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जानिए क्यों बढ़ी मेट्रो शहरों में हताशा-निराशा, पांच महीनों में दिल्ली मेट्रो ट्रैक पर 8वीं आत्महत्या, पढ़िए 'टेंशन फ्री 10 उपाय' 

[Edited By: Admin]

Saturday, 12th October , 2019 04:56 pm

रोजगार के लिए मेट्रो सिटीज पहुंचे युवाओं में हताशा-निराशा इस कदर हावी हो रही है कि वे आत्महत्या को मजबूर होने लगे हैं. दिल्ली-एनसीआर की लाइफलाइन बन चुकी मेट्रो ट्रेन के ट्रैक पर कूदकर 5 महीनों के भीतर 8वीं आत्महत्या सामने आई.

दिल्ली मेट्रो की विभिन्न लाइनों पर अप्रैल से अक्तूबर तक पिछले 5 महीने में आत्महत्या करने वालों का आंकड़ा 8 हो चुका है. हालांकि सुरक्षाकर्मियों व आम लोगों की जागरूकता के चलते 6 से अधिक लोगों को बचाया जा चुका है. दिल्ली मेट्रो पुलिस के अधिकारियों के मुताबिक, ट्रेन के आगे कूदकर जान देने वालों में युवा वर्ग अधिक है. नौकरी और पढ़ाई की भागमभाग का तनाव न झेल पाने के कारण उनकी उम्मीद टूट रही है.


वहीं विशेषज्ञों की मानें तो सुसाइड का ख्याल आने पर हर तनावग्रस्त व्यक्ति जान नहीं देता। मेट्रो ट्रेन के आगे आत्महत्या का रास्ता लोग दर्द कम होने के लिए चुनते हैं. हालांकि यह सोच बिल्कुल गलत है. ऐसे कई मामले सामने हैं, जब ट्रेन के सामने कूदे लोगों की जान बच गई और उन्हें एक नए दर्द के साथ जीना पड़ रहा है.

हर 40 सेकेंड में एक सुसाइड

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रति 40 सेकेंड में तनाव के आगे एक जीवन हार रहा है. भारत में आत्महत्या करने वालों में बड़ी तादाद 15 से 29 साल के उम्र के लोगों की है. यानी जो उम्र उत्साह से लबरेज होने और सपने देखने की होती है, उसी उम्र में लोग जीवन से पलायन कर जाते हैं. ऐसी घटनाएं रोकने के लिए डीएमआरसी ने जागरूकता अभियान शुरू किया है. सोशल नेटवर्क पर पोस्ट से जागरूकता अभियान चलाया गया। इसमें लिखा था कि मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना उतना ही जरूरी है, जितना शारीरिक पर.

क्यों आती है आत्महत्या की भावना?

-किसी अपने के मौत पर उस शख्स से हमेशा के लिए दूर हो जाने के भावना

-निजी रिश्ते में किसी प्रकार की समस्या

-किसी भी प्रकार के दुर्व्यवहार होने पर

-जीवन में कोई लक्ष्य ना होने पर

-अपने जीवन पर काबू ना होने पर

-किसी तरह का आर्थिक घाटा होने पर

कैसे करें आत्महत्या के विचार का अंत?

- कुछ छोटे-छोटे से नुस्खे हैं जो आत्महत्या के विचार को तुरंत खत्म कर देते हैं.

-यदि मन में सुसाइड का ख्याल आ रहा है तो किसी अपने और भरोसेमंद व्यक्ति के साथ बैठकर अपने मन की सभी बातें बोल दें. जी भर कर रोएं, ऐसा करने से आत्महत्या की चाह कम हो जाती है.

-यदि परिवार के साथ बैठकर कोई बात साझा नहीं कर पा रहे हैं तो किसी मनोवैज्ञानिक या कंसल्टेंट की मदद लें. उन्हें अपने मन की बात जरूर बताएं. ऐसा करने से दिल का बोझ हल्का होता है और कोई आपको आंकेगा इसका शक भी दूर होता .

-खुद को अहमियत दें। इसके लिए आप दीवार पर एक कागज में अपनी अच्छाईयां लिखकर लगा दें.

-यदि आप बहुत लंबे वक्त से दोस्तों से नहीं मिले हैं तो फौरन उनसे मुलाकात करें.  जो अच्छा लगता है वो करें, इससे दिमाग शांत होगा.

-सुबह-सुबह किसी एकांत जगह पर ताजी हवा में मॉर्निंग वॉक करने जाएं. कानों में हेडफोन लगाकर गाना सुनने की बजाय चिड़ियों, हवा में लहरा रहे पत्तों और पानी की आवाज को सुनें. इससे मन को शांति मिलती है और नकारात्मक विचार दूर होते हैं.

