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यूपी में अब गाड़ियों पर नहीं लिख सकेंगे अपनी जाति, कट रहा चालान

[Edited By: Rajendra]

Monday, 28th December , 2020 12:45 pm

उत्तर प्रदेश की राजनीति और सामाजिक व्यवस्था में जातीय समीकरण बेहद अहम माने जाते हैं. इसकी झलक दोपहिया और चारपहिया वाहनों पर भी गाहे-बगाहे देखने को मिल जाती है. आमतौर पर लोग अपनी गाड़ियों के नेमप्लेट पर जाट, यादव, गुर्जर, क्षत्रिय, राजपूत, पंडित, मौर्य जैसे जाति-सूचक नाम लिखवा कर चलते हैं. लेकिन अब ऐसा करने वालों पर सरकार सख्त कार्रवाई करेगी. यूपी सरकार अब जातिसूचक स्टीकर लगे होने पर गाड़ियों को सीज करने की कार्यवाई करेगी. साथ ही ऐसे वाहन मालिकों का चालान भी किया जायेगा.

दरअसल, केंद्र सरकार को लगातार ऐसी शिकायतें मिल रही थीं, जिसमें ये कहा जा रहा था कि गाड़ियों मे जातिसूचक स्टीकर लगाने का प्रचलन ज़्यादा है. जिसके सांकेतिक अर्थ एक-दूसरी जातियों को कमतर दिखाने के लिये भी किया जाता है. लिहाजा सभ्य समाज के लिये ऐसी परंपरा ठीक नहीं है. इसी के आधार पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने यूपी सरकार को पत्र लिखकर इस प्रथा पर रोक लगाने का निर्देश दिया है. इसके बाद योगी सरकार ने इस आशय के आदेश प्रदेश के सभी जनपदों के परिवहन अधिकारियों को जारी कर दिए हैं. जिसके बाद से यूपी के तमाम जिलों में ऐसे वाहनों के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा.

अगर आपने भी अपनी गाड़ी पर अपनी जाति या धर्म से जुड़ा स्टीकर लगाया है तो सावधान हो जाइए। जानकारी के मुताबिक पीएमओ के निर्देश के बाद यूपी सरकार शुरुआत में लोगों को ऐसा करने से रोकने के लिये जागरूकता अभियान भी चलाएगी। ये अभियान प्रदेशभर में चलाए जाएंगे. इसके बाद भी अगर लोग नहीं सुधरे तो जाति-सूचक नेमप्लेट लगाकर चलने वालों का चालान किया जाएगा. साथ ही उनके वाहनों को सीज करने की कार्रवाई भी की जायेगी.

राजधानी लखनऊ में प्रतिबंध के बाद पहला चालान कानपूर निवासी आशीष सक्सेना का कटा है. उन्होंने अपनी गाड़ी के पीछे 'सक्सेना जी' लिखा था. पुलिस ने मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 177 के तहत चालान काटा। आखिर धारा 177 क्या है? एक्सपर्ट्स के मुताबिक मोटर व्हीकल एक्ट में कुल 217 धाराएं, जिसमें से यह एक है. इसमें यह प्रावधान है कि अगर कोई व्यक्ति ऐसे प्रावधानों का उल्लंघन करता है, जिसके लिए मोटर व्हीकल एक्ट में कोई जुर्माना निर्धारित नहीं है. ऐसे में उसपर धारा 177 लगाई जाएगी। इसके अलावा सरकार द्वारा समय-समय पर नोटिफिकेशन के तहत जो अन्य बदलाव या प्रतिबंध लगाए जाते हैं और उसके लिए भी जुर्माना तय नहीं है तो सेक्शन 177 के तहत ही पेनाल्टी ली जाती है. इसके तहत पहली बार गलती करने पर दो हजार का जुर्माना है. दूसरी बार या बार-बार उल्लंघन करने पर चार हजार रुपए का जुर्माना है.

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