रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बेंगलुरु में लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस में उड़ान भरी. फ्लाइंग सूट पहनकर राजनाथ सिंह उड़ान के लिए तैयार हुए. खास बात तो ये रही कि राजनाथ सिंह विमान में उड़ान भरने वाले पहले रक्षा मंत्री हैं. तेजस दो सीटों वाला विमान है और इस सिंगल-इंजन फाइटर के आने के बाद भारतीय वायुसेना को मिग -21 बाइसन विमान को बदलने की अनुमति मिल जाएगी.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तेजस में उड़ान भरने के बाद कहा, ''उड़ान बहुत सहज, आरामदायक रही, मैं रोमांचित था. मैंने तेजस को इसलिए चुना क्योंकि यह स्वदेश में निर्मित है. तेजस की डिमांड दुनिया के दूसरे देशों से भी हो रही है. दक्षिण पूर्वी एशिया के देशों ने तेजस विमानों की खरीद में दिलचस्पी दिखाई है.'' राजनाथ के साथ एयर वाइस मार्शल एन तिवारी भी थे. तिवारी बेंगलुरू में एयरोनॉटिकल डवल्पमेंट एजेंसी (एडीए) के नेशनल फ्लाइट टेस्ट सेंटर में परियोजना निदेशक हैं.
इस विमान को 3 साल पहले ही वायु सेना में शामिल किया गया था. अब तेजस का अपग्रेड वर्जन भी आने वाला है. तेजस हल्का लड़ाकू विमान है, जिसे एचएएल ने तैयार किया है. 83 तेजस विमानों के लिए एचएएल को 45 हजार करोड़ रु. का ठेका मिला है. भारत के स्वदेशी और हल्के लड़ाकू विमान तेजस में वो सारी खूबियां हैं जो दुश्मन को हराने की पूरी ताकत रखती हैं. चूंकि ये एक हल्का फाइटर प्लेन है इसलिए इससे दुश्मन पर वार करना भी आसान हो जाता है. यह चीन और पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों को कड़ी टक्कर दे रहा है.
रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने बुधवार को बताया था कि स्वदेश में निर्मित तेजस के विकास से जुड़े अधिकारियों का हौसला बढ़ाने के उद्देश्य से रक्षा मंत्री इस हल्के लड़ाकू विमान में उड़ान भरेंगे. अधिकारी ने बताया था ‘‘उनके इस कदम से भारतीय वायु सेना के उन पायलटों का मनोबल भी बढ़ेगा जो यह विमान उड़ा रहे हैं.''
एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ बताते हैं कि तेजस ना सिर्फ लगातार हमले करने में सक्षम है बल्कि यह सही निशाने पर हथियार गिराने की भी अचूक क्षमता रखता है। उन्होंने कहा, 'यह एक फाइटर प्लेन है, इसे फाइटर की तरह ही काम करना होगा। इसने हवा से हवा और हवा से जमीन दोनों मोड में अच्छा काम किया है। पायलट्स भी इससे काफी खुश हैं।'
तेजस को हल्का विमान इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसका ढांचा कार्बन फाइबर से बना हुआ है। इसका सीधा-सीधा मतलब हुआ कि किसी धातु से बनने वाले विमानों की तुलना में यह काफी हल्का होता है। कमाल की बात है कि हल्का होने के बावजूद भी यह अन्य विमानों की तुलना में ज्यादा मजबूत है।
तेजस को पाकिस्तान और चीन द्वारा बनाए गए लड़ाकू विमान जेएफ-17 थंडर की टक्कर का माना जाता है। तेजस जहां एक बार में 2,300 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है। वहीं, थंडर 2,307 किलोमीटर उड़ सकता है। तेजस में हवा में ही ईंधन भरा जा सकता है जबकि थंडर में ऐसी खूबी नहीं है। मलयेशिया समेत कई देश भी इसकी ताकत देख फिदा हो गए हैं।
तेजस को उड़ान भरने के लिए आधे किलोमीटर से भी कम जगह की जरूरत पड़ती है। हाल ही में तेजस ने अरेस्टेड लैंडिंग टेस्ट पास किया है। इसका मतलब है कि यह विमान युद्धपोत पर भी उतर सकता है। दरअसल, अरेस्ट लैंडिंग के दौरान युद्धपोत या हवाई पट्टी पर लगा एक तार विमान से जुड़ जाता है, जिसके चलते विमान कम से कम दूरी में रुक सकता है। कई बार तार की बजाय छोटे पैराशूट का भी इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें हवा भरने से विमान की स्पीड कम हो जाती है।
कलाबाजी में कमाल की कुशलता
तेजस ने ढाई हजार घंटे के सफर में 3000 से ज्यादा उड़ानें भरी हैं। इसका परीक्षण करने वाले सभी पायलट कलाबाजी में इसकी कुशलता और इसके फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम से संतुष्ट हैं।
भविष्य में अपग्रेड भी हो सकेगा
इसमें सेंसर से मिलने वाले डेटा को प्रोसेस करने वाले मिशन कंप्यूटर का हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर ओपन आर्किटेक्चर फ्रेमवर्क को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है यानी इसे भविष्य में अपग्रेड भी किया जा सकता है।
रखरखाव और तैयारी के लिहाज से तेजस काफी सस्ता और उपयोगी है। इस मामले में यह सुखोई-30 से भी कहीं बेहतर है। बताया जाता है कि सुखोई-30 के बेड़े में 60 फीसदी से भी कम में ही विमान मिशन के लिए मौजूद रहते हैं बाकी विमानों की मरम्मत चलती रहती है। वहीं, तेजस के 70 फीसदी से ज्यादा विमान उड़ान के लिए तैयार रहते हैं। इस प्रतिशत को बढ़ाने का काम जारी है। तेजस भारतीय वायुसेना को मिग 21 का विकल्प उपलब्ध कराएगा।