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ज्ञानवापी सर्वे को लेकर जिला कोर्ट ने एएसआई टीम को 4 हफ्ते में सर्वे करने का आदेश दिया

[Edited By: Rajendra]

Saturday, 9th September , 2023 12:19 pm

ज्ञानवापी सर्वे को लेकर जिला कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने एएसआई टीम को 4 हफ्ते में सर्वे करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट में सर्वे की रिपोर्ट 6 अक्तूबर तक पेश करने का आदेश दिया। वहीं शुक्रवार सुबह अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने आज 35वें दिन एएसआई टीम को परिसर में जाने से रोका था। अंजुमन कमेटी ने कोर्ट के आदेश के बाद ही टीम को सर्वे के लिए अंदर जाने की बात कही थी। वहीं, गुरुवार को भी सर्वे शुरू होने के बाद मुस्लिम पक्ष ने विरोध जताया था, जिसके चलते सर्वे रोका गया था।

अंजुमन कमेटी का कहना था कि कोर्ट के आदेश आने के बाद ही सर्वे की कार्रवाई को आगे बढ़ाया जाएगा। अधिकारियों ने एएसआई की टीम और मसाजिद कमेटी के पदाधिकारियों से बात की, लेकिन सहमति नहीं बन सकी थी। मसाजिद कमेटी का कहना है कि जिला जज की अदालत ने सर्वे और उसकी रिपोर्ट जमा करने के लिए 2 सितंबर तक की इजाजत दी थी। सर्वे रिपोर्ट नहीं जमा की गई और जिला जज की अदालत ने 8 सप्ताह का समय और मांगा गया। आज सुनवाई के बाद ही फैसले के आधार पर आगे की कार्रवाई के लिए टीम को प्रवेश करने देंगे। एएसआई की 30 सदस्यीय टीम ज्ञानवापी परिसर में ही मौजूद रही।

ज्ञानवापी परिसर में सर्वे पर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी तीन सितंबर से लगातार अपना विरोध दर्ज करा रही है। एएसआई की टीम से चार तारीख पर सुनवाई के बाद मुस्लिम पक्ष ने सर्वे नहीं करने की अपील की थी, लेकिन सर्वे जारी रहा। 7 सितंबर गुरुवार को मसाजिद कमेटी के विरोध के बीच एएसआई की 30 सदस्यीय टीम ज्ञानवापी परिसर में सर्वे नहीं कर सकी। जिलाधिकारी एस राजलिंगम और अपर पुलिस आयुक्त (कानून एवं व्यवस्था) ने एस चनप्पा मौके पर पहुंचे थे। उन्होंने समझाने का प्रयास किया लेकिन दोनों पक्षों की सहमति नहीं बनी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर 4 अगस्त से लगातार ज्ञानवापी परिसर में एएसआई का साइंटिफिक सर्वे का काम चल रहा है। बेंगलुरु से आई टीम ने (GPR ग्राउंड पेनेट्रेटिंग राडार) सर्वे भी किया है। इस बीच परिसर में कई जगहों का चिह्नांकन किया गया है। अब तक एएसआई को सर्वे के दौरान कई अहम सुराग मिले हैं, जिसे हिंदू पक्ष अपने दावे की हकीकत बताता रहा है।

ज्ञानवापी में 27 दिन के सर्वे में एएसआई टीम के 40 सदस्य शामिल रहे। दीवारों और गुंबद में मिली कलाकृतियों और कारीगरी का आकलन हुआ। टीम ने ज्ञानवापी परिसर में वुजूखाना को छोड़कर पूरे परिसर का सर्वे किया। मस्जिद परिसर की पूरी पैमाइश के बाद केवल GPR सर्वे हुआ। सदस्यों ने यूनिट के अनुसार, बाहरी दीवार, पश्चिमी दीवार, व्यासजी तहखाना समेत अन्य तहखाने, गुंबद और छतों का गहन अध्ययन किया। इन जगहों से सैंपल जुटाकर लैब में भेजे और प्राचीनता के लिए पुरातन दस्तावेजों से साक्ष्यों का मिलान किया गया है।

