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’सहकारी’, 'बैंक' शब्द के मायाजाल में देश की भोली-भाली जनता बेवकूफ कैसे बन रही है?

[Edited By: Admin]

Tuesday, 12th November , 2019 02:29 pm

पंजाब एंड महाराष्ट्र सहकारी बैंक में हुए घोटाले के बाद उपजी स्थिति से बैंकों को लेकर अफवाहों का माहौल गर्म है। इसके निदेशकों की गिरफ्तारी के बाद सहकारी बैंकों की कार्यपद्धति को लेकर भी सवाल खड़े किये जा रहे हैं। शहरी सहकारी बैंकों को सहकारी सोसाइटी के तौर पर रजिस्टर किया जाता है। इनका नियंत्रण भी केंद्र या राज्यों के रजिस्ट्रार ऑफ कोऑपरेटिव सोसाइटीज के हाथों में होता है। आरबीआइ शहरी सहकारी बैंकों की केवल बैंकिंग संचालन गतिविधियों की देखरेख करता है।

रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांता दास ने मौद्रिक नीति की समीक्षा के बाद यह जरूर कहा कि आरबीआई सहकारी बैंकों के लिए मौजूदा नियामक ढांचे की समीक्षा कर रहा है और इस संबंध में बैंक जल्द ही सरकार से बातचीत करेगा। रिजर्व बैंक गवर्नर का यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पीएमसी को इसी साल रिजर्व बैंक के प्रशासन के तहत लाया गया था। इस बैंक में कई प्रकार की रेगुलेटरी और प्रशासनिक गड़बडि़यां पायी गई थी। इस बैंक के कामकाज में राजनीतिक हस्तक्षेप भी बड़े स्तर पर पाया गया था।

शहरी एवं ग्रामीण आदि अनेक वर्गीकरण एवं कोऑपरेटिव बैंको के नाम के साथ बैंक शब्द जूड़ा होने के कारण आम जनता के लिए शब्दों के इस मायाजाल को समझना आसान नहीं हैं। कई कोऑपरेटिव बैंकों ने तो अपने नाम के कोऑपरेटिव शब्द को छिपाए रखने की नियत से बैंक के नाम को इंग्लिश में शॉर्टफ़ॉर्म में लिखना भी शुरू कर दिया हैं। पीएमसी का ही उदाहरण लेते हैं तो पंजाब एंड महाराष्ट्र कोआपरेटिव बैंक लिमिटेड को पीएमसी बैंक कहा जाने लगा था। ऐसे और भी कई उदाहरण हैं जिसमें बैंक को अपना नाम भी सही लिखना नहीं आता है- जैसे शामराव विठल कोआपरेटिव बैंक लिमिटेड को कहीं SVC Bank तो कहीं पर SVC Co-Operative Bank Ltd लिखा जा रहा हैं। SVC में C का उपयोग दो बार किया जा रहा हैं जबकि सी का अर्थ Co-Operative से है।

आख़िर देश के कारोबार का प्रमुख नियामक आरबीआइ बैंकिंग घोटालों के बाद अपनी ज़िम्मेदारी से बचने के लिए बैंकिंग सिस्टम की गड़बड़ियों के लिए सहकारी सोसायटी एक्ट का हवाला देकर कैसे बच सकता है। बैंक शब्द का उपयोग होते ही यह आरबीआइ की भी जिम्मेदारी बनती है कि वो किसी भी तरह की बैंक को आरबीआइ नियमों का पालन हर हाल में करने के लिए मजबूर करे वरना उसे बैंक शब्द का उपयोग करने से रोके।

लेखक- भरतकुमार सोलंकी (वित्त विशेषज्ञ)

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