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PM मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच 10 विषयों पर अहम वार्ता, कट्टरपंथ की चुनौतियों पर बड़ी चर्चा

[Edited By: Admin]

Saturday, 12th October , 2019 03:30 pm

भारत दौरे पर आए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिर से मिले हैं. दोनों के बीच कई अहम विषयों पर वार्ता हुई है. प्रधानमंत्री ने इस दौरान कहा कि दोनों देशों के बीच कोई मतभेद होता है तो उसे विवाद नहीं बनने देंगे.............

- प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वुहान की मुलाकात ने दोनों देशों के रिश्तों में नया भरोसा और मोमेंटम दिया है. इसी तरह आज का चेन्नई विजन दोनों देशों के रिश्तों में एक नई शुरुआत है.

- इसके जवाब में चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग ने कहा कि जैसा आप कह रहे थे आपके और मेरे बीच द्विपक्षीय रिश्तों पर दोस्तों की तरह बातचीत हुई है. हम आपके स्वागत से अभिभूत हैं. यह हमारे लिए एक यादगार अनुभव रहेगा.

- प्रधानमंत्री ने कहा कि वुहान में पहली अनौपचारिक बैठक से दोनों देशों के रिश्तों में स्थायीत्व की ताजा शुरुआत थी. दोनों देशों के बीच रणनीतिक संचार भी बढ़ा है.

- बैठक की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि तमिलनाडु में भारत और चीन के बीच व्यापारिक संबध गहरे हैं. पिछले 2000 सालों में ज्यादातर समय भारत और चीन आर्थिक शक्तियां रही हैं.

- इस बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी के अलावा विदेश मंत्री एस जयशंकर, एनएसए अजीत डोभाल व अन्य शामिल हैं.

- प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति के बीच मुलाकात के बाद अब दोनों देशों के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता हो रही है.

- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग के बीच 2 घंटे से ज्यदा समय तक अकेले में बातचीत हुई.


शी जिनपिंग की सुरक्षा में हजारों पुलिसकर्मी

पूरे रूट में मौजूद इमारतों की छतों पर सुरक्षाबल तैनात थे. जमीन पर डीआईजी रैंक के चार और एसपी रैंक के 16 ऑफिसर्स 10,000 पुलिस कर्मचारियों को लीड कर रहे थे. शी जिनपिंग की सुरक्षा में मदद को 6 असिस्‍टेंट कमिश्‍नर्स, 16 इंस्‍पेक्‍टर्स, 48 सब-इंस्‍पेक्‍टर्स और 400 अन्‍य कर्मचारी भी हैं.

एयरपोर्ट पर एक क्विक रिएक्‍शन टीम (QRT) तैनात है. शी जिनपिंग जिस होटल में हैं, वहां भी तीन एसपी रैंक के अधिकारी इंचार्ज हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी के रूट्स तय करने के बाद, पुलिस ने तीन आपातकालीन रूट भी निर्धारित कर रखे हैं.

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में साझेदारी बढ़ाने पर सहमति

  • विदेश सचिव विजय गोखले ने बताया कि दोनों नेताओं के बीच करीब छह घंटे तक बात हुई। चीन व्यापार घाटा कम करने के लिए कड़े कदम उठाने वाला है। वह कारोबारी रिश्ते कायम करने के लिए गंभीर है। जिनपिंग और मोदी के बीच मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भी साझेदारी और मार्केट में नौकरियां पैदा करने पर बात हुई। 
  • जिनपिंग ने रक्षा क्षेत्र में संबंध बढ़ाने पर भी बात की। इससे दोनों देशों की सेनाओं के बीच विश्वास बढ़ेगा। रक्षा मंत्री जल्द ही चीन का दौरा करेंगे। इसका ऐलान किया जाएगा। अगले साल चीन-भारत के बीच रिश्तों के 70 साल पूरे हो जाएंगे। इस मौके पर हम 70 तरह के कार्यक्रम करने पर विचार कर रहे हैं। हर हफ्ते भारत या चीन में इससे जुड़ा एक कार्यक्रम किया जाएगा।
  • गोखले ने कश्मीर मुद्दे पर चर्चा के बारे में पूछे जाने पर कहा कि दोनों नेताओं के बीच कश्मीर मुद्दे पर कोई बात नहीं हुई। सरकार पहले ही कह चुकी है कि यह हमारा आंतरिक मामला है। दोनों नेताओं के बीच आतंकवाद जैसे वैश्विक खतरों का सामना करने पर बात हुई। चीन और भारत जैसे बड़े देशों में कट्टरपंथ बढ़ना चिंताजनक है।

भारत-चीन ने पर्यटन को बढ़ावा देने पर जोर दिया 
गोखले के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी ने दोनों देशों को पर्यटन पर जोर देने का प्रस्ताव रखा है। भारत की स्वतंत्रता के 75वें साल में हम अपने टूरिज्म के अपने पुराने स्तर को बढ़ाने की तरफ देखना होगा। मोदी और जिनपिंग के बीच कैलाश मानसरोवर यात्रा पर भी बातचीत हुई। जिनपिंग ने इस पर सहमति जताया। प्रधानमंत्री ने तमिलनाडु और फुचियान प्रांत के बीच संबंध बढ़ाने पर भी जोर दिया। फुचियान में हाल ही में तमिल कलाकृतियां खोजी गई थीं। इसके अलावा एक मंदिर भी खोजा गया। प्रधानमंत्री दक्षिण भारत और चीन के बीच रिश्ते आगे बढ़ाने के लिए इससे अहम माना। जैसे बौद्ध धर्म चीन और उत्तर भारत के लिए संबंधों की अहम वजह रहा।