ज्ञानवापी से जुड़े शृंगार गौरी वाद की महिला वादियों (रेखा, सीता, मंजू, लक्ष्मी) ने पिछले साल दिसंबर में जिला जज की कोर्ट में एप्लिकेशन देकर 7 मामलों की सुनवाई एक साथ, एक ही कोर्ट में करने की मांग की थी। इसमें 6 सिविल जज सीनियर और किरन सिंह विसेन का एक केस 712/2022 भगवान आदि विश्वेश्वर केस फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रहा था। इस केस पर जिला जज की अदालत ने 17 अप्रैल को आदेश पारित किया था कि उनकी कोर्ट में सभी 7 मामलों की फाइलों को रखा। इसके बाद एक साथ सभी केस की सुनवाई का आदेश जिला जज ने दिया।

जिला न्यायाधीश, वाराणसी की अदालत में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने आश्वासन दिया कि मस्जिद परिसर से मलबा और कचरा साफ करते समय ज्ञानवापी मस्जिद संरचना को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। एएसआई ने अदालत को यह भी बताया कि चूंकि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में और उसके आसपास पत्थर के स्लैब के रूप में कचरा, मलबा और गिरी हुई सामग्री जमा हो गई है। इसलिए कचरे को साफ करना अपरिहार्य हो गया है, जिससे परिसर की उचित वैज्ञानिक जांच हो सके।

"अदालत ने निर्देश दिया है कि तहखानों का सर्वेक्षण किया जाना चाहिए और इसलिए यह आवश्यक है कि वहां जमा हुई मिट्टी और मलबे को हटा दिया जाए। इस दौरान खड़ी आकृति को कोई नुकसान न हो। मलबे को बहुत सावधानी से हटाया जा रहा है और ठीक से काम करने में समय लगने की संभावना है।'' यह आश्वासन अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी (वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद की प्रबंधक) द्वारा यह आशंका व्यक्त करने के कुछ दिनों बाद दिया गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद की पश्चिमी दीवार की पश्चिमी बैरिकेडिंग के अंदर मौजूद मलबे या मिट्टी को हटाने और मलबे को दूसरी जगह लाकर इकट्ठा किया जाएगा। इससे मस्जिद की इमारत को खतरा हो सकता है और इसके कारण वह ढह सकती है।

उल्लेखनीय है कि एएसआई वर्तमान में वाराणसी जिला न्यायाधीश के 21 जुलाई के आदेश के अनुसार वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कर रहा है, जिससे यह निर्धारित किया जा सके कि मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया है या नहीं। एएसआई करीब 30 दिन पहले ही परिसर का सर्वेक्षण कर चुका है। एएसआई की दलीलों पर ध्यान देते हुए अदालत ने उसे ज्ञानवापी सर्वेक्षण से संबंधित अपनी रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 4 सप्ताह का और समय दिया। इससे पहले कोर्ट ने 2 सितंबर तक अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट जमा करने को कहा था। हालांकि, एएसआई ने पिछले हफ्ते पूरी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए 8 सप्ताह का और समय मांगा था। पिछले सप्ताह एएसआई द्वारा दिए गए आवेदन में कहा गया कि एएसआई को रिपोर्ट सौंपने में कुछ और समय लगेगा, क्योंकि कचरा, गीली मिट्टी और निर्माण सामग्री सहित बहुत सारा कचरा/मलबा फर्श के स्तर पर डंप किया जाता है। तहखाने के साथ-साथ संरचना के चारों ओर संरचना की मूल विशेषताओं को कवर किया गया है। इसलिए एएसआई को इसे साफ़ करने में समय लग रहा है।

1. (मस्जिद परिसर में और उसके आसपास एकत्र) मलबे को बहुत सावधानी से और ठीक से हटाया जा रहा है। इसमें समय लगने की संभावना है। इसके बाद ही तहखानों के फर्श को साफ किया जाएगा और इस न्यायालय के निर्देशानुसार सर्वेक्षण की कार्यवाही आगे बढ़ाई जा सकेगी।

2. संबंधित संपत्ति का पूरा परिसर, तहखाने और खुली जगहें कचरे और मलबे से ढकी हुई हैं। इसमें कचरा, अनुपयोगी सामग्री, गीली मिट्टी और निर्माण सामग्री जैसे ईंटें, ढीले पत्थर के स्लैब और उनके टुकड़े, गिरी हुई सामग्री आदि शामिल हैं। ये सभी चीजें विस्तृत अध्ययन एवं सर्वेक्षण कार्य में बाधा उत्पन्न करती हैं।