-जो भी आपका पसंदीदा खेल है उसे अपनी दिनचर्या में शामिल करें.

-किसी जरूरतमंद या गरीब की मदद करें, इससे आपका मन हल्का महसूस करेगा और उनके चेहरे की मुस्कान आपके मस्तिष्क को शांति देगी.

-हमेशा याद रखें खुद से बढ़कर कोई नहीं। जन्म लेने, खाना खाने, सांस लेने, पानी पीने और खुश रहने का मकसद जीवन को जीना है. जिंदगी में कितने भी उतार-चढ़ाव क्यों ना आएं आत्महत्या करने का ख्याल कभी मन में मत आने दीजिए.

किसी दूसरे को कैसे दूर रखें आत्महत्या के विचार से?

-यदि कोई आपके समक्ष खुदकुशी की बात कर रहा है या इशारों में ही बताने की कोशिश कर रहा है तो उनकी बात को तवज्जो दें, उनकी बातों को मजाक समझकर उनकी हंसी ना उड़ाएं.

-यदि कोई आपसे अपनी समस्या साझा कर रहा है तो उसे ध्यानपूर्वक सुनें और उन्हें एहसास करवाएं कि आप उन्हें हर समस्या से बाहर निकाल सकते हैं.

-आत्महत्या के बारे में सोच रहा व्यक्ति लंबे समय से परेशान रहने लगता है. एक सेकेंड में खुदकुशी का ख्याल हजार में से किसी एक व्यक्ति के दिल में ही आता है. इसलिए अपने करीबियों पर ध्यान दें कहीं वो किसी बात को लेकर इतना परेशान तो नहीं कि अपनी जिंदगी खत्म करने का सोच रहे हों.

-ऐसे लोगों के सामने उनकी सफलताओं की बातें फिर से दोहराएं, लोगों को उनका उदाहरण देकर समझाएं कि वो कितने मजबूत हैं. ऐसा करने से आत्महत्या का विचार खत्म हो जाता है और व्यक्ति समझ जाता है कि वो अन्य लोगों के लिए प्रेरणा बन सकता है इसलिए वो जिंदगी को सकारात्मक ढंग से जीने लगता है.

-यदि इनमें से कोई भी कोशिश कारगर साबित ना हो रही हो तो बिना देरी करे किसी काउंसलर या मनोवैज्ञानिक से संपर्क करवाएं. कई बार आत्महत्या की कोशिश एक मानसिक बीमारी बन जाती है जिसमें मनोचिकित्सक ही मदद कर सकता है.

इन संस्थानों से लें मदद

रोशनी

हैदराबाद स्थित सुसाइड प्रिवेंशन सेंटर - रोशनी ऐसे लोगों की हमेशा मदद को तैयार रहता है जो कि ऐसे किसी भी ख्याल से पीड़ित हैं या मानसिक उलझन का शिकार हैं। इस सेंटर से जुड़े लोग सोमवार से शनिवार सुबह 11 से रात के 9 बजे तक मदद के लिए तैयार करते हैं। इनका नंबर है - 914066202000

कूज

2013 से ये हेल्पलाइन लोगों को आत्महत्या के विचार से जुड़े संकेतों के बारे में जागरुक कर रही है। यहां सोमवार से शुक्रवार तक दोपहर 1 से शाम 7 बजे तक मदद मिलती है। इसका नंबर है - 918322252525

स्नेहा इंडिया फाउंडेशन

यह संस्था हफ्ते के 24 घंटे लोगों की मदद को तैयार रहती है और किसी भी प्रकार के तनाव से पीड़ित लोगों तक फौरन मदद पहुंचाती है। ये ऐसे लोगों की मदद भी करती है जो कि आत्महत्या करने के बारे में बार-बार सोचते हैं। इनका नंबर है - 914424640050 ।

वंद्रेवाला फाउंडेशन

यहां आपको काफी प्रोफेशनल और परिवक्व वॉलेंटियर मिलेंगे जो लोगों की कई तरह से मदद करते हैं। आप इन्हें टोल फ्री नंबर पर संपर्क कर सकते हैं। नंबर है - 18602662345

कनेक्टिंग

कनेक्टिंग युवाओं के लिए बनाई गई संस्था है जो युवाओं में बढ़ रहे आत्महत्या के विचार पर काम करती है। इससे जुड़े लोग कार्यक्रमों, सेमिनार और कई तरह के कोर्स के जरिए युवाओं में जागरुकता फैलाने का काम करते हैं। यह संस्था हफ्ते के 7 दिन दोपहर 12 से रात 8 बजे तक आपकी मदद को तैयार रहती है। इनका नंबर है - 919922001122

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