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13 अक्टूबर को भाई अशोक कुमार के जन्मदिन की तैयारियों में जुटे थे किशोर कुमार, तभी आया ''मौत का पैगाम''

[Edited By: Admin]

Sunday, 13th October , 2019 12:11 pm

मध्य प्रदेश के खंडवा में जन्मे और पले-बढ़े किशोर कुमार की आज 32वीं पुण्यतिथि है. किशोर कुमार का नाम आते ही बॉलीवुड का एक मनमौजी, अल्हड़ किस्म के इंसान की तस्वीर आंखों के सामने खिंच जाती है. शोहरत की बुलंदियां छूने के बावजूद किशोर ताउम्र किशोर ही बने रहे. बिना संगीत की शिक्षा लिए किशोर कुमार बॉलीवुड में एक ध्रुवतारा बनकर उभरे और गीत-संगीत के ब्रह्मांड पर छा गए. किशोर कुमार को आज की पीढ़ी भी उतनी ही दिलचस्पी से सुनती और गुनगुनाती है, जितना 1970-90 के दशक में जवान हुई पीढ़ी उन्‍हें प्‍यार करती थी.

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4 अगस्त 1929 को खंडवा में जन्मे थे किशोर

किशोर कुमार बॉलीवुड का वह सितारा है जो मरकर भी हमारे दिलों में आज भी जिंदा है. बॉलीवुड में अपनी गायकी और अदाकारी से सबको लोहा मानने के लिए मजबूर कर दिया था. आज देश उसी किशोर कुमार की 32वीं पुण्यतिथि मना रहा है. 4 अगस्त 1929 को मध्य प्रदेश के छोटे से शहर खंडवा में एक बंगाली परिवार में जन्मे किशोर कुमार के बचपन का नाम तो आभास कुमार गांगुली रखा गया था, लेकिन इस बात का किसी को आभास नहीं था कि एक दिन यही आभाष अपनी गायकी और अदाकारी के बल पर बॉलीवुड पर राज करेगा.

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देव आनंद के लिए गया पहला गाना

आभास खंडवा से भागकर अपने भैया अशोक कुमार के पास मुंबई चले गए थे. यहां बालीवुड ने उन्हें 'किशोर कुमार' का नाम दिया. शुरुआती दौर में वह महान गायक केएल. सहगल की तरह गाने की कोशिश करते रहे. यही वजह है कि उनकी शुरुआती गानों में सहगल का जबरदस्त प्रभाव दिखता है. वर्ष 1948 में खेमचन्द्र प्रकाश के संगीत निर्देशन में फिल्म जिद्दी के लिए उन्होंने पहली बार देवानंद के लिए गाना गाया. गीत के बोल थे 'मरने की दुआएं क्यूँ मांगू, जीने की तमन्ना कौन करे.'

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अशोक कुमार का जन्मदिन मनाने की कर रहे थे तैयारी...

किशोर कुमार ने कई कलाकारों को अपनी आवाज देकर बॉलीवुड में स्थापित किया. किशोर कुमार के लिए बम्बई की बुलंदियां हो या बोस्टन का स्टेज शो वह ताउम्र अपनी जन्मभूमि खंडवा का नाम लेना वो कभी नहीं भूलते थे. वह बंबई में जरूर बस गए, लेकिन उनका दिल हमेशा खंडवा लौट आने का करता रहा. इस बात का जिक्र वह अपने दोस्तों के बीच ताउम्र करते रहे. किशोर दा 13 अक्टूबर 1987 को अपने बड़े भाई अशोक कुमार का जन्मदिन मनाने की तैयारियों में जुटे थे, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था. इसी दिन वह इस नश्‍वर दुनिया को हमेशा-हमेशा के लिए अलविदा कह गए.

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फिल्ममेकर प्रीतीश नंदी को दिया गया किशोर कुमार का खास इंटरव्यू

प्रीतीशः लोगों ने सोचा होगा कि आप पागल हैं ! क्या ये सच है ?

किशोरः कौन कहता है मैं पागल हूं। दुनिया पागल है, मैं नहीं.

प्रीतीशः आपकी छवि अजीबोगरीब काम करने वाले इंसान की क्यों है ?

किशोरः यह सब तब शुरू हुआ जब वह लड़की मेरा इंटरव्यु लेने आई.उन दिनों मैं अकेला रहता था. तो उसने कहा: आप जरूर बहुत अकेले होंगे.मैंने कहा नहीं, आओ मैं तुम्हें अपने कुछ दोस्तों से मिलवाता हूं.इसलिए मैं उसे अपने बगीचे में ले गया और अपने कुछ मित्र पेड़ों जनार्दन, रघुनंदन, गंगाधर, जगन्नाथ, बुधुराम, झटपटझटपट से मिलवाया. मैंने कहा, इस निर्दयी संसार में यही मेरे सबसे करीबी दोस्त हैं. उसने जाकर वह घटिया कहानी लिख दी कि मैं पेड़ों को अपनी बांहो में घेरकर शाम गुजरता हूं. आप ही बताइए इसमें गलत क्या है ? पेड़ों से दोस्ती करने में गलत क्या है ?

