जम्मू कश्मीर के कठुआ में 2018 में एक बालिका के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले की जांच करने वाले विशेष जांच दल (एसआईटी) के छह सदस्यों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किये जाने के निर्देश वहां की कोर्ट ने पुलिस को दिए हैं. 7 नवंबर से पहले अनुपालन रिपोर्ट दर्ज करने का निर्देश दिया गया है.
प्रथम दृष्टया में अदालत ने पाया कि चश्मदीद गवाहों के खिलाफ संज्ञेय अपराध किए गए और उन्हें कथित तौर पर गलत बयान देने के लिए मजबूर किया गया. जम्मू एसएसपी को 11 नवंबर तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा गया है. बता दें कि जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ पिछले साल गैंगरेप के बाद हत्या कर दी गई थी. मामले की सुनवाई पठानकोट के अदालत में चल रही थी. कोर्ट ने 7 में से 6 आरोपियों को दोषी करार दिया. तीन आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई. वहीं तीन आरोपियों को 5-5 साल की सजा मिली. सातवें आरोपी विशाल मुख्य दोषी सांजी राम के बेटे को बरी कर दिया गया.
कठुआ के गांव रासना के आसपास अल्पसंख्यक बकरवाल समुदाय के कुछ परिवार आकर बस गए थे. मंदिर का सेवादार सांजीराम इन लोगों को गांव से हटाना चाहता था. उसी ने यह पूरी साजिश रची थी. राजस्व अधिकारी के पद से रिटायर सांजी राम पड़ोसी की 8 साल की बच्ची को रोज पशुओं को चराने के लिए जंगल जाते देखता था. हैवान के मन में पाप जाग गया और उसने अपने भतीजे को भी इस पाप में शामिल कर लिया था.
12 जनवरी को बच्ची के पिता ने हीरानगर थाने में अपनी बेटी के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई. जांच की जिम्मा विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजूरिया को दिया गया. इसकी टीम में एएसआई प्रवेश कुमार, सुरिंदर कुमार और हेड कॉन्टेबल तिलक राज भी शामिल थे. इस बीच सांजी का भतीजा मेरठ में अपने दोस्त विशाल जंगोत्रा को फोन करके बच्ची से रेप करने के लिए कठुआ बुलाया.