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कानपुर में जनराज्य पार्टी को तीन साल में मिले 11 करोड़ के चंदे से आयकर अफसर भी हैरान

[Edited By: Rajendra]

Thursday, 8th September , 2022 12:41 pm

कानपुर में आयकर विभाग की टीमों ने बुधवार को जनराज्य पार्टी के संस्थापक रविशंकर यादव और राष्ट्रीय अध्यक्ष अभिषेक कृष्णा के तीन प्रतिष्ठानों पर छापा मारा। पार्टी ने तीन साल में 11 करोड़ से ज्यादा का चंदा जुटाया है, जबकि कागजों में सीमित पार्टी की राजनीतिक गतिविधियां नहीं मिली हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष के आवास से 2.5 लाख रुपये कैश मिला है। दोनों पदाधिकारी मौके पर नहीं मिले तो परिजनों से पूछताछ की गई। बैंक ले जाकर खाते चेक किए। एक लॉकर भी मिला है। देरशाम तक अफसर जांच-पड़ताल करते रहे। सूत्रों ने बताया कि चुनाव आयोग के निर्देश पर आयकर विभाग ने ऐसे राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है, जो लगातार चंदा वसूल रहे हैं लेकिन चुनावी प्रक्रिया में भागीदारी नहीं रहती। पार्टी के संस्थापक रविशंकर यादव के किदवई नगर वाई ब्लॉक स्थित आवास पर छापा मारा गया। केशव नगर में भी इनके प्रतिष्ठान पर कार्रवाई हुई।

पहले यहां पार्टी का कार्यालय हुआ करता था। अधिकारियों को ऐसे कोई दस्तावेज नहीं मिले है, जिससे पता चल सके कि पार्टी की कोई राजनीतिक गतिविधियां भी हैं। काकादेव पी ब्लॉक में राष्ट्रीय अध्यक्ष अभिषेक कृष्णा के आवास पर इनके पिता मिले।

घर में छानबीन करने के बाद अफसर उन्हें सर्वोदय नगर स्थित कोऑपरेटिव बैंक और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की शाखा ले गए। बैंक खातों की जांच के साथ लॉकर भी चेक किए हैं। सूत्रों ने बताया कि जनराज्य पार्टी को 2018-19 में दो करोड़ 61 लाख 96 हजार 602 रुपये चंदा मिला। 2019-20 में तीन करोड़ 33 लाख 11 हजार 740 रुपये और 2020-21 में 2 करोड़ 67 लाख 68 हजार 803 रुपये चंदा आया।

कानपुर में जनराज्य पार्टी को तीन साल में मिले 11 करोड़ के चंदे ने अफसरों को भी हैरत में डाल दिया है। क्योंकि पार्टी न तो ज्यादा प्रचारित है और न ही चुनावी गतिविधियों में हिस्सा लेती है। ऐसे में आयकर विभाग ने चंदा मिलने के स्रोतों की जांच शुरू कर दी है। आशंका है कि मनी लांड्रिंग, काले धन को खपाने के साथ ही आयकर में छूट पाने के लिए पार्टी को चंदा दिया गया है। अब पार्टी के संस्थापक रविशंकर यादव और राष्ट्रीय अध्यक्ष अभिषेक कृष्णा के परिजनों के भी खातों की जांच की जा रही है। जनराज्य पार्टी के बारे में क्षेत्रीय लोगों तक को जानकारी नहीं है। इसके बाद भी पार्टी को चंदा मिलता रहा है। विदेशी फंडिंग, काला धन के रूट डायवर्जन बिंदु पर भी जांच की जा रही है।

देखा जा रहा है कि चंदे के जरिये काली रकम को आयकर छूट के तहत सफेद तो नहीं किया गया है। बैंक खातों में लेन-देन मिलने पर ऐसे लोग भी जांच के दायरे में आ जाएंगे, जिन्होंने पार्टी को चंदा दिया है। पार्टी की सदस्यता, इसके शुल्क, सदस्यों की सूची भी जुटाई जा रही है। राजनीतिक दलों को आयकर अधिनियम की धारा 13ए के तहत दान पर पूर्ण आयकर छूट मिलती है। वहीं दानदाताओं को आयकर अधिनियम की धारा 80 जीजीवी और 80 जीजीसी के तहत दान की गई राशि पर कटौती मिलती है। इसके चलते पार्टी चंदा जुटाने में लगी है।

निर्वाचन आयोग ने गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की जांच कराई थी। जांच के बाद नियमों का उल्लंघन करने में 2100 से अधिक पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्रवाई की है। जांच में पाया गया कि अधिकतर दल अवैध गतिविधियों में लिप्त हैं।

आयकर अफसरों की जांच में पता चला है कि जनराज्य पार्टी को मिला चंदा पार्टी कार्यकर्ता के खर्च में खपाना दिखाया गया। जन प्रतिनिधित्व अधिनियमों की भी अनदेखी की गई। पार्टी को तीन साल में 11.65 करोड़ से ज्यादा का चंदा मिला। चंदा देने वालों की सूची को ऑडिट रिपोर्ट में दिखाया गया, लेकिन फॉर्म 24ए में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 29सी के तहत जरूरी योगदान रिपोर्ट नहीं दिखाई गई। पार्टी ने वित्तीय वर्ष 2017-2018, 2018-2019 और 2019-2020 में योगदान रिपोर्ट ही नहीं दी और डिफाल्टर की सूची में आ गई। इन रिपोर्ट में पार्टी के संस्थापक रविशंकर सिंह यादव के हस्ताक्षर मिले हैं।

सूत्रों के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2017-18 और 2018-2019 के लिए मेसर्स टी रंजन एंड कंपनी ऑडिट फर्म थी, जबकि अगले दो वर्षों के लिए ऑडिटर मेसर्स राज निरंजन एसोसिएट्स थे। आडिट रिपोर्ट इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट सोसाइटी के नियमों के अनुसार ठीक नहीं थी। रिपोर्ट में गड़बड़ी भी मिली है। 2019 के बाद ऑडिट रिपोर्ट में सीएस का यूनीक आईडेंटीफिकेशन नंबर शामिल नहीं था, जबकि यह अनिवार्य है।

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