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पार्टी अध्यक्ष पद के लिए गांधी परिवार की पसंद खड़गे ही हैं

[Edited By: Rajendra]

Tuesday, 4th October , 2022 01:45 pm

कांग्रेस का अगला अध्यक्ष कौन होगा यह तस्वीर लगभग साफ है। अध्यक्ष पद के लिए मुकाबले में सिर्फ दो नाम मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर का है। शशि थरूर नामांकन वापस नहीं लेंगे ऐसे में यह क्लियर है कि 17 अक्टूबर को चुनाव होगा। चुनाव से पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से कहा जा चुका है कि वह इस चुनाव में तटस्थ की भूमिका में रहेंगी। इसका मतलब यह है कि कोई भूमिका नहीं इसके बावजूद भी खड़गे को ही गांधी परिवार की पसंद का उम्मीदवार माना जा रहा है। नामांकन के दिन और उसके बाद कांग्रेस नेताओं के बयान को देखा जाए तो इसको और भी बल मिलता है। हालांकि कांग्रेस आलाकमान की पूरी कोशिश है कि वह खड़गे बनाम थरूर में किसी के साथ न दिखे। इसको कांग्रेस पार्टी की केंद्रीय चुनाव कमिटी के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री के बयानों से समझा जा सकता है। कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष पद के लिए शशि थरूर के साथ मुकाबले में मल्लिकार्जुन खड़गे के 'आधिकारिक उम्मीदवार' होने की धारणा को दूर करना चाहती है।

कांग्रेस अध्यक्ष पद प्रत्याशी शशि थरूर चुनाव के लिए सार्वजनिक बहस की बात से पलट गए हैं। अब उन्होंने कहा है कि हमारा मुकाबला भाजपा से है, आपस में नहीं। थरूर ने एक दिन पहले ही अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रहे मल्लिकार्जुन खड़गे को खुली बहस की चुनौती दी थी। खड़गे ने कहा था कि यह पारिवारिक मामला है, हमें भाजपा से लड़ना है। सोमवार सुबह थरूर ने कहा कि मैं खड़गे जी से सहमत हूं। हमारे बीच कोई वैचारिक मतभेद नहीं है।

इस बीच, कांग्रेस चुनाव प्राधिकरण के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री ने पार्टी के राष्ट्रीय व प्रदेश पदाधिकारियों को गाइडलाइन जारी की है। इसके मुताबिक राष्ट्रीय महासचिव, प्रदेश प्रभारी, सचिव, संयुक्त सचिव, प्रदेश अध्यक्ष, सदन में पार्टी के नेता, फ्रंटल संगठनों के अध्यक्ष, विभागों व सेल के प्रमुख तथा पार्टी प्रवक्ता अगर किसी प्रत्याशी का चुनाव प्रचार करना चाहते हैं तो वे पहले पद से इस्तीफा दें। दिशानिर्देशों के अनुसार पार्टी के सभी प्रदेश अध्यक्ष अपने राज्यों में उम्मीदवारों के दौरों पर शिष्टाचार के तौर पर डेलीगेट की बैठक करने पर उन्हें बैठक कक्ष, कुर्सियों और कुछ दूसरी चीजें उपलब्ध कराएंगे, लेकिन वो निजी हैसियत से इस तरह की बैठक नहीं बुला सकते। इसमें कहा गया है कि डेलीगेट की बैठक उम्मीदवार के प्रस्तावकों या समर्थकों द्वारा ही बुलाई जा सकती है।

यदि कोई पदाधिकारी प्रचार करना चाहता है तो उसे पहले अपने पद से इस्तीफा देना होगा। पार्टी के तीन प्रवक्ताओं दीपेंद्र हुड्डा, गौरव वल्लभ और सैयद नासिर हुसैन ने रविवार को पद से इस्तीफा दे दिया था ताकि वे खड़गे का प्रचार कर सकें। खड़गे और थरूर निजी हैसियत से चुनाव लड़ रहे हैं और ऐसे में डेलीगेट (निर्वाचक मंडल के सदस्य) अपनी पसंद के उम्मीदवार को वोट कर सकते हैं।

राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि पार्टी अध्यक्ष पद के लिए गांधी परिवार की पसंद खड़गे ही हैं। पार्टी की ओर से यह निर्देश इस धारणा की पृष्ठभूमि में आया है। पार्टी के प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कांग्रेस में थरूर के योगदान पर सवाल उठाकर निशाना साधा। सोमवार को मामला उस वक्त थोड़ा और बिगड़ गया जब जब तेलंगाना इकाई के प्रमुख रेवंत रेड्डी हैदराबाद में थरूर से मिलने नहीं पहुंचे। हालांकि रेड्डी ने परिवार में शोक का हवाला दिया कि थरूर के साथ बैठक क्यों नहीं हो सकी। साथ ही यह भी कहा कि खड़गे भी प्रचार के लिए राज्य में आते हैं तो वह पार्टी के पदाधिकारियों को गलती नहीं करने देंगे। इस बीच मल्लिकार्जुन खड़गे को शशि थरूर ने चुनाव के दौरान बहस की चुनौती दे डाली। वहीं खड़गे ने मामले को तूल न देते हुए कहा कि कांग्रेसियों को भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर बहस करने की जरूरत है, न कि एक-दूसरे के खिलाफ।

मल्लिकार्जुन खड़गे की जिस प्रकार चुनाव में एंट्री हुई और नामांकन के आखिरी दिन ऐन वक्त पर दिग्विजय सिंह ने अपनी दावेदारी वापस कर ली। इसके बाद खड़गे ने नामांकन दाखिल किया। थरूर और खड़गे दोनों ने ही पार्टी अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल किया लेकिन दोनों के पीछे उस वक्त कौन नेता खड़े थे, यह देख फर्क साफ पता चल जाएगा। पार्टी के सभी बड़े नेता खड़गे के समर्थन में आगे वहीं थरूर के समर्थन में कोई बड़ा नेता साथ नहीं दिखा। खड़गे को जब पार्टी के आलाकमान का कोई सपोर्ट नहीं है तो फिर एक साथ इतने नेता कैसे साथ। इस बात पर यकीन करना थोड़ा मुश्किल होगा।

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