दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक, 13 से 24 मार्च के बीच मरकज में कम से कम 16,500 लोग पहुंचे थे. सेल फोन डेटा के यूज के आधार पर कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग कर और मरकज में एक्टिव मोबाइल्स के आधार पर इस संख्या का आकलन किया गया है. जांच में सामने आया कि मरकज में आने वाले जमाती यहां से निकलने के बाद करीब 15,000 लोगों के संपर्क में आए थे. जबकि कुछ मरकज में ही रुके थे.
देश में कोरोना वायरस के संक्रमण के फैलने को लेकर तबलीगी जमात बीते दो महीनों से चर्चा में है. राज्यों की सरकारें कोरोना के तेजी से फैलने के लिए जमात को जिम्मेदार ठहराती रही हैं. करीब 4 हजार से ज्यादा ऐसे लोग थे जिनको मार्च के आखिर में निजामुद्दीन स्थित मरकज से या अन्य जगहों से पकड़ा गया था. इनमें से एक हजार से ज्यादा कोरोना संक्रमित पाए गए थे. बाकी लोगों को अलग-अलग क्वारनटीन सेंटर में रखा गया था. अब जो संक्रमित लोग ठीक हो चुके हैं उन्हें घर जाने देने का सरकार ने आदेश दिया है.
दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात से जुड़े लोगों को लेकर दिल्ली सरकार ने अहम फैसला लिया है. दिल्ली के स्वास्थ्य और गृह मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि करीब एक हजार कोरोना से संक्रमित जमाती जो ठीक हो चुके हैं उन्हें उनके घर जाने दिया जाए. वहीं, जिन लोगों पर मुकदमा है उन पर पुलिस कार्रवाई करे.
मार्च महीने में कोरोना वायरस के खतरे के बीच मरकज में नियमों का उल्लंघन करते हुए बड़ी संख्या में जमाती जमा हुए थे. इनमें से बड़ी संख्या में जमाती कोरोना संक्रमित निकले थे, जिसके बाद मरकज के संचालक मौलाना साद के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. मौलाना साद की गिरफ्तारी अभी तक नहीं हो पाई है.