पं. दीनदयाल की पुण्यतिथि पर पीएम मोदी बोल 'खुद भी स्वदेशी अपनाएं, लोगों को भी दें प्रेरणा'
[Edited By: Punit tiwari]
Thursday, 11th February , 2021 12:20 pm
नई दिल्ली-आज यानी 11 फरवरी को देश भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि मना रहा है। इस खास दिन को भाजपा समर्पण दिवस के रूप में मना रही है। जहां एक तरफ आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दीन दयाल की पुण्यतिथि पर भाजपा सांसदों को संबोधित कर रहे। वहीं गृह मंत्री अमित शाह ने असम में उपाध्याय की पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि अर्पित किए। पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के अलावा कई दिग्गजों ने उपाध्याय की पुण्यतिथि पर नमन किया है।
भाजपा उपाध्याय की पुण्यतिथि को ‘समर्पण दिवस’ के रूप में मनाती है। वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी थे। वह भारतीय जन संघ के अध्यक्ष भी थे। भारतीय जन संघ ही बाद में जाकर भारतीय जनता पार्टी के रूप में अस्तित्व में आया। उन्हें भाजपा का पितृपुरूष भी कहा जाता है। पंडित दीनदयाल का जन्म 25 सितंबर 1916 को हुआ था। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य थे। वे भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे। वे एक समावेशित विचारधारा के समर्थक थे जो एक मजबूत और सशक्त भारत चाहते थे। राजनीति के अलावा उनकी साहित्य में भी गहरी रुचि थी। उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में कई लेख लिखे, जो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए। उन्होंने एकात्म मानववाद नामक विचारधारा दी थी जिसके तहत विभिन्न संस्कृतियां आपस में मिलकर एख मजबूत राष्ट्र का निर्माण करें। बता दें कि दीनदयाल ने वर्ष 1951 भारतीय जनसंघ की नींव रखी थी। इसके बाद 11 फरवरी 1968 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था।
प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन की मुख्य बातें
हमारी पार्टी, हमारी सरकार आज महात्मा गाँधी के उन सिद्धांतों पर चल रही है जो हमें प्रेम और करुणा के पाठ पढ़ाते हैं। हमने बापू की 150वीं जन्मजयंती भी मनाई, और उनके आदर्शों को अपनी राजनीति में, अपने जीवन में भी उतारा
राजनीतिक अस्पृश्यता का विचार हमारा संस्कार नहीं है। आज देश भी इस विचार को अस्वीकार कर चुका है। हां, ये बात जरूर है कि हमारी पार्टी में वंशवाद को नहीं कार्यकर्ता को महत्व दिया जाता है। प्रणब मुखर्जी, तरुण गोगोई, एससी जमीर इनमें से कोई भी राजनेता हमारी पार्टी या फिर गठबंधन का हिस्सा कभी नहीं रहे। लेकिन राष्ट्र के प्रति उनके योगदान का सम्मान करना हमारा कर्तव्य है। हमारे राजनीतिक दल हो सकते हैं, हमारे विचार अलग हो सकते हैं, हम चुनाव में पूरी शक्ति से एक दूसरे के खिलाफ लड़ते हैं पर इसका मतलब ये नहीं कि हम अपने राजनीतिक विरोधी का सम्मान ना करें।
देश में नए जनजाति कार्य मंत्रालय का गठन भाजपा की ही सरकार में हुआ है। ये भाजपा सरकार की ही देन है कि पिछड़ा आयोग को देश में संवैधानिक दर्जा मिल सका है और ये भाजपा की सरकार है जिसने सामान्य वर्ग के गरीब लोगों को भी आरक्षण देने का काम किया है।
