बिहार के सासाराम रेलवे स्टेशन पर छात्रों ने जमकर तोड़फोड़ की. रेलवे के निजीकरण के खिलाफ बिना किसी संगठन के बैनर के ही बड़ी संख्या में छात्र सड़क पर उतर आए थे. लगभग तीन हजार की संख्या में सड़क पर उतरे छात्रों ने पहले पोस्ट ऑफिस चौक और धर्मशाला चौक को जाम किया. उसके बाद रेलवे स्टेशन पहुंचकर रेलवे ट्रैक को भी जाम कर दिए. केंद्र सरकार रेलवे का निजीकरण बंद करो नारे के तहत निजीकरण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वाले छात्रों ने जमकर केंद्र सरकार के खिलाफ नारे लगाए.
रेलवे ट्रैक पर छात्रों को हटाने के दौरान रेल पुलिस व छात्रों के बीच झड़प हो गई. उसके बाद छात्रों ने पुलिस दल पर पथराव किया. प्लेटफॉर्म की दुकानो में तोड़फोड़ का भी प्रयास किया. छात्रों के उग्र रूप को देखकर रेलवे प्लेटफॉर्म के सभी दुकानदार अपनी दुकानें बंद करके भाग गए.
युवाओं व छात्रों का कहना था कि रेलवे की निजीकरण व तेजस जैसी ट्रेनें चलाने से छात्रों को नौकरी नहीं मिलेगी. रेलवे रोजगार देने वाली सरकार की बड़ी एक सेक्टर है.सरकार को चाहिए कि वे निजीकरण न करे, ताकि युवाओं को रोजगार मिल सके। इन्हीं मांगों को लेकर छात्र रेलवे ट्रैक को जाम कर प्रदर्शन कर रहे थे. स्टेशन प्रबंधक उमेश कुमार की मानें तो प्रदर्शनकारी छात्रों को जाम खत्म करने व प्रशासनिक अधिकारियों से वार्ता करने के लिए बार-बार आग्रह किया गया, लेकिन छात्र वार्ता के लिए तैयारी नहीं थे.
सोशल मीडिया पर वायरल हुईं रेलवे के पूर्णतया निजीकरण की फर्जी खबरें, जिसके बाद फूटा छात्रों का गुस्सा
सबसे पहले सदर एसडीएम राज कुमार गुप्ता व एएसपी हृदयकांत प्रदर्शनकारी छात्रों को समझाने पहुंचे, लेकिन उनकी भी बात छात्रों ने नहीं मानी तो बाद में डीएम पंकज दीक्षित व एसपी सत्यवीर सिंह पहुंच रेलवे ट्रैक से जाम हटाने के लिए कहा. बावजूद इसके प्रदर्शनकारी अपनी जिद पर अड़े रहे और बेकाबू हो पथराव करने लगे. पथराव होते देख अधिकारियों को रेल थाना परिसर में अपनी जान बचानी पड़ी.
पथराव शुरू होने के बाद सुरक्षा कर्मियों को फायरिंग व आंसू गैस छोड़ने पड़े. डीएम पंकज दीक्षित ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को कानून को हाथ लेकर काम करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. प्रदर्शनकारियों की वीडियोग्राफी कराई गई है, जिन्हें चिन्हित कर उनकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है.