कांग्रेस नेता राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' सिर्फ तीन दिन ही उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में रही। इतना ही नहीं, उनकी यात्रा में ना तो अखिलेश यादव और ना ही मायावती शामिल हुईं। इसके बावजूद, कांग्रेस पार्टी के तमाम बड़े नेता और कार्यकर्ता दावा कर रहे हैं कि लोगों से मिल रही प्रतिक्रिया उत्साहित करने वाली है। इसका सबसे बड़े कारण लोनी बॉर्डर से कैराना तक की यात्रा में बड़े पैमाने पर शामिल हुए मुसलमानों की भीड़ है। कांग्रेस के एक नेता ने कहा, 'पश्चिमी यूपी के जिन जिलों से भारत जोड़ो यात्रा गुजरी उनमें मुस्लिम आबादी अच्छी खासी है। मदरसे के बच्चों से लेकर बुर्का पहनी औरतें और उलेमा तक राहुल गांधी के साथ चलते या फिर इंताजर करते दिखे।
राहुल गांधी ने जब कन्याकुमारी से भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत की थी, तब पहले ही दिन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके पार्टी के अध्यक्ष एमके स्टालिन उनके साथ नजर आए। उन्होंने राहुल गांधी को यात्रा के लिए शुभकामनाएं दीं और तिरंगा सौंपकर उनकी यात्रा के बड़े उद्देश्य को प्रतिबिंबित भी किया। इसके बाद से अब तक शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे और प्रियंका चतुर्वेदी, एनसीपी नेता सुप्रिया सुले, डीएमके नेता कनीमोझी और नेशनल कांफ्रेंस नेता फारुक अब्दुल्ला भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ खड़े दिखाई पड़े हैं।
लेकिन उत्तर भारत के राजनीतिक दलों ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से अब तक दूरी बनाए रखी है। समाजवादी पार्टी, बसपा, आरएलडी, आम आदमी पार्टी और बिहार में बेहद प्रभावशाली जदयू ने यात्रा को नैतिक समर्थन तो दिया है, लेकिन उनके किसी नेता को अब तक यात्रा में राहुल गांधी के साथ खड़े नहीं देखा गया। इसका कारण क्या है? क्या केवल राहुल के साथ खड़े होने से इन राजनीतिक दलों को अपनी राजनीतिक जमीन कांग्रेस के हाथों गंवाने का डर है?
राजनीतिक विश्लेषक सैयद कासिम ने कहा कि राहुल बीजेपी-आरएसएस पर लगातार हमले कर मुस्लिम समुदाय तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी पार्टी मुसलमानों के लिए नहीं बोल रही है, लेकिन राहुल गांधी ऐसा कर रहे हैं।
राहुल की यात्रा में शामिल हुए मुसलमानों की भीड़ समाजवादी पार्टी की चिंता बढ़ाने वाली है। अखिलेश यादव की पार्टी यादवों के साथ-साथ मुसलमानों को भी अपना मुख्य वोट बैंक मानकर चलती है। इस मामले पर सपा प्रवक्ता सुनील सिंह साजन कहते हैं, ''हम कांग्रेस से नहीं लड़ रहे हैं। हमारी लड़ाई बीजेपी से है।
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव भले ही 2027 में होने वाले हैं, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में यूपी की अहम भूमिका साबित होने वाली है। कांग्रेस ने बसपा और समाजवादी पार्टी को राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने के लिए निमंत्रण भेजा था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया।
कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का असली उद्देश्य 2024 में पार्टी की बेहतर पोजिशनिंग के लिए है। इसके जरिए कांग्रेस राहुल गांधी की छवि मजबूत करना चाहती है। लेकिन विपक्ष के कई नेता स्वयं विपक्षी खेमे का नेतृत्व करना चाहते हैं, वे राहुल के साथ खड़े होकर अभी से उन्हें विपक्ष के सर्वमान्य नेता के तौर पर अपनी स्वीकृति नहीं देना चाहते। यही कारण है कि इन नेताओं ने भारत जोड़ो यात्रा को अपना नैतिक समर्थन तो दिया है, लेकिन वे राहुल के साथ खड़े होने से बच रहे हैं।
शिवसेना, एनसीपी, नेशनल कांफ्रेंस और डीएमके जैसी पार्टियां और इसके नेता स्वयं विपक्ष के नेतृत्वकर्ता की भूमिका में अपने आपको नहीं देख रही हैं, यही कारण है कि वे खुलकर राहुल गांधी के साथ खड़ी हो रही हैं। इनमें से कई दल पहले ही कांग्रेस के साथ गठबंधन सरकार चला चुके हैं, लिहाजा उनके कांग्रेस के साथ आने में कोई परेशानी भी नहीं है।