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सड़क हादसे ने बदली मानसी की जिंदगी, पैर कटा पर हिम्मत नहीं हारी और जीता देश के लिए गोल्ड मेडल

[Edited By: Admin]

Thursday, 5th September , 2019 02:18 pm

ये हैं वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड जीतने वाली मानसी जोशी। मानसी ने BWF पैरा बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है। गोल्ड जीतने के बाद मानसी ने कहा, “मेरी कड़ी मेहनत सफल हुई।” 2011 में हुए सड़क हादसे में मानसी ने अपना बायां पैर खो दिया था. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और खेलना जारी रखा। 30 साल की मानसी ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की है। 9 साल की उम्र से ही वो बैडमिंटन खेल रही हैं। स्विट्ज़रलैंड में पीवी सिंधु के साथ मानसी ने भी इतिहास रचा था। गोल्ड मेडल जीतने पर मानसी को देश भर से मिल रही है बधाई।


महाराष्ट्र की रहने वाली मानसी की रुचि बचपन से ही इस खेल में रही। पिता भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में थे। पढ़ाई के दौरान जिला स्तर पर बैडमिंटन खेल चुकी थीं। लेकिन 2011 में ट्रक से हुए एक सड़क हादसे ने उनके जीवन को बदल दिया। हादसे के बाद उन्हें अस्पताल पहुंचाने में तीन घंटे लग गए। हाथ भी फ्रैक्चर था। 10 घंटे बाद ऑपरेशन थियेटर पहुंचाई गईं, जहां 12 घंटे सर्जरी चली, पैर को काटकर उनका जीवन बचाया गया।

इसके बाद करीब 50 दिन अस्पताल में रहने के बाद वे लौटीं। इन विषम हालात में भी उन्हाेंने खेल से अपना नाता कायम रखने का निर्णय लिया। वे बताती हैं कि, ‘उस समय केवल यही सोच रही थीं कि एक पैर ही गंवाया है, अगर दौड़ लायक नहीं रही, तो भी कोई बात नहीं।’ चार महीने बाद वे कृत्रिम पैर लगाकर फिर मैदान में थीं। 2014 तक वे पेशेवर खिलाड़ी बन चुकी थीं। मानसी ने पुलेला गोपीचंद अकादमी हैदराबाद में प्रशिक्षण शुरू किया, परिवार ने भी पूरा साथ दिया।

इसका परिणाम 2017 में कोरिया में हुई विश्व चैंपियनािश्प में कांस्य और अब बीडब्ल्यूएफ पैरा वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीत के रूप में सामने आया। मानसी ने ट्वीट कर बताया कि इस जीत के हर कतरे के लिए उन्हाेंने काफी परिश्रम किया। साथ ही अपने कोचिंग स्टाफ और गोपीचंद का भी आभार जताया। अब मानसी का लक्ष्य 2020 में होने जा रहे टोक्यो पैरा ओलंपिक्स में जीत हासिल करना है।

दिव्प्यांगों से निवेदन, पैरा स्पोर्ट्स अपनाएं
वहीं एक सम्मान समारोह में मानसी ने कहा सभी दिव्यांगजन पैरा स्पोर्ट्स में रुचि लें। कम से कम एक खेल में खुद को आजमाएं। ऐसा करके वे बाकियों से कुछ अलग काम कर पाएंगे। मानसी के अनुसार इस काम में चिकित्सकों और परिवार का उन्हें पूरा सहयोग और प्रोत्साहन मिला, उम्मीद है सभी को ऐसा सहयोग मिलेगा।

‘दिन में तीन दफा प्रशिक्षण, फिटनेस पर फोकस’
मानसी के अनुसार वे पदक जीतने से पहले कड़े परिश्रम से गुजरी। दिन में तीन दफा प्रैक्टिस सेशन होते थे, जिन्हें वे कभी नहीं छोड़तीं। उन्हाेंने अपनी फिटनेस पर फोकस किया और इस वजह से जहां वजन करने में मदद मिली, मांसपेशियां भी मजबूत हुईं। वहीं एक हफ्ते में छह सेशन जिम में व्यायाम को दिए।

पीएम ने कहा, ‘प्रेरणादायी प्रदर्शन’
मानसी को उनकी टीम के साथ केंद्र खेल मंत्री द्वारा मंगलवार को सम्मानित किया गया। वहीं पीएम नरेंद्र मोदी ने बुधवार को मानसी और उनकी टीम को बधाई देते हुए ट्वीट में लिखा, ‘130 करोड़ भारतवासी बीडब्ल्यूएफ विश्व चैंपियनशिप 2019 में भारतीय पैरा बैडमिंटन टीम के प्रदर्शन और उनके द्वारा जीते गए 12 पदकों पर गर्व करते हैं। टीम के हर सदस्य को बधाई, उनकी जीत प्रेरणादायी है।’

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