हमारी पार्टी ने अपनी सरकारों में ऐसी कितनी ही उपलब्धियां हासिल की हैं जिन पर आपको गर्व होगा, आने वाली पीढ़ियों को गर्व होगा। जो निर्णय देश में बहुत कठिन माने जाते थे, राजनीतिक रूप से मुश्किल माने जाते थे, हमने वो निर्णय लिए, और सबको साथ लेकर लिए।
हमें गर्व होता है कि हम अपने महापुरुषों के सपनों को पूरा कर रहे हैं। हमें गर्व है कि हमारी विचारधारा देशभक्ति को ही अपना सब कुछ मानती है। हमारी विचारधारा राष्ट्र प्रथम, नेशन फर्स्ट की बात करती है।
लोकल इकॉनमी पर विज़न इस बात का प्रमाण है कि उस दौर में भी उनकी सोच कितनी प्रैक्टिकल और व्यापक थी। आज ‘वोकल फॉर लोकल’ के मंत्र से देश इसी विजन को साकार कर रहा है। आज आत्मनिर्भर भारत अभियान देश के गांव-गरीब, किसान, मजदूर और मध्यम वर्ग के भविष्य निर्माण का माध्यम बन रहा है।
आज भारत में डिफेंस कॉरिडॉर बन रहे हैं, स्वदेशी हथियार बन रहे हैं, और तेजस जैसे फाइटर जेट्स भी बन रहे हैं। हथियार के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता से अगर भारत की ताकत और भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है, तो विचार की आत्मनिर्भरता से भारत आज दुनिया के कई क्षेत्रों में नेतृत्व दे रहा है। आज भारत की विदेश नीति दबाव और प्रभाव से मुक्त होकर, राष्ट्र प्रथम के नियम से चल रही है। 1965 में भारत पाक युद्ध के दौरान भारत को विदेशों से हथियारों पर निर्भर होना पड़ा था। दीनदयाल जी ने कहा था कि- हमें सिर्फ अनाज में ही नहीं बल्कि हथियार और विचार के क्षेत्र में भी भारत को आत्मनिर्भर बनाना होगा।
कोरोनाकाल में देश ने अंत्योदय की भावना को सामने रखा, और अंतिम पायदान पर खड़े हर गरीब की चिंता की। आत्मनिर्भरता की शक्ति से देश ने एकात्म मानव दर्शन को भी सिद्ध किया, पूरी दुनिया को दवाएं पहुंचाईं, और आज वैक्सीन पहुंचा रहा है।
सामाजिक जीवन में एक नेता को कैसा होना चाहिए, भारत के लोकतन्त्र और मूल्यों को कैसे जीना चाहिए, दीनदयाल जी इसके भी बहुत बड़ा उदाहरण हैं। एक ओर वो भारतीय राजनीति में एक नए विचार को लेकर आगे बढ़ रहे थे, वहीं दूसरी ओर वो हर एक पार्टी, हर एक विचारधारा के नेताओं के साथ भी उतने ही सहज रहते थे। हर किसी से उनके आत्मीय संबंध थे।
एकात्म मानव दर्शन का उनका विचार मानव मात्र के लिए था। इसलिए, जहां भी मानवता की सेवा का प्रश्न होगा, मानवता के कल्याण की बात होगी, दीनदयाल जी का एकात्म मानव दर्शन प्रासंगिक रहेगा मेरा अनुभव है और आपने भी महसूस किया होगा कि हम जैसे जैसे दीनदयाल जी के बारे में सोचते हैं, बोलते हैं, सुनते हैं, उनके विचारों में हमें हर बार एक नवीनता का अनुभव होता है
आप सबने दीनदयाल जी को पढ़ा भी है और उन्हीं के आदर्शों से अपने जीवन को गढ़ा भी है। इसलिए आप सब उनके विचारों से और उनके समर्पण से भलीभांति परिचित हैं।
आज हम सब दीनदयाल उपाध्याय जी की पुण्यतिथि पर अनेक चरणों मे अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एकत्र हुए हैं। पहले भी अनेक अवसरों पर हमें दीनदयाल जी से जुड़े कार्यक्रमों में शामिल होने, विचार रखने और आने वरिष्ठ जनों के विचार सुनने का अवसर मिलता रहा है।