उत्तर प्रदेश के कानपुर में सिग्नेचर ग्रीन्स सिटी प्रोजेक्ट में करीब दस करोड़ के घपले की खबर सामने आई है. हिन्दुस्तान अखबार में प्रकाशित समाचार के अनुसार शहर के विकास नगर (चिड़ियाघर के पास) में इस प्रोजेक्ट के तहत बहुमंजिला इमारत पर फ्लैट्स बनाए जा रहे हैं. घपले से अब फ्लैट्स निर्माण में दिक्कतें आना शुरू हो गई हैं.
मामले में कानपुर विकास प्राधिकरण और फ्लैट्स के लिए ड्राइंग बनाने वाली आर्किटेक्ट फर्म पर सवाल खड़े हो रहे हैं. केडीए पर आरोप है कि सिग्नेचर ग्रीन्स के प्रोजेक्ट में आर्किटेक्ट फर्म को 4.5 करोड़ की जगह 14 करोड़ का भुगतान कर दिया गया. भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने सीधे तौर पर इसे मिलीभग से फर्जीवाड़ा की साजिश बताया है. मीडिया में खबरें आने के बाद से केडीए के अधिकारियों में हड़कंप जैसी स्थिति है. अब आर्किटेक्ट फर्म से 9.5 करोड़ रुपये वसूले जाने की तैयारी शुरू हो रही है. केडीए को फिलहाल कैग से आदेश मिलने का इंतजार है.
आवंटियों को फ्लैट्स पर कब्जा लेने में दिक्कतें होंगी. वहीं केडीए ने रीयल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) के सामने ये दावा किया है कि इस महत्वाकांक्षी बहुमंजिला परियोजना को हर हाल में दिसंबर 2019 तक पूरा कर लिया जाएगा. इसके बाद आवंटियों को कब्जे दिए जाएंगे.
कुल 1128 फ्लैट सिग्नेचर सिटी में बने हैं. इनमें 74 फ्लैट रोडवेज के लिए बनाए गए हैं. 421 करोड़ रुपये की पूरी परियोजना है. अभी भी 500 फ्लैट्स बिकने को रह गए हैं.