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राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले के बाद राज्य में सियासी हलचल तेज

[Edited By: Rajendra]

Friday, 24th July , 2020 05:08 pm

राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले के बाद राज्य में सियासी हलचल तेज हो गई है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकार बचाने की कवायद तेज कर दी है। उन्होंने विधानसभा सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल कलराज मिश्रा से मुलाकात की। बात नहीं बनने पर गहलोत समर्थक कांग्रेसी विधायक राजभवन में धरने पर बैठ गए हैं। गहलोत ने आरोप लगाया कि राज्यपाल ऊपरी दबाव के कारण विधानसभा सत्र नहीं बुला रहे हैं।

राज्यपाल द्वारा विधानसभा का सत्र बुलाने से इनकार करने के बाद से राजभवन में गहमागहमी का माहौल है। एक तरफ गहलोत खेमे के विधायकों ने राजभवन परिसर में धरना और नारेबाजी शुरू कर दी है। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चेतावनी दी है कि अगर जनता राजभवन का घेराव करती है, तो इसके लिए वो जिम्मेदार नहीं होंगे।

राजस्थान सरकार के मंत्री और कांग्रेस नेता रघु शर्मा का कहना है कि राज्यपाल अगर कोरोना वायरस के कारण विधानसभा सत्र आयोजित नहीं कर रहे हैं, तो हम सभी 200 विधायकों का कोरोना टेस्ट कराने को तैयार हैं। राज्यपाल से मुलाकात के पहले कांग्रेस विधायक दल ने जयपुर के फेयरमोंट होटल में एक बैठक की थी। इस बैठक में कांग्रेस नेता अजय माकन और रणदीप सिंह सुरजेवाला भी मौजूद थे।

विधायक दल की बैठक से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रेस कांफ्रेस कर आरोप लगाया था कि सरकार को अस्थिर करने के लिए भाजपा निचले स्तर पर जाकर राजनीति कर रही है। दबाव बनाने के लिए आयकर, प्रवर्तन निदेशालय, सीबीआई द्वारा छापेमारी कराई जा रही है। ऐसी स्थिति देश के अंदर कभी नहीं देखी, जो आज देखने को मिल रहा है।

राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने बताया कि राज्यपाल से मुलाकात के दौरान उन्होंने सोमवार से विधानसभा शुरू करने की मांग रखी थी। वह चाहते थे कि वहां (विधानसभा में) दूध का दूध, पानी का पानी हो जाए। उनके पास स्पष्ट बहुमत है, उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। गहलोत ने कहा, 'चिंता हमें होनी चाहिए सरकार हम चला रहे हैं, परेशान वो (राज्यपाल) हो रहे हैं।

वहीं सीएम गहलोत के आरोप पर पलटवार करते हुए राजस्थान भाजपा अध्यक्ष सतीश पुनिया ने कहा कि बहुमत होता तो मुख्यमंत्री कब का परेड करा चुके होते, इतने दिन नहीं लगते। अपनी गलती को छुपाने के लिए भाजपा को आरोपित करना ये पुरानी आदत है। अपनी सरकार ठीक चलाते, पार्टी में एकजुटता होती तो शायद ये नौबत नहीं आती।

इससे पहले हाई कोर्ट ने सचिन पायलट खेमें को बड़ी राहत देते हुए विधानसभा स्पीकर की तरफ से कांग्रेस के बागी 19 विधायकों को जारी नोटिस पर रोक लगा दी है। पायलट खेमे की याचिका पर सुनवाई करते हुए 21 जुलाई को हाई कोर्ट ने सुनवाई स्पीकर से 24 जुलाई तक कोई भी कार्यवाही न करने का आदेश दिया था। विधानसभा स्पीकर की ओर से सचिन पायलट सहित 19 बागी विधायकों को जारी नोटिस की वैधानिकता को लेकर पायलट खेमा हाईकोर्ट पहुंचा था।

राजस्थान हाईकोर्ट से पायलट गुट को एक बार फिर राहत मिली है। हाईकोर्ट ने विधानसभा स्पीकर के उस नोटिस पर स्टे लगा दिया है, जिसमें बागी विधायकों पर अयोग्य करार होने का खतरा बरकरार था। हालांकि, अभी ये अंतिम फैसला नहीं है। इसके साथ ही केंद्र सरकार को पक्षकार बनाने की अर्जी मंजूर कर ली गई है।

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