मोदी तीसरी अनौपचारिक बैठक के लिए चीन जाएंगे 

विदेश सचिव ने कहा कि जिनपिंग ने अनौपचारिक बैठक के लिए प्रधानमंत्री मोदी को फिर से चीन आने का न्योता दिया है। इसका समय बाद में तय किया जाएगा। मोदी ने न्योता स्वीकार किया है। दोनों नेताओं ने कूटनीतिक संचार बढ़ाने पर जोर दिया है। इसके अलावा दोनों नेताओं के बीच व्यापार, निवेश और सेवाओं पर चर्चा के लिए नया मैकेनिज्म तैयार करने पर बात हुई। चीन और भारत के बीच पीपुल-टू-पीपुल रिलेशन बढ़ाने पर जोर दिया गया। ताकि सीधे तौर पर दोनों देश के नागरिकों को फायदा पहुंचाया जा सके।

Modi

‘द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर बात हुई’

प्रतिनिधि स्तर की वार्ता के दौरान मोदी ने कहा, ‘‘ऐतिहासिक शहर चेन्नई हमारे और चीन के बीच सांस्कृतिक और व्यापारिक आदान-प्रदान का साक्षी है। बीते 2000 साल में चीन और भारत मुख्य शक्तियां रही हैं। पिछले साल वुहान में इनफॉर्मल समिट में संतुलन और फ्रेश मोमेंटम आया है। दोनों देशों के बीच कूटनीतिक आदान प्रदान भी बढ़ा है। हम एक दूसरे के कंसर्न के बारे में सेंसेटिव रहेंगे। हमारे संबंध विश्व में स्थिरता के कारण रहेंगे। यह हमारी बड़ी उपलब्धि है। चेन्नई समिट में हमारे बीच द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर विनिमय हुआ। चेन्नई कनेक्ट से दोनों देशों के बीच सहयोग का नया दौर शुरू होगा।’’


जिनपिंग शुक्रवार को महाबलीपुरम पहुंचे

मोदी के साथ दूसरी अनौपचारिक बैठक के लिए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग शुक्रवार को महाबलीपुरम पहुंचे थे। मोदी ने चीन के राष्ट्रपति का स्वागत पारंपरिक तमिल वेशभूषा में किया। इस दौरान मोदी ने मामल्लपुरम में जिनपिंग को अर्जुन तपस्या स्थली और तट मंदिर के दर्शन कराए और इन स्थलों का महत्व समझाया। महाबलीपुरम में सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद मोदी जिनपिंग को रात्रिभोज दिया।

मोदी ने अंग्रेजी, तमिल और मेंडेरिन में ट्वीट किया

जिनपिंग को रात्रिभोज में पारंपरिक दक्षिण भारतीय व्यंजन परोसे गए। इनमें अर्चु विट्टा सांभर, थक्काली रसम, कडालाई कोरमा और हलवा शामिल थे। 2 घंटे तक चले इस डिनर में दोनों नेताओं ने कई मुद्दों पर चर्चा की। जिनपिंग के चेन्नई पहुंचने पर मोदी ने अंग्रेजी, तमिल और मेंडेरिन में ट्वीट किया- भारत में आपका स्वागत है राष्ट्रपति जिनपिंग।

आतंकवाद और कट्‌टरपंथ पर चिंता जताई

शुक्रवार देर रात विदेश सचिव विजय गोखले ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दिनभर की गतिविधियों की जानकारी दी। इसमें बताया गया कि शी जिनपिंग ने ट्रेड और अंतरराष्ट्रीय प्राथमिकताओं के मुद्दे पर मोदी के साथ चर्चा की इच्छा जताई। मोदी-जिनपिंग ने आतंकवाद और कट्‌टरपंथ पर चिंता जताते हुए इस चुनौती से मिलकर लड़ने की जरूरत पर जोर दिया है। 

चीन का महाबलीपुरम से ऐतिहासिक संबंध

तमिलनाडु में बंगाल की खाड़ी किनारे स्थित महाबलीपुरम शहर चेन्नई से करीब 60 किमी दूर है। पुरातत्त्वविद् एस राजावेलु के मुताबिक, इसकी स्थापना धार्मिक उद्देश्यों से 7वीं सदी में पल्लव वंश के राजा नरसिंह वर्मन ने कराई थी। नरसिंह ने मामल्ल की उपाधि धारण की थी, इसलिए इसे मामल्लपुरम के नाम से भी जाना जाता है। यहां शोध के दौरान चीन, फारस और रोम के प्राचीन सिक्के बड़ी संख्या में मिले हैं। प्राचीन बंदरगाह वाले महाबलीपुरम का करीब 2000 साल पहले चीन के साथ खास संबंध था। पुरातत्वविद राजावेलू बताते हैं कि कि यहां बरामद हुए पहली और दूसरी सदी के मिट्टी के बर्तन हमें चीन के समुद्री व्यापार की जानकारी देते हैं। पल्लव शासन के दौरान चीनी यात्री ह्वेन सांग कांचीपुरम आए थे। पल्लव शासकों ने चीन में अपने दूत भेजे थे।

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