कम समय में बड़ी सफलता हासिल करने भारतीयों की अगर कोई लिस्ट तैयार की जाये तो उसमें टी सीरीज के संस्थापक गुलन कुमार का नाम टॉप-10 में जरूर आ जायेगा. गुलशन कुमार ने सुपर कैसेट्स इंडस्ट्रीस लिमिटेड को शुरू कर म्यूजिक इंडस्ट्री में क्रांति ला दी थी. सुपर कैसेट्स कंपनी टी-सीरीज के लेबल से अपने ऑडियो और वीडियो कैसेट्स लॉन्च कर 90 के दशक में 65 पर्सेंट का मार्केट शेयर अपने पास रखती थी. यही सफलता गुलन कुमार की हत्या की वजह गई.
गुलशन कुमार का जन्म 5 मई 1951 को दिल्ली के एक पंजाबी अरोड़ा परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम चंद्रभान दुआ था जो दिल्ली के दरियागंज बाजार में एक फ्रूट जूस विक्रेता थे. गुलशन कुमार का असली नाम गुलशन दुआ था, लेकिन बाद में उन्होंने इसे कुमार कर लिया.
गुलशन के शुरुआती कैरियर की बात करें तो गुलशन अपने पिता के साथ दिल्ली की दरियागंज मार्केट में जूस की दुकान चलाते थे. इसके बाद ये काम छोड़ उन्होंने दिल्ली में ही कैसेट्स की दुकान खोली जहां वो सस्ते में गानों की कैसेट्स बेचने लगे. दिल्ली में ज्यादा कैसेट्स का चलन न होने की वजह से उन्होंने मुबंई में अपना किस्मत आजमानें की कोशिश की. जहां उन्हें सफलता मिली.
उन्होंने अपना खुद का सुपर कैसट इंडस्ट्री नाम से ऑडियो कैसट्स ऑपरेशन खोला. जिसे आज दुनिया टी-सीरीज से जानती है. गुलशन कुमार ओरिजिनल गानों को दूसरी आवाजों में रिकॉर्ड कर कम दामों में कैसेट बेचा करते थे. जहां अन्य कंपनियों की कैसेट 28 रुपए में मिलती थी, गुलशन कुमार उसे 15 से 18 रुपए में बेचा करते थे. इस दौरान उन्होंने भक्ति गानों को भी रिकॉर्ड करना शुरू किया और वो खुद भी वो गाना गाया करते थे.
गुलशन कुमार 1992-93 में सबसे ज्यादा टैक्स देने वालों में से थे. ऐसा माना जाता है कि गुलशन ने मुंबई के अंडरवर्ल्ड की जबरन वसूली की मांग के आगे झुकने से मना कर दिया था, जिसके कारण उनकी हत्या कर दी गई. बता दें कि 12 अगस्त 1997 की सुबह गुलशन कुमार हर रोज की तरह अपने एक नौकर के साथ पूजा की सामग्री लेकर मुंबई स्थित लोखंडवाला कॉम्प्लेक्स के अपने घर से थोड़ी दूर पर स्थित शिव मंदिर में पूजा करने के लिए निकले. उस दिन उनके साथ उनका बॉडीगार्ड भी नहीं था.
गुलशन कुमार ने अपने धन का एक हिस्सा समाज सेवा के लिए दान करके एक मिसाल कायम किया. उन्होंने वैष्णो देवी में एक भंडारे की स्थापना की जो तीर्थयात्रियों के लिए नि: शुल्क भोजन उपलब्ध कराता है. गुलशन कुमार के जीवन पर आधारित एक फिल्म भी बनने जा रही है. फिल्म का नाम मुगल रखा गया है. गुलशन के रोल के लिए आमिर खान का नाम सामने आया है.
गुलशन कुमार की हत्या के बाद उनका पूरा परिवार बिखर चुका था और सारी जिम्मेदारी बेटे भूषण कुमार पर आ गई. भूषण ने पिता के मेहनत से खड़े किए कारोबार को संभाला और आज टी-सीरीज भारत की सबसे बड़ी म्यूजिक कंपनियों में से एक है.
क्राइम रिपोर्टर से क्राइम फिक्शन लेखक बने एस हुसैन जैदी की एक किताब है 'डोगरी टू दुबई', जिसमें मुंबई अंडरवर्ल्ड के छह दशकों का लेखा-जोखा है. इसमें मुंबई अंडरवर्ल्ड और हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के रिश्तों का ताना-बाना भी देखने को मिलता है. इस किताब में करीम लाला, हाजी मस्तान से लेकर दाउद इब्राहिम, अरुण गवली और अबु सलेम पर भी रोचक जानकारियां दी गई हैं. इस किताब में कैसेट किंग के नाम से विख्यात गुलशन कुमार और अबु सलेम पर भी कुछ जानकारी है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भाड़े के हत्यारों ने गुलशन कुमार के शरीर को गोलियों से भींद डाला था. यही नहीं, मोबाइल का स्पीकर ऑन कर कथित तौर पर अबु सलेम को गुलशन कुमार की चीखें सुनाई थीं. इसके पहले अबु सलेम पर गुलशन कुमार से 10 करोड़ रुपए फिरौती मांगने का आरोप लगा था. बाद में गुलशन कुमार हत्याकांड से संगीतकार नदीम सैफी और टिप्स कंपनी के रमेश तौरानी के नाम भी जुड़े. संगीतकार नदीम सैफी तो उसके बाद से ही लंदन जाकर बस गए.बाद में दाऊद के गुर्गे कहे जाने वाले अब्दुल रऊफ को कैसेट किंग की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया और सजा सुनाई गई.