प्रीतीशः कुछ नहीं।

किशोरः फिर यह इंटीरियर डेकोरेटर आया था। सूटेड-बूटेड, तपती गर्मी में सैविले रो का ऊनी थ्री-पीस सूट पहने हुए मुझे सौंदर्य, डिजाइन, दृश्य क्षमता इत्यादि के बारे में लेक्चर दे रहा था. करीब आधे घण्टे तक उसके अजीब अमेरिकन लहजे वाली अंग्रेजी में उसे सुनने के बाद मैंने उससे कहा कि मुझे अपने सोने वाले कमरे के लिए बहुत साधारण सी चीज चाहिए.कुछ फीट गहरा पानी जिसमें बड़े सोफे की जगह चारों तरफ छोटी-छोटी नाव तैरें. मैंने कहा, सेंटर टेबल को बीच में अंकुश से बांध देंगे जिससे उस पर चाय रखी जा सके और हम सब उसके चारों तरफ अपनी-अपनी नाव में बैठकर अपनी चाय पी सकें.

मैंने कहा, लेकिन नाव का संतुलन सही होना चाहिए, नहीं तो हम लोग एक-दूसरे फुसफुसाते रह जाएंगे और बातचीत करना मुश्किल होगा. वह थोड़ा सावधान दिखने लगा लेकिन जब मैंने दीवारों की सजावट के बारे में बताना शुरू किया तो उसकी सावधानी गहरे भय में बदल गई.

मैंने उससे कहा कि मैं कलाकृतियों की जगह जीवित कौओं को दीवार पर टांगना चाहता हूं क्योंकि मुझे प्रकृति बहुत पसंद है। और पंखों की जगह हम ऊपर की दीवार पर पादते हुए बंदर लगा सकते हैं. उसी समय वह अपनी आंखों में विचित्र सा भाव लिए धीरे से खिसक लिया. आखिरी बार मैंने उसे तब देखा था जब वह बाहर के दरवाजे से ऐसी गति से भाग रहा था कि इलेक्ट्रिक ट्रेन शरमा जाए. तुम ही बताओ, ऐसा लीविंग रूम बनाना क्या पागलपन है ? अगर वह प्रचण्ड गर्मी में ऊनी थ्री पीस सूट पहन सकता है तो मैं अपनी दीवार पर कौअे क्यों नहीं टांग सकता ?

प्रीतीशः आपकी पहली पत्नी, रुमा देवी के संग क्या समस्या हुई ?

किशोरः वो बहुत ही प्रतिभाशाली महिला थीं लेकिन हम साथ नही रह सके क्योंकि हम जिंदगी को अलग-अलग नजरिए से देखते थे. वो एक क्वॉयर और कॅरियर बनाना चाहती थी. मैं चाहता था कि कोई मेरे घर की देखभाग करे. दोनों की पटरी कैसे बैठती ? देखो, मैं एक साधारण दिमाग गाँव वाले जैसा हूँ.  मैं औरतों के करियर बनाने वाली बात समझ नहीं पाता.  बीबीयों को पहले घर सँवारना सीखना चाहिए और आप दोनों काम कैसे कर सकते हैं ? करियर और घर दो अलग-अलग चीजें हैं. इसीलिए हम दोनों अपने-अपने अलग रास्तों पर चल पड़े.

प्रीतीशः आपकी दूसरी बीबी, मधुबाला ?

किशोरः वह मामला थोड़ा अलग था। उससे शादी करने से पहले ही मैं जानता था कि वो काफी बीमार है. लेकिन कसम तो कसम होती है. आखिर मैंने अपनी बात रखी और उसे पत्नी के रूप में अपने घर ले आया, तब भी जब मैं जानता था कि वह दिल की जन्मजात बीमारी से मर रही है. नौ सालों तक मैंने उसकी सेवा की. मैंने उसे अपनी आँखों के सामने मरते देखा। तुम इसे नहीं समझ सकते जब तक कि तुम इससे खुद न गुजरो. वह बेहद खूबसूरत महिला थी लेकिन उसकी मौत बहुत दर्दनाक थी.

वह फ्रस्ट्रेशन में चिड़चिड़ाती और चिल्लाती थी. इतना चंचल व्यक्ति किस तरह नौ लम्बे सालों तक बिस्तर पर पड़ा रह सकता है. और मुझे हर वक्त उसे हँसाना होता था. मुझसे डॉक्टर ने यही कहा था। उसकी आखिरी साँस तक मैं यही करता रहा. मैं उसके साथ हँसता था, उसके साथ रोता था.

प्रीतीशः आपकी तीसरी शादी ? योगिता बाली के साथ ?

किशोरः वह एक मजाक था। मुझे नहीं लगता कि वह शादी के बारे में गंभीर थी. वह बस अपनी माँ को लेकर ऑब्सेस्ड थी। वो यहाँ कभी नहीं रहना चाहती थी।

प्रीतीशः लेकिन वो इसलिए कि वह कहती हैं कि आप रात भर जागते और पैसे गिनते थे.

किशोरः क्या तुम्हें लगता है कि मैं ऐसा कर सकता हूँ ? क्या तुम्हें लगता है कि मैं पागल हूँ ? खैर, ये अच्छा हुआ कि हम जल्दी अलग हो गए.

प्रीतीशः आपकी वर्तमान शादी ?

किशोरः लीना अलग तरह की इंसान है। वह भी उन सभी की तरह एक्ट्रेस है, लेकिन वह बहुत अलग है। उसने त्रासदी देखी है. उसने दुख का सामना किया है. जब आपके पति को मार दिया जाए आप बदल जाते हैं. आप जिंदगी को समझने लगते हैं. आप चीजों की क्षणभंगुरता को महसूस करने लगते हैं। अब मैं खुश हूँ.

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