फिल्म इंडस्ट्री एक झटके से उबर नहीं पाती कि उसे दूसरा झटका लग जाता है। बुधवार को जहां वरिष्ठ गीतकार अनवर सागर के निधन के बाद गुरुवार सुबह गुदगुदाती रोमांटिक फिल्मों के भगवान कहे जाने वाले बासु चटर्जी नहीं रहे।
अभी इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि उनका निधन पहले से किसीबीमारी से हुआ या कोरोना संक्रमण के कारण।
फैमिली फिल्मों के फिल्मकार
बासु चटर्जी 30 जनवरी 1930 को अजमेर में पैदा हुए । वे पहले ऐसे फिल्मकार थे जिन्होंने कोलकाता की छाप से अलग, अपनी एक अलग ही शैली पैदा की। चाहें वो 'चमेली की शादी' हो या 'खट्टा मीठा'।
फिल्म मेकर अशोक पंडित ने ट्विटर पर बताया कि गुरुवार दोपहर दो बजे बासु चटर्जी का अंतिम संस्कार मुंबई के सांताक्रूज क्रिमेटोरियम (शवदाह गृह) में किया जाएगा.समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ वो उम्र से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे.
साल 1969 में आई फ़िल्म 'सारा आकाश' से बतौर निर्देशक अपना फिल्मी करियर शुरू करने वाले बासु चटर्जी ने 'पिया का घर' 1972), 'उस पार' (1974), 'रजनीगंधा' (1974), 'छोटी सी बात' (1975), 'चितचोर' (1976), 'स्वामी' (1977), 'खट्टा-मीठा' (1978), 'प्रियतमा' (1978), 'बातों बातों में' (1979) जैसी बेहतरीन फ़िल्मों का निर्देशन किया था.
सात बार फ़िल्म फ़ेयर अवॉर्ड और एक बार राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार का सम्मान पाने वाले बासु दा ने कुछ बंगाली फ़िल्मों का निर्देशन भी किया था.