुलायम की प्रेम कहानी की भनक अमर सिंह के अलावा और किसी को नहीं थी. इसी दौरान 1988 में साधना ने एक पुत्र प्रतीक को जन्म दिया. साधना गुप्ता के साथ प्रेम संबंध की भनक मुलायम की पहली पत्नी और अखिलेश की मां मालती देवी को लग गई.
नब्बे के दशक में जब मुलायम मुख्यमंत्री बने तो धीरे-धीरे बात फैलने लगी कि उनकी दो पत्नियां हैं लेकिन किसी की मुंह खोलने की हिम्मत ही नहीं पड़ती थी. इसके बाद 90 के दशक के अंतिम दौर में अखिलेश को साधना गुप्ता और प्रतीक गुप्ता के बारे में पता चला. उस समय मुलायम साधना गुप्ता की हर बात मानते थे.
1993-2007 के दौरान मुलायम के शासन में साधना गुप्ता ने अकूत संपत्ति बनाई. आय से अधिक संपत्ति का उनका केस आयकर विभाग के पास लंबित है. साल 2003 में अखिलेश की मां मालती देवी की बीमारी से निधन हो गया और मुलायम का सारा ध्यान साधना गुप्ता पर आ गया.
हालांकि, मुलायम अब भी इस रिश्ते को स्वीकार करने की स्थिति में नहीं थे. मुलायम और साधना के संबंध की जानकारी मुलायम परिवार के अलावा अमर सिंह को थी. मालती देवी के निधन के बाद साधना चाहने लगी कि मुलायम उन्हें अपना आधिकारिक पत्नी मान लें, लेकिन पारिवारिक दबाव, ख़ासकर अखिलेश यादव के चलते मुलायम इस रिश्ते को कोई नाम नहीं देना चहते थे.
2006 में साधना अमर सिंह से मिलने लगीं और उनसे आग्रह करने लगीं कि वह नेताजी को मनाएं. अमर सिंह नेताजी को साधना गुप्ता और प्रतीक गुप्ता को अपनाने के लिए मनाने लगे. साल 2007 में अमर सिंह ने सार्वजनिक मंच से मुलायम से साधना को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करने का आग्रह किया और इस बार मुलायम उनकी बात मानने के लिए तैयार हो गए लेकिन अखिलेश इसके लिए कतई तैयार नहीं थे.
मुलायम सिंह की जिंदगी में कुछ ऐसे पल भी आए जिनसे वो खुद और उनका कुनबा विवादों में रहा. मुलायम सिंह यादव की पहली शादी घरवालों ने 18 साल की उम्र में ही कर दी थी. मुलायम उस वक्त दसवीं की पढ़ाई कर रहे थे। लोग बताते हैं कि उस वक्त गाड़ी-मोटर का इतना चलन नहीं था इसलिए मुलायम की बारात भैंसागाड़ी में गई थी.
मुलायम 5 भैंंसागाड़ी लेकर अपनी शादी में पहुंचे थे। ऐसा ही एक किस्सा और भी है. मशहूर हास्य कवि अदम गौंडवी जब गंभीर रूप से बीमार पड़े तो उन्हें जरूरी इलाज नहीं मिल सका. गौंडवी के पुत्र लगातार नेताओं के चक्कर काटते रहे कि कोई पिता के लिए सिफारिश कर दे तो उन्हें अच्छा इलाज मिल सके, लेकिन बात नहीं बनी.
लखनऊ के संजय गांधी मेडिकल कॉलेज में भी बीमार गौंडवी को जगह नहीं मिल सकी. इसकी जानकारी जैसे ही मुलायम सिंह को हुई तो उन्होंने तुरंत अस्पताल प्रबंधन से बात कर गौंडवी को अस्पताल में भर्ती कराया, हालांकि बाद में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.