मुंबई के मशहूर वित्त विशेषज्ञ भरतकुमार सोलंकी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुंबई शहर के लिए कोरोना बचाव के मद्देनजर अलग से नई योजना बनाने की मांग की है। उन्होंने मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि ढाई करोड़ की आबादी वाले शहर मुंबई की 40 प्रतिशत आबादी झोपड़पट्टी में रहती है। दस बाई दस के एक रूम में पांच-सात जन का परिवार रहता है। लॉकडाउन के चलते बेरोज़गार हुए लाखों लोगों को दिन-रात लगातार इतनी छोटी सी खोली में गुजारना मुश्किल होता जा रहा है।
मुंबई में लॉकडाउन के एक महीने बाद भी कोरोना का प्रकोप कम होने की बजाय बढ़ता जा रहा है। मुंबई में कोरोना के 3,400 से अधिक केस आ चुके हैं। मुंबई के लिए विशेष योजना बनाकर बेरोज़गार लोगों की भीड़ को कम करना ज़रूरी है। इतनी बड़ी आबादी के रहते हुए सरकार के लिए सुविधाओं की कमी होना वाजिब है।
मुंबई की जनता को बचाने के लिए एक मात्र उपाय लोगों को अपने गांव पहुँचाने की व्यवस्था की जाये। अन्यथा यह लॉकडाउन कोरोना से मुक्त कराने की बजाय हमें भयंकर महामारी के शिकंजे में कस लेगा। खासकर धारावी, भायखला, वर्ली के कई इलाकों में इसका तेजी से प्रसार हो रहा है।
मुंबई में कोरोना मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने के कारण उनके बीच काम करने वालों का संतुलन बिगड़ रहा है। बीएमसी कंट्रोल रूम में काम करने वाले तक इसकी चपेट में आ रहे हैं। डॉक्टर, अस्पतालों का स्टाफ, बीएमसी, पुलिस व दूसरी अनिवार्य सेवाओं से जुड़े लोग ही इसके शिकार हो रहे हैं। उनकी सुरक्षा के लिए ठोस रणनीति बहुत जरूरी है। सरकार की बार-बार चेतावनी के बावजूद मुंबई में बाजारों में उमड़ने वाली भीड़ की खतरनाक तस्वीरें आ रही हैं।
अकेले यहीं कोरोना से लड़ने के सभी प्रयासों पर पानी फिरता दिख रहा है। बीएमसी ने मेडिकल संसाधन जुटाने का काम किया है, लेकिन बढ़ते मामलों को देखते हुए इन्हें पर्याप्त नहीं माना जा सकता। झोपड़पट्टी में रहने वाले लाखों बेरोज़गार लोग अपने गांव जाना चाहते हैं। अगर उन्हें एक बार घर भेजने की व्यवस्था समय रहते की जाए तो इस भयंकर महामारी की रोकथाम शेष मुंबई के लिए आसान हो जाएगी।