भारत की करेंसी रुपये के लिए दिन ठीक नहीं चल रहे हैं. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 113 पैसे लुढ़क गया. इसी के साथ किसी एक कारोबारी दिन में रुपये ने 6 साल की सबसे बड़ी गिरावट देखी. इससे पहले अगस्त 2013 में एक दिन में रुपये में इतनी बड़ी गिरावट देखने को मिली थी. वहीं यह लगातार तीसरा कारोबारी दिन था जब रुपये में गिरावट दर्ज की गई. इन तीन दिनों में रुपया 194 पैसे लुढ़क गया है. लेकिन सवाल है कि रुपये की इतनी बुरी हालत क्यों हो गई है.
रुपये में सबसे बड़ी गिरावट की वजह चीन की करेंसी युआन है. दरअसल, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के 300 अरब डॉलर की वस्तुओं पर शुल्क लगाने का ऐलान किया है. इसके बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि अमेरिकी शुल्क का जवाब देने के लिए चीन अपनी करेंसी में अवमूल्यन की अनुमति दे दी है. यहां बता दें कि कोई देश किसी दूसरे देश की करेंसी के मुकाबले अपनी मुद्रा की कीमत घटाता है तो अवमूल्यन कहते हैं. किसी देश के करेंसी में अवमूल्यन की वजह से दूसरे देशों की अर्थव्यवस्था नुकसानदायक हो जाती है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अकसर चीन पर निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अपनी मुद्रा का अवमूल्यन करने का आरोप लगाते रहे हैं. हालांकि, चीन इन आरोपों को खारिज करता रहा है. अमेरिका से टेंशन के बीच सोमवार को चीन की करेंसी युआन अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 7 युआन से अधिक नीचे आ गया. यह 2008 के बाद का सबसे निचला स्तर है. इसके बाद भारतीय करेंसी रुपया में भी बड़ी गिरावट दर्ज की गई. बहरहाल, मंगलवार को भी चीन की करेंसी युआन में गिरावट देखने को मिली. बाजार के जानकारों की मानें तो यह सिलसिला आगे भी जारी रहने की आशंका है और इस वजह से रुपया भी कमजोर होगा.
रुपये के कमजोर होने की एक बड़ी वजह विदेशी निवेशकों का अविश्वास भी है. दरअसल, विदेशी निवेशक पिछले एक महीने से भारतीय शेयर बाजार से लगातार रुपये निकाल रहे हैं. बाजार के जानकारों का कहना है कि विदेशी निवेशकों में आम बजट में उम्मीद के मुताबिक फैसले नहीं होने से निराशा बढ़ी है. इसके अलावा कमजोर मॉनसून, कंपनियों के सुस्त नतीजे और अन्य वैश्किव कारण की वजह से भी विदेशी निवेशक सतर्क नजर आ रहे हैं.
भारतीय करेंसी रुपये में गिरावट की वजह घरेलू सियासी कारण भी हैं. दरअसल, बीते कुछ दिनों से जम्मू-कश्मीर को लेकर सियासी हलचल तेज है. इस बीच, सोमवार को सरकार की ओर से जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का संकल्प सदन में पेश किया गया. इसके अलावा इस राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का भी प्रस्ताव है. सरकार की ओर से की गई इस पहल के बीच घरेलू और विदेशी निवेशक थोड़े सतर्क हो गए हैं. बाजार के जानकारों का कहना है कि निवेशक इंतजार के मूड में दिख रहे हैं.
रुपये में सुस्ती की एक बड़ी वजह शेयर बाजार में रिकॉर्ड गिरावट भी है. बीते कुछ दिनों से शेयर बाजार लगातार रिकॉर्ड गिरावट के दौर से गुजर रहा है. सोमवार को सेंसेक्स कारोबार के दौरान 700 अंक तक टूट गया. वहीं निफ्टी में भी 200 अंकों से अधिक की गिरावट दर्ज की गई. कारोबार के अंत में सेंसेक्स 418.38 अंकों की गिरावट के साथ 36,699.84 पर और निफ्टी 134.75 अंकों की गिरावट के साथ 10,862.60 पर बंद हुआ.
घरेलू शेयर बाजार की शुरुआती बढ़त के बीच मंगलवार को रुपये में मामूली रिकवरी देखी गई. शुरुआती कारोबार में 6 पैसे कमजोर होने के बाद रुपया 26 पैसे मजबूत हो गया. यह शुरुआती कारोबार में सोमवार के बंद से 26 पैसे बढ़कर 70.47 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गया. बता दें कि सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 113 पैसे लुढ़क कर पांच महीने के न्यूनतम स्तर 70.73 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गया था.