बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एक बार फिर मायावती को चुना गया है। लखनऊ के माल एवेन्यू में आयोजित बसपा पार्टी कार्यालय में यह फैसला लिया गया। बसपा के राष्ट्रीय महासचिव व सांसद सतीश चंद्र मिश्रा ने सभी जरूरी प्रक्रियाओं को पूरा किया। इसके बाद बैठक में मौजूद सभी लोगों ने तालियां बजाकर मायावती के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने का स्वागत किया। इस पर मायावती ने सभी के प्रति आभार जताया।
बैठक के दौरान विधानसभा उपचुनाव के प्रत्याशियों के नामों पर मुहर लग गई। बसपा ने सभी 13 सीटों पर विधानसभा उप चुनाव लड़ेगी, जिसमें से 12 प्रत्याशियों के नाम घोषित कर दिए गए। केवल जलालपुर विधानसभा से प्रत्याशी घोषित नहीं किया गया। बैठक में यह तय किया गया कि बसपा विधानसभा उपचुनाव में इन सीटों पर लड़ेगी....
हमीरपुर-नौशाद अली
जैदपुर (बाराबंकी)-अखिलेश अम्बेडकर
मानिकपुर (चित्रकूट)- राज नारायण निराला
प्रतापगढ़-रणजीत सिंह पटेल
घोषी-कयूम अंसारी
बलहा (बहराइच)- रमेश गौतम
टुंडला-सुनील चित्तौर
रामपुर सदर-जुबेर अहमद
एगलस-अभय कुमार
लखनऊ कैंट -अरुण द्विवेदी
गोविंद नगर (कानपुर)- देवी प्रसाद तिवारी
जलालपुर और गंगोह बाद में घोषित होगा।
भीड़तंत्र की हिंसा पर बीएसपी प्रमुख मायावती का कहना है कि सरकार इस संबंध में कड़े कानून लाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में मॉब लिंचिंग एक नए रूप में सामने आ रहा है। अब निर्दोष महिलाएं भी भीड़ का शिकार हो जा रही हैं। बच्चा उठाने वाले गिरोह के नाम उन महिलाओं में डर बैठ गया जो किसी न किसी वजह से भीड़तंत्र का शिकार हो जा रही हैं। राज्य सरकार को ऐसे तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की आवश्यकता है।
मायावती ने हाल ही में गाजियाबाद के लोनी का जिक्र किया जहां एक महिला को बच्चा चोरी के शक में भीड़ ने मारपीट की थी। शुरुआती जांच में यह पाया गया कि पीड़ित महिला अपने पोते के साथ दुकान से सामान खरीद रही थी। भीड़ ने उस महिला को सिर्फ इसलिए निशाने पर ले लिया था क्योंकि फेसबुक पर बच्चा चुराने वाले गिरोह से संबंधित वीडियो वायरल हो गया था। इसी तरह की घटना यूपी के शामली में घटी थी। करीब पांच महिलाओं के साथ उस समय मारपीट की गई जब वो अपने सामान को बेचने के लिए आई थीं। महिलाओं का कहना था कि वो गुजरात से व्यापार के सिलसिले में आई थीं। लेकिन लोगों को लगा कि वो बच्चा चुराने वाली गिरोह से हैं।
भीड़तंत्र की हिंसा से कोई खास राज्य प्रभावित नहीं हैं। दरअसर मॉब लिंचिंग के मामले करीब करीब सभी राज्यों से आए हैं। ये बात अलग है कि विपक्षी दल इस तरह की प्रवृत्ति के लिए बीजेपी के विचारधारा को जिम्मेदार ठहराते हैं। हाल ही में राजस्थान के अलवर का पहलू हत्याकांड में आया फैसला सुर्खियों में रहा। निचली अदालत ने पुख्ता सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को रिहा करने का फैसला किया था जिसकी आलोचना भी हुई थी। मायावती ने खासतौर पर राजस्थान सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि पहलू के गुनहगारों की इसलिए सजा नहीं मिली क्योंकि गहलोत शासन की तरफ से पुख्ता पैरवी नहीं की गई थी।