इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) ने बुधवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से एडवांस्ड रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट कार्टोसैट-3 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया. यह इसरो का साल का पांचवां मिशन है. कार्टोसैट के साथ अमेरिका के 13 छोटे कमर्शियल उपग्रह भी अपनी कक्षाओं में स्थापित हुए. यह लॉन्चिंग पीएसएलवी-सी47 रॉकेट से की गई.
इसरो प्रमुख के सिवन ने सैटेलाइट के सफल प्रक्षेपण के बाद कहा, “मुझे खुशी है कि पीएसएलवी सी-47 ने कार्टोसैट-3 के साथ 13 सैटेलाइट्स को सफलतापूर्वक उनकी कक्षा में पहुंचाया. कार्टोसैट-3 हाई-रिजोल्यूशन की असैन्य सैटेलाइट है. हमारे पास 6 मार्च तक 13 मिशन कतार में हैं. इनमें 6 बड़े व्हीकल के मिशन हैं, जबकि 7 सैटेलाइट मिशन हैं.”
इसरो ने कार्टोसैट-3 सैटेलाइट को 27 नवंबर को सुबह 9.28 बजे श्रीहरिकोटा द्वीप पर स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर (SDSC SHAR) के लॉन्चपैड-2 से लॉन्च किया. कार्टोसैट-3 सैटेलाइट पीएसएलवी-सी47 (PSLV-C47) रॉकेट से छोड़ा गया. कार्टोसैट-3 पृथ्वी से 509 किलोमीटर की ऊंचाई पर चक्कर लगाएगा.
6 स्ट्रैपऑन्स के साथ यह पीएसएलवी की 21वीं उड़ान थी. जबकि, पीएसएलवी रॉकेट की यह 74वीं उड़ान थी. कार्टोसैट-3 के साथ अमेरिका के 13 अन्य नैनो सैटेलाइट भी छोड़े जाएंगे. ये सैटेलाइट्स कॉमर्शियल उपयोग के लिए हैं.
कार्टोसैट-1: 5 मई 2005
कार्टोसैट-2: 10 जनवरी 2007
कार्टोसैट-2ए: 28 अप्रैल 2008
कार्टोसैट-2बी: 12 जुलाई 2010
कार्टोसैट-2 सीरीज: 22 जून 2016
कार्टोसैट-2 सीरीज: 15 फरवरी 2017
कार्टोसैट-2 सीरीज: 23 जून 2017
कार्टोसैट-2 सीरीज: 12 जनवरी 2018
देश के इमेजिंग सैटेलाइट कार्टोसैट-3 के लॉन्च से पहले इसरो प्रमुख के. सिवन तिरुमला की पहाड़ियों पर स्थित भगवान वेंकटेश्वर के दरबार में पहुंचे. सिवन ने भगवान वेंकटेश्वर की पूजा अर्चना की.
बाद में संवाददाताओं से बातचीत में सिवन ने कहा कि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर ठीक तरह से काम कर रहा है और चंद्रमा के बारे में अहम सूचनाएं भेज रहा है. आपको बता दें कि चंद्रयान-2 को सात जुलाई को लॉन्च किया गया था. उसमें लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान भी थे. लैंडर को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी, लेकिन आखिरी वक्त में उसका भू कक्षा से संपर्क टूट गया और उसकी हार्ड लैंडिंग हुई थी और दोनों ने काम करना बंद कर दिया.