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जिंदादिल शायर कैफी आज़मी के ये 10 शेर आपको सिखाएंगे ''जिंदगी का असली मतलब''

[Edited By: Admin]

Friday, 27th September , 2019 04:49 pm

''कर चले हम फिदा जान-ओ-तन साथियों अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों''. जैसी अमर रचनाएं लिखने वाले हिन्दी सिनेमा के दिग्गज गीतकार कैफी आज़मी जिंदादिल शायर थे। उनकी शायरी, गज़लों ने जिंदगी की तन्हाई को नए मोड़ दिए हैं। जहां से अकेला आदमी और मजबूत होकर उभरता है। संघर्ष को नियति मानते हुए कैफी अपनी शायरी में आगे बढ़ते जाते हैं।

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यहां पढ़ें कैफी की ओर से जिंदगी पर लिखी बेहतरीन रचनाएं...

इतना तो ज़िंदगी में किसी के ख़लल पड़े
हँसने से हो सुकून न रोने से कल पड़े

वीरानियाँ तो सब मिरे दिल में उतर गईं...
अब जिस तरफ़ से चाहे गुज़र जाए कारवाँ

वीरानियाँ तो सब मिरे दिल में उतर गईं
बस इक झिजक है यही हाल-ए-दिल सुनाने में
कि तेरा ज़िक्र भी आएगा इस फ़साने में

डूबेंगे हम ज़रूर मगर नाख़ुदा के साथ...
बस्ती में अपनी हिन्दू मुसलमाँ जो बस गए
इंसाँ की शक्ल देखने को हम तरस गए

गर डूबना ही अपना मुक़द्दर है तो सुनो
डूबेंगे हम ज़रूर मगर नाख़ुदा के साथ

यूँ दूसरा हँसे तो कलेजा निकल पड़े...
इंसाँ की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं
दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद

जिस तरह हँस रहा हूँ मैं पी पी के गर्म अश्क
यूँ दूसरा हँसे तो कलेजा निकल पड़े

मैं कहाँ दफ़्न हूँ कुछ पता तो चले...
कोई तो सूद चुकाए कोई तो ज़िम्मा ले
उस इंक़लाब का जो आज तक उधार सा है

रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई
तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं

बेलचे लाओ खोलो ज़मीं की तहें
मैं कहाँ दफ़्न हूँ कुछ पता तो चले

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