3. एएसआई यह सुनिश्चित कर रहा है कि किसी भी संरचना को कोई नुकसान न हो और वह न्यायालय के निर्देशों के अनुसार वैज्ञानिक जांच और सर्वेक्षण कर रहा है। हर वह आवश्यक कदम उठा रहा है, जिससे अदालतों के निर्देशों का अनुपालन किया जा सके। 4. न्यायालय के आदेश के अनुपालन में अध्ययन एवं सर्वेक्षण करने के लिए मलबा एवं कूड़ा-कचरा हटाना एवं स्थान की सफाई करना आवश्यक है। कूड़ा-कचरा और मलबा इकट्ठा करने का यह काम बहुत धीमी गति से और सही तरीके से किया जा रहा है।

5. एएसआई ने मलबा और कचरा हटाने के लिए खुदाई मशीनों का इस्तेमाल नहीं किया है। सारा कूड़ा-कचरा हाथ से ही इकट्ठा किया जा रहा है और हाथ से ही हटाया भी जा रहा है। छोटे घरेलू और उद्यान उपकरण जैसे कांटा ट्रॉवेल, पैन, ब्रश आदि का उपयोग किया जा रहा है, जो आम तौर पर घरेलू कचरे को इकट्ठा करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।

6. कचरा और मलबा मूल संरचना से दूर एकत्र किया जा रहा है। इसलिए संबंधित संरचना को किसी भी तरह के नुकसान की कोई संभावना नहीं है। संबंधित समाचार में वाराणसी जिला न्यायालय ज्ञानवापी मस्जिद परिसर से संबंधित विभिन्न राहतों की मांग करने वाली उसके समक्ष दायर तीन याचिकाओं पर 13 सितंबर को आदेश सुनाने के लिए तैयार है, जहां एएसआई वर्तमान में अदालत द्वारा आदेशित वैज्ञानिक सर्वेक्षण कर रहा है।

एएसआई की दलील
- तहखाने का मलबा सावधानीपूर्वक हटाया जा रहा, इस वजह से समय लग रहा।
- भवन के किसी आकृति को नुकसान न पहुंचे, इसलिए सावधानी बरती जा रही है।
- आर्कियोलॉजिस्ट, आर्किलॉजिकल केमिस्ट, एपी ग्राफिस्ट, सर्वेयर, फोटोग्राफर और अन्य तकनीकी विशेषज्ञ वैज्ञानिक जांच और डॉक्यूमेंटेशन में लगाया गया।
- हैदराबाद स्थित नेशनल जियोफिसिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनजीआरआई) के विशेषज्ञों का दल जीपीआर सर्वे कर रहा।
- कूडा, मिट्टी, ईंटें, पत्थर के स्लैब व उनके टुकड़े और अन्य निष्प्रयोज्य सामान प्रश्नगत ढांचे के तहखानों में फर्श पर जमा, जिससे भवन का मूल अंग नहीं दिखाई दे रहा है।

मसाजिद कमेटी की दलील
- इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया जा रहा।
- अनुमति के बिना ही तहखानों और दीगर जगहों पर मिट्टी की खोदाई की गई।
- दो ट्रक मिट्टी बाहर ले जाई गई।
- पश्चिमी दीवार के पश्चिम में बैरिकेडिंग के अंदर जो मलबा या मिट्टी मौजूद है, उसे हटाने या दूसरे स्थान पर इकट्ठा करने से इमारत गिर सकती है।
- सर्वे विलंबित करने के उद्देश्य से एएसआई समयसीमा बढ़ाने की मांग कर रहा।
तीन अधिवक्ताओं ने रखा मसाजिद कमेटी का पक्ष

अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से मुमताज अहमद, एखलाक अहमद और रईस अहमद ने सिलसिलेवार हिंदू पक्ष के आवेदन पत्रों के विरोध में पक्ष रखा।एएसआई की ओर से भारत सरकार के स्टैंडिंग काउंसिल अमित श्रीवास्तव व उनके सहयोगी शंभू शरण सिंह, राज्य सरकार की तरफ से विशेष अधिवक्ता राजेश मिश्र और पुलिस-प्रशासन की तरफ से डीजीसी सिविल महेंद्र पांडेय सुनवाई के दौरान अदालत में मौजूद रहे।

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