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मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा दिया

[Edited By: Rajendra]

Saturday, 1st October , 2022 12:43 pm

कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के लिए शुक्रवार को शशि थरूर, मल्लिकार्जुन खड़गे और केएन त्रिपाठी ने नामांकन पत्र दाखिल किया. दिग्विजय सिंह ने आज खुद को इस रेस से अलग कर लिया. इन नामों में खड़गे ही ऐसे नेता हैं, जो कट्टर कांग्रेसी और गांधी परिवार के बेहद करीबी माने जाते हैं. माना जा रहा है कि खड़गे के चुनाव जीतने की संभावना ज्यादा है. अगर ऐसा हुआ तो कांग्रेस में 51 साल पुराना इतिहास दोहराया जाएगा.

कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव लड़ रहे मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है. सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक उन्होंने राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जदगीप धनखड़ को अपना इस्तीफा सौंपा है. आपको बता दें कि उन्होंने कल ही अपना नामांकन दर्ज कराया था. इस दौरान कांग्रेस के कई बड़ी नेता उनका समर्थन करने के लिए उपस्थित रहे. ऐसे में उनकी जीत की संभावना काफी प्रबल है.

मल्लिकार्जुन खड़गे ने करीब डेढ़ साल पहले फरवरी 2021 में राज्यसभा में नेता विपक्ष का पद संभाला था. पार्टी अध्यक्ष चुने जाने के बाद खड़गे को राज्यसभा में विपक्ष के नेता के पद से इस्तीफा देना ही होता. अब खड़गे की जगह नया नेता विपक्ष बनना तय है. इस दौड़ में वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम, दिग्विजय सिंह और केसी वेणुगोपाल सहित कई नेता शामिल हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने का शुक्रवार को आखिरी दिन था. कुल तीन नेताओं ने अध्यक्ष पद के लिए दावा ठोका है. कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव अथॉरिटी के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे ने 14 फॉर्म, शशि थरूर ने 5 और केएन त्रिपाठी ने 1 फॉर्म जमा किए गए हैं.

खड़गे के गांधी परिवार, खासकर राहुल गांधी से अच्छे रिश्ते हैं. अभी तक माना जा रहा है कि तीनों नेताओं में मल्लिकार्जुन खड़गे को एक मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा है. इस अगर चुनाव में खड़गे जीत जाते हैं तो कांग्रेस को 51 साल बाद एक दलित अध्यक्ष मिलेगा.

बाबू जगजीवन राम के बाद खड़गे कांग्रेस में दूसरे दलित अध्यक्ष होंगे. जनजीवन राम 1970 से 1971 तक कांग्रेस के अध्यक्ष थे. 1970 में बाबू जगजीवन राम आजादी के बाद कांग्रेस के पहले दलित अध्यक्ष बने थे.

मल्लिकार्जुन खड़गे अभी राज्यसभा में विपक्ष के नेता हैं. जिस दिन उनका 80वां जन्मदिन था, उस दिन वो संसद से सड़क पर उतर आए थे. केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन और नारेबाजी कर रहे थे. बाद में दिल्ली पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया. तब कांग्रेस के एक सीनियर नेता ने कहा, 'ये मल्लिकार्जुन खड़गे हैं, जो एक ठोस कांग्रेसी हैं. वो सड़क पर लड़ रहे हैं और कांग्रेस की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत हैं.'

मल्लिकार्जुन खड़गे अभी राज्यसभा में विपक्ष के नेता हैं. जिस दिन उनका 80वां जन्मदिन था, उस दिन वो संसद से सड़क पर उतर आए थे. केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन और नारेबाजी कर रहे थे. बाद में दिल्ली पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया. तब कांग्रेस के एक सीनियर नेता ने कहा, 'ये मल्लिकार्जुन खड़गे हैं, जो एक ठोस कांग्रेसी हैं. वो सड़क पर लड़ रहे हैं और कांग्रेस की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत हैं.'

मल्लिकार्जुन खड़गे कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं. खड़गे का लगातार 10 चुनाव जीतने का ट्रैक रिकॉर्ड है. वह 8 बार विधायक और 2 बार लोकसभा सांसद रहे हैं. अभी राज्यसभा के सदस्य हैं. अपने राजनीतिक जीवन में वो सिर्फ एक बार 2019 में लोकसभा चुनाव हारे हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए 22 सितंबर को अधिसूचना जारी की गई. 24 सितंबर से नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए प्रक्रिया शुरू हुई थी, जो 30 सितंबर को खत्म हो गई. नामांकन पत्र वापसी की प्रक्रिया 4 अक्टूबर से शुरू होगी. नामांकन वापसी की अंतिम तिथि आठ अक्टूबर है. इसके बाद एक से अधिक उम्मीदवार होने पर 17 अक्टूबर को मतदान होगा और परिणाम 19 अक्टूबर को घोषित किये जाएंगे.

रिकॉर्ड से पता चलता है कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए पहला सीरियस कंटेस्ट 1939 में सुभाष चंद्र बोस और पट्टाभि सीतारामय्या के बीच हुआ था. बाद में गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने समर्थन दिया, लेकिन बोस जीत गए.

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