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झारखंड की सत्ता से BJP की विदाई, 27-28 दिसंबर को मुख्‍यमंत्री पद की शपथ लेंगे JMM के हेमंत सोरेन !

[Edited By: News Plus]

Wednesday, 8th January , 2020 02:36 pm

झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 के परिणाम आने के बाद भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका लगता दिखाई दे रहा है. झारखंड की सत्ता से BJP की विदाई के बाद अब नए मुख्यमंत्री का ताज हेमंत सोरेन के सिर बांधने की तैयारी कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) कर रही है.

आपको बता दें झारखंड विधानसभा चुनाव का जनादेश झामुमो-कांग्रेस-राजद महागठबंधन के पक्ष में आया है. स्पष्ट बहुमत के साथ झारखंड के अगले मुख्‍यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन का राजतिलक तय हो गया है. इसकी तैयारी भी शुरू कर दी गई है. हेमंत सोरेन 27-28 दिसंबर को मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मंत्रीमंडल में झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस से पांच-पांच मंत्री होंगे. हेमंत सरकार में लालू की पार्टी राजद से भी एक मंत्री को रखा जाना है. हेमंत सोरेन मंगलवार को विधायक दल की बैठक के बाद राज्‍यपाल द्रौपदी मूर्म से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे. मोरहाबादी मैदान में हेमंत सोरेन के शपथग्रहण समारोह की तैयारी शुरू कर दी गई है. हेमंत सोरेन की कैबिनेट में झामुमो, कांग्रेस से पांच-पांच और राजद से एक मंत्री हो सकते हैं.

ऐसा रहा परिणाम

कांग्रेस महागठबंधन - 47

(झामुमो 30, कांग्रेस 16, राजद 1)

भाजपा - 25

झाविमो - 03

आजसू - 02

एनसीपी - 01

भाकपा माले- 01

निर्दलीय - 02

किसे कितने वोट

दल          2014       2019

भाजपा -     31.26      33.37

झामुमो -     20.43       18.72

कांग्रेस -     10.46        13.88

झाविमो -   09.99           05.45

आजसू -   03.68            08.10

 

गठबंधन की जीत के पांच फैक्टर

  1. -चुनाव पूर्व गठबंधन.
  2. -सीटों का बेहतर बंटवारा.
  3. -स्वतंत्र तरीके से चुनाव प्रचार.
  4. -आधार वोट को साथ बनाए रखना.
  5. -साथी दलों में समन्वय.

भाजपा की हार के पांच फैक्टर

  1. -घर-घर रघुवर दास अभियान पड़ा भारी.
  2. -सरयू राय के टिकट कटने का गलत संदेश.
  3. -आदिवासी मतदाताओं की दूरी.
  4. -सीटिंग विधायकों का टिकट काटना भारी.
  5. -टिकटों के बंटवारे में गड़बड़ी

पांच चुनौतियां सरकार की

  1. -बेरोजगारों को रोजगार भत्ता.
  2. -ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण.
  3. -किसानों की कर्ज माफी.
  4. -बालिकाओं की पीजी तक मुफ्त शिक्षा.
  5. -बड़े पैमाने पर रोजगार-स्वरोजगार का सृजन.

पांच राष्ट्रीय प्रभाव

  1. -भाजपा के हाथ से एक राज्य फिसला.
  2. -बिहार और दिल्ली के आगामी विधानसभा चुनाव पर असर.
  3. -हेमंत सोरेन राष्ट्रीय स्तर पर आदिवासी चेहरा बनकर उभरे.
  4. -भाजपा को तलाशने होंगे नए मुद्दे.
  5. -भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों की एकजुटता का पैगाम.

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