केंद्र की राजनीति में सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी ने राम मंदिर फैसले के मद्देनजर अपने कार्यकर्ताओं को आगाह किया है. कार्यकर्ताओं से कहा गया है कि राम मंदिर पर फैसला आने से पहले या बाद में भी सोशल मीडिया पर मुखर न हों. न वाट्सएप पर मैसेज फॉरवर्ड करें और न ही मुखर होकर ट्वीट करें. भाजपा मुख्यालय की तरफ से राज्यों की आईटी सेल इकाई को भी इस तरह की हिदायत जारी की गई है कि फैसला आने पर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को रुख देखकर ही व कदम उठाएं.
भाजपा सूत्रों का कहना है कि मामला संवेदनशील है और इस मसले पर किसी भी तरह कानून-व्यवस्था को लेकर चुनौती खड़ी हुई तो फिर केंद्र और राज्य में पार्टी की ही सरकार होने के कारण जवाबदेही उसी की होगी. भाजपा मुख्यालय पर प्रवक्ताओं व सोशल मीडिया टीम से जुड़े प्रमुख लोगों की सोमवार को हुई बैठक में यह बात कही गई.
इस बैठक में पार्टी नेतृत्व के हवाले से कहा गया कि प्रवक्ता बयान देते समय संयम बरतें. कहा गया कि टीवी डिबेट में या सार्वजनिक रूप से प्रवक्ता ऐसी कोई बात न कहें, जिससे भावनाएं भड़कें.
बैठक में यह भी कहा गया कि अगर फैसला मंदिर के पक्ष में आता है, तब भी इसपर जश्न न मनाएं. इसे किसी की जीत-हार से न जोड़ें. इस मुद्दे पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बयान पर गौरकर ही कुछ बोलें. राष्ट्रीय महासचिव अनिल जैन, पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने यह बैठक ली.
राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट से 17 नवंबर से पहले फैसला आने की संभावना है. इसको लेकर भाजपा सजग है. सत्ताधारी पार्टी चाहती है कि मीडिया से और सार्वजनिक कार्यक्रमों में बोलते समय नेता व प्रवक्ता 'पार्टी लाइन' का पूरा ख्याल रखें. वजह यह कि फैसले की घड़ी नजदीक होने के कारण यह संवेदनशील समय चल रहा है.