प्रयागराज-जाने-माने साहित्यकार पदमश्री शम्सुर रहमान साहब के इंतकाल हो जाने से न सिर्फ प्रयागराज बल्कि संपूर्ण भारतवर्ष के साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। उर्दू साहित्य के प्रसिद्ध कवि और लेखक पद्मश्री शम्सुर रहमान का शुक्रवार सुबह 85 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने प्रयागराज स्थित अपने घर में अंतिम सांस ली। बीते दिनों शम्सुर रहमान कोरोना पॉजिटिव हुए थे। लेकिन, इससे उबरने के बाद उनकी सेहत लगातार बिगड़ती जा रही थी।
डॉक्टरों की सलाह पर शुक्रवार को ही एयर एंबुलेंस से बड़ी बेटी वर्जीनिया में प्रोफेसर मेहर अफशां और भतीजे महमूद गजाली नई दिल्ली से उन्हें इलाहाबाद लेकर पहुंचे थे। घर पहुंचने के करीब 1 घंटे बाद ही सुबह साढ़े 11 बजे उनकी सांसें थम गईं। शम्सुर रहमान के निधन से प्रयागराज समेत पूरा साहित्य जगत दुखी है। निधन की खबर सुनकर न्याय मार्ग स्थित आवास पर करीबियों-शुभचिंतकों के आने का सिलसिला जारी है।
साहित्यकार शम्सुर रहमान का जन्म 30 सितंबर 1935 में प्रयागराज में हुआ था। उन्होंने 1955 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में (MA) की डिग्री ली थी। उनके माता-पिता अलग-अलग पृष्ठभूमि के थे। पिता देवबंदी मुसलमान थे, जबकि मां का घर काफी उदार था। उनकी परवरिश उदार वातावरण में हुई। वह मुहर्रम और शबे बारात के साथ होली भी मनाते थे। शम्सुर फारुकी कवि, उर्दू आलोचक और विचारक के रूप में प्रख्यात हैं। उनको उर्दू आलोचना के टीएस इलिएट (ब्रिटिश कवि) के रूप में माना जाता है। सिर्फ यही नहीं उन्होंने साहित्यिक समीक्षा के नए प्रारूप भी विकसित किए हैं। इनके द्वारा रचित एक समालोचना 'तनकीदी अफकार' के लिए 1986 में साहित्य अकादमी पुरस्कार (उर्दू) से भी सम्मानित किया गया। सरकार ने 2009 में उन्हें 'पद्म श्री' से सम्मानित किया था।