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राजस्थान में पायलट को फ्री हैंड देने के मूड में कांग्रेस

[Edited By: Rajendra]

Wednesday, 5th October , 2022 01:20 pm

राजस्थान कांग्रेस में चल रही सियासी खींचतान पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी के बीच लंबी बातचीत हुई है। चर्चा है कि कांग्रेस आलाकमान अध्यक्ष की चुनाव प्रक्रिया जारी रहने के दौरान उलझन में है। इसकी वजह यह है कि कांग्रेस की सरकार बचानी भी है तो आलाकमान के आदेश को मनवाना भी जरूरी है। इसी उलझन का रास्ता निकालने के लिए सोनिया गांधी और राहुल गांधी के बीच कई विकल्पों पर विचार-विमर्श हुआ है। राजस्थान के सियासी घटनाक्रम को लेकर सोनिया गांधी और राहुल गांधी के बीच क्या चर्चा हुई, इसका ब्यौरा तो नहीं मिल पाया है, लेकिन माना जा रहा है कि इस दौरान कई विकल्पों को सामने रखकर बातचीत हुई है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने के लिए कर्नाटक पहुंचीं है। सोनिया गांधी ने राहुल गांधी से मुलाकात कर गुजरात-हिमाचल प्रदेश चुनाव और राजस्थान के सियासी संकट पर चर्चा की है।

आपकों बता दें सीएम गहलोत खुद कह चुके हैं कि वह 102 विधायकों को धोखा नहीं दे सकते जिन्होंने सरकार को गिरने से बचाया था। सीएम गहलोत ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से माफी मांगने के बाद भी यही वजह बताई है। ऐसे में राजस्थान में खाली हाथ लौटे कांग्रेस के दोनों पर्यवेक्षकों अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे की रिपोर्ट पर भी कांग्रेस आलाकमान चाहकर भी सख्ती नहीं कर पा रहा है। वजह साफ है पार्टी सरकार गिराने का खतरा भी नहीं ले सकती। उल्लेखनीय है कि बीते रविवार को नए सीएम ने नाम पर बुलाई गई कांग्रेस विधायक दल की बैठक का गहलोत समर्थक विधायकों ने बहिष्कार कर दिया था। पार्टी आलाकमान ने दो मंत्रियों समेत तीन नेताओं को कारण बताओ नोटिस भी दे रखा है।

राजस्थान में सियासी संकट का जल्द ही समाधान होने के आसार नहीं दिखाई दे रहे हैं। सीएम गहलोत ने कहा कि सब को पता है कि अमित शाह के घर मीटिंग हुई थी। अमित शाह ने कांग्रेस विधायकों को मिठाई खिलाई थी। गहलोत के बयान से साफ जाहिर है कि सचिन पायलट को सीएम बनने का हर हाल में विरोध किया जाएगा। हालांकि, सीएम गहलोत ने यह भी कहा कि कांग्रेस में एक लाइन का प्रस्ताव मानने की परंपरा रही है। पिछले 50 साल से यही परंपरा रही है। विधायक दल के नेता होने के नाते मैं इस परंपरा का पालन नहीं करवा पाया। इसका मुझे दुख है। मैडम सोनिया गांधी से माफी मांग ली है।

गहलोत खेमे के विधायकों से पायलट की मुलाकात राजस्थान के सियासी पारे को बढ़ा रही है लेकिन अंदरखाने हुई बातचीत की सुगबुगहाट किसी को नहीं हो पा रही है। सवाल ये कि गहलोत के करीबी सिपहसालार विधायकों से मिलकर पायलट उन्हें दिल्ली दरबार का संदेश दे रहें है या फिर उनको अपने खेमे में लाने का पायलट के पास अपना कोई प्लान है। खाचरियावास समेत कई विधायकों से मुलाकात कर पायलट दिल्ली लौट गए और जयपुर में सियासी सरगर्मी को हवा दे गए।

पायलट मंगलवार को दिल्ली लौटे और ठीक उसी दिन राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा से दो दिन का ब्रेक लेकर मैसूर में सोनिया गांधी से मुलाकात की। कयास ये भी लगाए जा रहे है कि कांग्रेस आलाकमान गहलोत से राजस्थान की कमान वापस लेना चाहता है। लेकिन चुनाव से ठीक एक साल पहले मुख्यमंत्री बदलना क्या सही कदम होगा, पंजाब चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ कांग्रेस ये कर चुकी है और नतीजा सबके सामने है, ऐसे में गहलोत सिर्फ पायलट के लिए ही नहीं कांग्रेस आलाकमान के लिए भी चुनौती बन गए है

कांग्रेस में 102 विधायकों के बागी सुर ने गहलोत की वफादारी पर सवाल खड़े कर दिए है ऐसे में पायलट पर कांग्रेस पूरा भरोसा जता रही है साल 2018 में राजस्थान में विधानसभा चुनाव हुए थे, जिसमें सचिन पायलट ने एक बड़ी अहम भूमिका थी. वे राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष थे और उन्होंने पार्टी को सत्ता में वापसी कराने में जी तोड़ मेहनत की थी. उस वक्त मुख्यमंत्री पद दावेदार पायलट तो डिप्टी सीएम पद से संतोष करना पड़ा था। लेकिन 2022 में हालात अलग है इस बार कांग्रेस में फूट साफ दिख रही है ऐसे में सचिन पायलट की राह आसान नहीं होगी।

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