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''PM मोदी की सोच औरों से हटकर''-नोबेल विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी, दोनों की मुलाकात के बाद सामने आईं ये 7 खास बातें

[Edited By: Admin]

Tuesday, 22nd October , 2019 03:38 pm

मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी की मुलाकात हुई. अभिजीत बनर्जी ने बताया कि उन्हें पीएम मोदी के साथ मुलाकात का सौभाग्य प्राप्त हुआ, कहा कि प्रधानमंत्री ने मुकालात के दौरान काफी समय दिया और भारत को लेकर अपने विचार के बारे में बातचीत की. बनर्जी ने बताया कि भारत को लेकर प्रधानमंत्री की सोच औरों से हटकर है.

वहीं पीएम मोदी ने ट्विटर लिखा, 'अभिजीत बनर्जी के साथ उत्तम बैठक हुई. मानव सशक्तीकरण के प्रति उनका जुनून साफ दिखाई देता है. हमने कई मुद्दों पर स्वस्थ और व्यापक बातचीत की। भारत को उनकी उपलब्धियों पर गर्व है. उन्हें भविष्य की कोशिशों के लिए शुभकामनाएं.'

1. प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले प्रधानमंत्री से अपनी मुलाकात को लेकर अभिजीत बनर्जी ने बताया कि प्रधानमंत्री के साथ उनकी मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री ने बताया शासन व्यवस्था को लेकर अपनी सोच के बारे में बताया और यह भी बताया कि वे किस तरह से देश की ब्यूरोक्रेसी में सुधार की कोशिश कर रहे हैं ताकि ब्यूरोक्रेसी को जनता के प्रति ज्यादा उत्तरदायी बनाया जा सके और ब्यूरोक्रेसी असली जमीनी हकीकत पहुंचे.


2. अभिजीत बनर्जी ने कहा कि भारत के लिए ऐसी ब्यूरोक्रेसी का होना बहुत जरूरी है जो जमीनी स्तर पर रहे और जमीनी स्तर पर जनता का जीवन सुधारने के लिए प्रोत्साहित रहे.

3. बाजार में डिमांड कम है, यानी ज्यादातर आबादी खर्च नहीं कर पा रही है. इसलिए गरीबों के हाथ में पैसा देना होगा, जिससे डिमांड बढ़ेगी. इसी से अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ेगी.

4. वैश्विक स्तर पर अमीरों ने पिछले 30 वर्षों में विकास की बहुत बड़ी हिस्सेदारी हड़प ली है. इससे गरीबों को भी कुछ लाभ हुआ है. लेकिन, मध्यम वर्ग वहीं खड़ा है.उसका विकास नहीं हुआ.

5. हमें कंपनियों को स्थापित करने के तरीके को आसान बनाना होगा. गीता गोपीनाथ, रघुराम राजन और मिहिर शर्मा के साथ हमारी पुस्तक व्हाट इकोनॉमी नीड्स नाउ, में हमने प्लग-इन लोकेशंस बनाने की बात कही है, जहां कंपनियां अच्छी कनेक्टिविटी, आसान भूमि अधिग्रहण और शायद आधुनिक श्रम कानूनों से लाभ उठा सकें.

6. राजकोषीय घाटे को कम करने का लक्ष्य संभवतया हासिल नहीं होगा. सामान्य तौर पर ऐसा लगता है कि मांग में कमी है. यही वजह है कि विनिर्माण नहीं बढ़ रहा है, कॉरपोरेट करों में कटौती शायद यहां मदद नहीं कर पाएगी.

7. मौजूदा तथ्यों और आंकड़ों से साफ है कि भारत की विकास दर धीमी हो रही है. दरअसल, आज डिमांड ही कमजोर है.इसलिए गरीबों के हाथ में अधिक पैसा देकर बाजार में डिमांड बढ़ सकती है. तभी इकोनॉमी का भी आकार बढ़ेगा.

भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी समेत तीन लोगों को गरीबी पर काम करने के लिए नोबेल पुरस्कार मिला है. अभिजीत के साथ नोबेल पुरस्कार पाने वाले हैं, फ्रेंच अमेरिकल एस्थर डुफ्लो और माइकल क्रेमर हैं. वहीं, एस्थर डुफ्लो अभिजीत की पत्नी हैं.

अभिजीत ने दुनिया को राह दिखाने के लिए इकोनॉमिक्स पर कई किताबें लिखी हैं. पहली किताब 2005 में वोलाटिलिटी एंड ग्रोथ लिखी थी. पर प्रसिद्धि मिली 2011 में आई इनकी किताब ‘पूअर इकोनॉमिक्स: ए रेडिकल रीर्थींकग ऑफ द वे टू फाइट ग्लोबल पॉवर्टी’से.

महत्वपूर्ण पदों पर सेवाएं

-ब्यूरो ऑफ रिसर्च इन द इकोनॉमिक एनालिसिस ऑफ डेवलपमेंट के पूर्व अध्यक्ष
-एनबीईआर के रिसर्च एसोसिएट, सीईपीआर के रिसर्च फेलो, अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज के अध्यक्ष

शैक्षणिक परिचय 

-कोलकाता के साउथ प्वाइंट से प्रारंभिक शिक्षा
-1981 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से बीएससी
-1983, जेएनयू से पीजी
-1988, हार्वर्ड विश्वविद्यालय से पीएचडी

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