2019 में 3 विभूतियों को भारत रत्न से आज यानि 8 अगस्त 2019 के दिन नवाजा जाएगा. हालांकि उन तीनों विभूतियों के नाम का एलान 25 जनवरी 2019 को ही कर दिया गया था. इन तीन विभूतियों में से 2 को मरणोपरांत और 1 को जीवित सम्मान दिया जाएगा.
उन तीन विभूतियों में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, समाजसेवी और जनसंघ के नेता नानाजी देशमुख और संगीतकर भूपेन हजारिका शामिल है. इनमे से नानाजी देशमुख और भूपेन हजारिका को मरणोपरांत और प्रणब मुखर्जी को जीवित सम्मान राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द के हाथों से सम्मानित किया जाएगा.
प्रणब मुखर्जी ने एक उपन्यास में भारत रत्न मिलने का और बतौर राष्ट्रपति भारत रत्न देने का किस्सा साझा किया था उस उपन्यास को पेंग्विन ने प्रकाशित की है और इसको पत्रकार सोनिया सिंह ने लिखा है. इस किताब का नाम डिफाइनिंग इंडिया थ्रू देयर आईज (Defining India Through Their eyes) है.
25 जनवरी 2019 को तकरीबन शाम 6 बजे पूर्व राष्ट्रपति के आवास पर एक फोन आया. सचिव ने तुरंत प्रणब मुखर्जी को कहा कि प्रधानमंत्री लाइन पर आप उनसे बात करिए.
फोन लेने के बाद प्रधानमंत्री ने कहा “प्रणव दा. नियम तो ये है कि मैं भारत रत्न के लिए आपकी सहमति लेने आपके आवास आऊँ. लेकिन अभी गणतन्त्र दिवस पर मेहमान के रूप में साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति आए हुये है. इसलिए मैं उनके साथ व्यस्त हूँ. फोन पर आपकी सहमति चाहता हूँ ताकि आज रात तक नाम का एलान किया जा सके. आपकी हाँ, हो तो मैं राष्ट्रपति को फोन घुमाऊँ.”
इस बात को सुनकर प्रणब मुखर्जी मुस्कुरा कर हाँ बोल देते है. हालांकि इस बात को उन्होने उस समय किसी को भी नहीं बताई, अपनी बेटी शर्मिष्ठा को भी नहीं. जब कुछ घंटो बाद राष्ट्रपति भवन सचिवालय से टीवी पर ब्रेकिंग न्यूज आई तब शर्मिष्ठा को पता चला. पता चलते ही अपने पापा को डांट लगाने पहुँच गयी. शर्मिष्ठा ने कहा कि आपने मुझे पहले क्यूँ नहीं बताया तब मुखर्जी ने कहा कि मैं राष्ट्रपति भवन से आधिकारिक रिलीज का इंतजार कर रहा था. तो इस जवाब पर शर्मिष्ठा ने कहा अगर आपसे प्रधानमंत्री फोन पर सहमति मांग रहे है तो बात कंफर्म ही होगी ना. फिर दोनों बाप-बेटी हंस देते है.
ये किस्सा मुखर्जी के भारत रत्न मिलने का था. अब बात करते है राष्ट्रपति पद पर रहते मुखर्जी ने किस विभूतियों को भारत रत्न से सम्मानित किया था.
जब भारत रत्न देने की बात आती है तो एक ही किस्सा याद आता है जिसे मैं आपसे शेयर करता हूँ.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल बिहारी के नाम का प्रस्ताव मुखर्जी के सामने रखा, मुखर्जी फौरन ही इस पर सहमत हो गए. फिर मुखर्जी ने प्रधानमंत्री को सुझाव दिया कि कोई और नाम भी होने चाहिए. भारत रत्न मरणोपरांत भी दिया जा सकता है, तो ऐसे नामों पर भी विचार करें. कुछ घंटों बाद मोदी मालवीय का नाम लेकर लौटे. मदन मोहन मालवीय, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और कांग्रेस नेता थे. प्रणब ने फौरन ये दोनों नाम स्वीकार कर लिए. साल 2015 में जब अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न सम्मान देने की बात की गयी थी तब वाजपेयी की तबीयत सही नहीं थी. इसलिए तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उनके आवास पर जाकर उन्हे सम्मान प्रदान किया था. भारत के इतिहास में ऐसी पहली घटना है जिसमें किसी के आवास पर जाकर सम्मान प्रदान किया गया हो.