महाराष्ट्र का राजनीतिक घटनाक्रम तेजी के साथ बदला गया है. राज्य में राष्ट्रपति शासन लग चुका है. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की सिफारिश की थी, जिसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी है. महाराष्ट्र के इतिहास में ये तीसरा मौका है जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा है. राज्य में सबसे पहले साल 1980 में राष्ट्रपति शासन लगा था. वहीं इसके 34 साल बाद यानी 2014 में दूसरी बार महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया.
एक और जहां एनसीपी-कांग्रेस शिवसेना के साथ सरकार गठन पर चर्चा कर रही थी, वहीं दूसरी तरफ 15 दिनों तक सरकार गठन का इंतजार कर चुके राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य की राजनीतिक हालत की रिपोर्ट केंद्र को भेजते हुए महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी. इस फैसले के खिलाफ शिवसेना सुप्रीम कोर्ट चली गई. सुप्रीम कोर्ट में जब तक इस मामले की सुनवाई होती तब तक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन को मंजूरी दे दी. इधर एनसीपी-कांग्रेस ने कहा है कि उन्हें महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए और समय चाहिए.
महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद भाजपा ने तीन दिन की बड़ी बैठक बुलाई है. बीजेपी की इस बैठक में महाराष्ट्र बीजेपी के सभी विधायक शामिल होंगे, ये बैठक मुंबई में होगी. जिसमें राज्य के हालात, मध्यावधि चुनाव जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी.
दूसरी ओर जयपुर में काफी लंबे समय से रुके हुए कांग्रेस के विधायक अब मुंबई के लिए रवाना हो गए हैं. कांग्रेस ने अपने सभी विधायकों को जयपुर के एक रिजॉर्ट में रखा हुआ था.
कांग्रेस और एनसीपी की साझा प्रेस कान्फ़्रेंस के बाद उद्धव ठाकरे ने कहा कि सरकार बनाने को लेकर शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी से बातचीत करती रहेगी. इधर महाराष्ट्र में सरकार बनाने का एक नया फ़ॉर्मूला भी सामने आ रहा है. सूत्रों के मुताबिक ढाई-ढाई साल शिवसेना और NCP का मुख्यमंत्री होगा और पूरे 5 साल के लिए कांग्रेस का उपमुख्यमंत्री होगा. साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि अगर बीजेपी और महबूबा मुफ़्ती वैचारिक मतभेदों को दूर करते हुए साथ काम कर सकते हैं तो मौजूदा स्थिति में उनकी पार्टी कांग्रेस और एनसीपी के साथ काम करने का फ़ॉर्मूला खोज़ लेंगे.