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B'dy Spcl: अप्राकृतिक सेक्स, भूख, गरीबी और गैंगरेप ने फूलन को बनाया 'बैंडिट क्वीन'

[Edited By: Admin]

Saturday, 10th August , 2019 02:22 pm

उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखने वाली फूलन देवी अपने ऊपर हुए अत्याचारों और बदले की भावना की वजह से पूरी दुनिया में मशहूर हो गई थीं। दस्यु सुंदरी फूलन देवी ने 14 फरवरी के दिन 20 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था।

फूलन देवी का जन्म उत्तर प्रदेश के जालौन के पास बने एक गांव पूरवा में 10 अगस्त 1963  में हुआ था। इसी गांव से उसका कहानी भी शुरू होती है। जहां वह अपने मां-बाप और बहनों के साथ रहती थी। कानपुर के पास स्थित इस गांव में फूलन के परिवार को मल्लाह होने के चलते ऊंची जातियों के लोग हेय दृष्टि से देखते थे। इनके साथ गुलामों जैसा बर्ताव किया जाता था। फूलन के पिता की सारी जमीन उसके भाई से झगड़े में छिन गई थी। फूलन के पिता जो कुछ भी कमाते वह जमीन के झगड़े के चलते वकीलों की फीस में चला जाता।

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11 साल की उम्र में बूढ़े आदमी से हो गई थी शादी ​

फूलन इसी तरह के दमघोंटू माहौल में पलते-पलते अंदर से बदले की आग से जलने लगी। उसकी इस जलन को सुलगाने में उसकी मां ने भी आग में घी का काम किया। जब फूलन 11 साल की हुई, तो उसके चचेरे भाई मायादिन ने उसको गांव से बाहर निकालने के लिए उसकी शादी पुट्टी लाल नाम के बूढ़े आदमी से करवा दी गई। फूलन के पति ने शादी के तुरंत बाद ही उसका रेप किया और उसे प्रताडित करने लगा। परेशान होकर फूलन पति का घर छोड़कर वापस मां-बाप के पास आकर रहने लगी।

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गांव में ही फूलन ने अपने परिवार के साथ मजदूरी करना शुरू कर दिया। यहीं से लोगों को फूलन के विद्रोही स्वभाव के नजारे देखने को मिले। एक बार तो जब एक आदमी ने फूलन को मकान बनाने में की गई मजदूरी का मेहनताना देने से मना कर दिया, तो उसने रात को उस आदमी के मकान को ही कचरे के ढेर में बदल दिया।

उस समय फूलन 15 साल की थी जब कुछ दबंगों ने घर में ही उसके मां-बाप के सामने उसके साथ गैंगरेप किया। बावजूद फूलन के तेवर कमजोर नहीं पड़े। उसके बाद गांव के दबंगों ने एक दस्यु गैंग को कहकर फूलन का अपहरण करवा दिया।

B'dy Spcl: अप्राकृतिक सेक्स, भूख, गरीबी और गैंगरेप ने फूलन को बनाया 'बैंडिट क्वीन'

बस यहीं से शुरू हुआ फूलन के डकैत बनने की कहानी और उसने 14 फरवरी 1981 को बहमई में 20 ठाकुरों को लाइन में खड़ा करके मारी गोली मार दी। इस घटना ने फूलन देवी का नाम बच्चे की ज़ुबान पर ला दिया था। फूलन देवी का कहना था उन्होंने ये हत्याएं बदला लेने के लिए की थीं।

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कहा जाता था कि फूलन देवी का निशाना बड़ा अचूक था और उससे भी ज़्यादा कठोर था उनका दिल। उनके जीवन पर कई फ़िल्में भी बनीं लेकिन पुलिस का डर उन्हें हमेशा बना रहता था। साथ ही ख़ासकर ठाकुरों से उनकी दुश्मनी थी इसलिए उन्हें अपनी जान का ख़तरा हमेशा महसूस होता था। चंबल के बीहड़ों में पुलिस और ठाकुरों से बचते-बचते शायद वह थक गईं थीं इसलिए उन्होंने हथियार डालने का मन बना लिया।

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1994 में जेल से रिहा होने के बाद वे 1996 में सांसद चुनी गईं। समाजवादी पार्टी ने जब उन्हें लोक सभा का चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया तो काफ़ी हो हल्ला हुआ कि एक डाकू को संसद में पहुँचाने का रास्ता दिखाया जा रहा है। वह दो बार लोकसभा के लिए चुनी गईं। लेकिन 2001 में केवल 38 साल की उम्र में दिल्ली में उनके घर के सामने फूलन देवी की हत्या कर दी गई थी। खुद को राजपूत गौरव के लिए लड़ने वाला योद्धा बताने वाले शेर सिंह राणा ने फूलन की हत्या के बाद दावा किया था 1981 में मारे गए सवर्णों की हत्या का बदला लिया है।

Posted by- Gaurav Shukla

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