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महाराष्ट्र का पॉलिटिकल नाटक: SC में कल तक टली फ्लोर टेस्ट सुनवाई, सीटों के गणित से फिर पलट सकती 'सत्ता की बाजी'

[Edited By: Admin]

Sunday, 24th November , 2019 01:20 pm

देश भर में सुर्खियों का कारण बना महाराष्ट्र का पॉलिटिकल नाटक जारी है. सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने याचिका दाखिल कर महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के उस आदेश को रद्द करने की मांग की है, जिसमें उन्होंने सूबे में सरकार बनाने के लिए देवेंद्र फडणवीस को आमंत्रित किया था. इस मामले पर जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने सुनवाई की. शीर्ष कोर्ट ने सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है. अब इस मामले पर सोमवार सुबह 10.30 बजे सुनवाई होगी.

आपको बता दें शनिवार को देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री और अजित पवार ने उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, जिसका शिवसेना-कांग्रेस और एनसीपी ने विरोध किया. अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है.

कंपोजिट फ्लोर टेस्ट हो जाए-सिंघवीशिवसेना

एनसीपी-कांग्रेस की तरफ से दलील रख रहे सिंघवी ने कोर्ट से कहा कि कंपोजिट फ्लोर टेस्ट हो जाए. समर्थन पत्र पर 41 विधायकों के दस्तखत हैं लेकिन DCM अपने समर्थन में एनसीपी के 51 विधायकों का दावा करते रहे. कोर्ट आज कल जब सुविधा हो फ्लोर टेस्ट करा सकता है.

शरद पवार ने बचा ली पार्टी?

अगर एनसीपी के दावे को सही माना जाए तो पार्टी में बड़ी टूट का संकट खत्म हो गया है, ऐसे में एनसीपी का बड़ा सिरदर्द तो दूर हो गया और यह सिरदर्द बीजेपी के ऊपर आ गया. बीजेपी के पास 288 सदस्यीय विधानसभा में 105 विधायक ही हैं. सरकार को बहुमत साबित करने के लिए कम से कम 145 विधायकों का समर्थन चाहिए और लेकिन वह इस जादुई अंक से 40 कदम दूर है.

सीटों का गणित?

पिछले महीने हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जहां 105 सीटें मिली थी तो शिवसेना को 56, कांग्रेस को 44 और एनसीपी को 54 सीटें मिली थीं. शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस मिलकर सरकार बनाने की तैयारी में जुटी थी. एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने दावा किया कि इस गठबंधन के पास 156 से ज्यादा विधायक हैं और निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी हासिल है. इस तरह से हमारे पास करीब 170 विधायकों का समर्थन है.

बीजेपी की अगली चाल पर नजर

अगर सबकी नजर देश की सबसे बड़ी अदालत की ओर लगी है कि वहां से किस तरह का फैसला आता है. अगर कोर्ट जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट कराने को कहता है तो बीजेपी के लिए यह जादुई आंकड़ा जुटाना बेहद कठिन होगा. पिछले साल कर्नाटक में फ्लोर टेस्ट में किरकिरी का सामना करने के बाद बीजेपी चाहेगी कि फिर इस तरह की अप्रिय स्थिति का सामना न करना पड़े.
हालांकि बीजेपी की अगली चाल क्या होगी यह किसी को नहीं मालूम, लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति कर्नाटक की राजनीति से ज्यादा दिलचस्प होती जा रही है. सबकी नजर अब बीजेपी की उस अगली चाल पर है जो उसको सत्ता में बनाए रखे.

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