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B'dy Spcl: कभी मैकेनिक रहे मशहूर गीतकार-शायर गुलजार की जिंदगी के 10 कड़वे सच जिन्हें जानकर आप हो जाएंगे हैरान

[Edited By: Admin]

Sunday, 18th August , 2019 02:17 pm

अपने हुनर से लोगों का दिल जीत रहे मशहूर गीतकार, कवि, पटकथा लेखक, फिल्म निर्देशक और नाटककार गुलज़ार 18 अगस्त को अपना 84वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे हैं।  संपूर्ण सिंह कालरा उर्फ गुलज़ार का जन्म 1934 में हुआ था। फिल्म इंडस्ट्री में उन्होंने जो मुकाम हासिल किया है, उसके लिए उन्हें काफी संघर्ष भी करना पड़ा. वह मुंबई में मैकेनिक का काम करते थे, लेकिन उनके शौक ने ही उनकी जिंदगी बदल दी।
एक दौर था जब राखी और गुलजार के अफेयर की बॉलीवुड गलियारों में चर्चा रहती थी. दोनों ने शादी की लेकिन वे एक दूसरे के साथ ज्यादा दिन नहीं रह सके. फिर एक दिन उन्होंने अपनी राहें अलग करने का फैसला कर लिया।

मुंबई आकर गुलजार ने एक गैरेज में बतौर मैकेनिक काम करना शुरू कर दिया। पैसे कमाने के लिए उन्हें कड़ी मेहनत करनी पड़ी, लेकिन उन्हें बचपन से ही कविताएं लिखने का शौक था। अपने शौक के कारण ही उन्होंने मैकेनिक का काम छोड़ दिया और फिल्म इंडस्ट्री का रुख किया। गुलजार मशहूर फिल्म निर्देशक बिमल राय, ह्रषिकेश मुखर्जी और हेमंत कुमार के सहायक के रूप में काम करने लगे।

Gulzar

गुलज़ार ने एसडी बर्मन की फिल्म 'बंदिनी' से बतौर गीत लेखक अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने कई बेहतरीन गानों के बोल लिखे। उन्होंने बतौर निर्देशक भी हिंदी सिनेमा में योगदान दिया है। इसके अलावा उन्होंने दूरदर्शन पर आए शो 'जंगल बुक' का मशहूर गाना 'जंगल जंगल बात चली है..' भी लिखा था। 

गुलज़ार को निजी जिंदगी में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। उन्होंने तलाकशुदा एक्ट्रेस राखी से शादी की। हालांकि, ये रिश्ता ज्यादा समय तक टिक नहीं सका और बेटी के जन्म से पहले ही दोनों अलग हो गए। दोनों की बेटी मेघना गुलजार एक फिल्म निर्देशक हैं।

Gulzar Wedding pic 

84 साल के गुलज़ार को 2004 में भारत के सर्वोच्च सम्मान पद्म भूषण से नवाजा जा चुका है। 2009 में उन्हें 'स्लमडॉग मिलेनियर' के गाने 'जय हो' के लिए सर्वश्रेष्ठ गीत का ऑस्कर अवॉर्ड मिला। इसी गाने के लिए उन्हें ग्रैमी अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।

  • एक दौर था जब राखी और गुलजार के अफेयर की बॉलीवुड गलियारों में चर्चा रहती थी. दोनों ने शादी की लेकिन वे एक दूसरे के साथ ज्यादा दिन नहीं रह सके. फिर एक दिन उन्होंने अपनी राहें अलग करने का फैसला कर लिया.

  • महज 1 साल चली राखी-गुलजार की शादी, दोनों में इन वजहों से होते थे झगड़े

    राखी और गुलजार ने साल 1973 में शादी कर ली. कुछ समय बाद राखी-गुलजार के घर बेटी मेघना का जन्म हुआ. लेकिन मेघना के जन्म के एक साल बाद गुलजार-राखी ने अलग होने का फैसला लिया. इसके पीछे कई कारण बताए गए. 

    (फोटो में राखी संग गुलजार)

  • महज 1 साल चली राखी-गुलजार की शादी, दोनों में इन वजहों से होते थे झगड़े

    कई मी‍डिया रिपोर्ट्स में गुलजार और राखी के अलग होने की वजह मीरा कुमारी को बताया गया. दरअसल, मीना कुमारी गुलजार की करीबी दोस्त थीं. मीना का उर्दू प्रेम उन्हें गुलजार के करीब ले आया था. मीना मरने से पहले अपनी कविताओं की डायरी गुलजार को सौंप गई थीं. इसके बाद गुलजार ने कुछ कविताओं का प्रकाशन कराया. 

    महज 1 साल चली राखी-गुलजार की शादी, दोनों में इन वजहों से होते थे झगड़े

    फिल्म इंडस्ट्री में यह भी खबरें आई कि गुलजार, राखी के फिल्मों में काम करने के खिलाफ थे. उन्होंने राखी को फिल्मों से दूरी बनाने को कहा, जिसे राखी ने खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया था. लेकिन राखी चाहती थी कि गुलजार उन्हें अपनी निर्देशित फिल्म में रोल दे. लेकिन गुलजार ने राखी को एक भी फिल्म के लिए साइन नहीं किया.

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    दूसरी तरफ राखी को रोजाना तमाम दूसरे फिल्ममेकर्स के ऑफर आते थे. जब भी राखी गुलजार से फिल्मों के ऑफर के बारे में बात करती तो दोनों के झगड़े शुरू हो जाते थे. फिर एक रात कुछ ऐसा हुआ जिसने दोनों की जिंदगी हमेशा के लिए बदल कर रख दी. 


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    गुलजार अपनी निर्देशित फिल्म आंधी की शूटिंग के लिए कश्मीर गए थे. फिल्म में लीड रोल में संजीव कुमार और सुचित्रा सेन थे. वहीं गुलजार के कश्मीर जाने के बाद राखी घर में अकेला महसूस कर रही थीं.

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    फिल्म की शूटिंग के बाद यूनिट पार्टी कर रही थी. तभी नशे में संजीव कुमार, सुचित्रा को रिझाने की कोशिश कर रहे थे. मौके की नज़ाकत समझते हुए गुलजार ने सुचित्रा को उनके कमरे तक पहुंचाने का जिम्मा लिया. इस दौरान वहां पर राखी पहुंच गईं और उन्होंने गुलजार को सुचित्रा के साथ देख लिया. 

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    इसके बाद राखी और गुलजार के बीच फिल्म की यूनिट के सामने काफी विवाद हुआ. कहा जाता है इस झगड़े के बाद गुलजार ने कमरे में राखी पर हाथ उठाया था. इस दिन के बाद राखी और गुलजार के रिश्तों की कड़वाहट चरम सीमा तक पहुंच गई. अगली सुबह गुलजार के मना करने के बावजूद राखी ने यश चोपड़ा की फिल्म कभी-कभी में काम करने के लिए हामी भर दी.

    गुलजार का शुरुआती जीवन मुश्किलों से भरा रहा। उनका जन्म 18 अगस्त 1934 को पंजाब के दीना में हुआ। इस समय भारत का विभाजन नहीं हुआ था। लेकिन विभाजन के बाद वो भारत आ गए और गुलजार ने मुंबई का दामन थाम लिया। यहां उन्होंने कई तरह के काम किए। लेकिन इसके बाद उन्हें एक सही मंजिल मिली। 

    गुलजार को 2002 में साहित्य अकादमी, 2004 में पद्म भूषण और 2008 में आई 'स्लमडॉग मिलेनियर' के गाने 'जय हो' के लिए ग्रैमी अवॉर्ड मिला। गुलज़ार साहब गानों के अलावा, आशीर्वाद (1968), खामोशी (1969), सफर (1970) , घरोंदा , खट्टा-मीठा (1977) और मासूम (1982) जैसी फ़िल्मों की पटकथा भी लिख चुके है। 

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