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जानिए 'रामलला विराजमान' के बारे में जिन्हें दिया गया विवादित स्थल

[Edited By: Admin]

Saturday, 9th November , 2019 03:52 pm

अयोध्या मामले पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर बनाने का रास्ता साफ कर दिया है. कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को तीन महीने के अंदर एक ट्र्स्ट बनाने का आदेश भी दिया है. फैसले के तहत विवादित स्थल रामलला विराजमान (Ram Lalla Virajman) को दिया है. कोर्ट ने केंद्र को आदेश दिया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड (मुस्लिम पक्ष) को मस्जिद के लिए वैकल्पिक जमीन दी जाए. मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में कहीं भी 5 एकड़ जमीन आवंटित की जाएगी. वहीं, अदालत ने शिया वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा के दावे खारिज कर दिए हैं.

कौन हैं रामलला

सुप्रीम कोर्ट ने रामलला को ही उस विवादित जमीन का मालिक माना है. बता दें कि ये रामलला ना तो कोई संस्था है और ना ही कोई ट्रस्ट, यहां बात स्वयं भगवान राम के बाल स्वरुप की हो रही है. यानी सुप्रीम कोर्ट ने रामलला को लीगल इन्टिटी मानते हुए जमीन का मालिकाना हक उनको दिया है .

बताते चलें 22/23 दिसंबर 1949 की रात मस्जिद के भीतरी हिस्से में रामलला की मूर्तियां रखी गईं थी. 23 दिसंबर 1949 की सुबह बाबरी मस्जिद के मुख्य गुंबद के ठीक नीचे वाले कमरे में वही मूर्तियां प्रकट हुई थीं, जो कई दशकों या सदियों से राम चबूतरे पर विराजमान थीं और जिनके लिए वहीं की सीता रसोई या कौशल्या रसोई में भोग बनता था. राम चबूतरा और सीता रसोई निर्मोही अखाड़ा के नियंत्रण में थे और उसी अखाड़े के साधु-संन्यासी वहां पूजा-पाठ आदि विधान करते थे.

23 दिसंबर को पुलिस ने मस्जिद में मूर्तियां रखने का मुकदमा दर्ज किया था, जिसके आधार पर 29 दिसंबर 1949 को मस्जिद कुर्क कर उस पर ताला लगा दिया गया था. कोर्ट ने तत्कालीन नगरपालिका अध्यक्ष प्रिय दत्त राम को इमारत का रिसीवर नियुक्त किया था और उन्हें ही मूर्तियों की पूजा आदि की जिम्मेदारी दे दी थी.


1 जुलाई 1989 को कहा गया- राम इस संपत्ति के मालिक

1989 के आम चुनाव से पहले विश्व हिंदू परिषद के एक नेता और रिटायर्ड जज देवकी नंदन अग्रवाल ने 1 जुलाई को भगवान राम के मित्र के रूप में पांचवां दावा फैजाबाद की अदालत में दायर किया था. इस दावे में स्वीकार किया गया था कि 23 दिसंबर 1949 को राम चबूतरे की मूर्तियां मस्जिद के अंदर रखी गई थीं. इसके साथ ही यह स्पष्ट दावा किया गया कि जन्म स्थान और भगवान राम दोनों पूज्य हैं और वही इस संपत्ति के मालिक भी हैं.

बाबर का किया गया था उल्लेख

आपको बता दें कि इस मुकदमे में मुख्य तौर पर इस बात का उल्लेख किया गया था कि बाबर ने एक पुराना राम मंदिर तोड़कर वहां एक मस्जिद बनवाई थी . दावे के समर्थन में अनेक इतिहासकारों, सरकारी गजेटियर्स और पुरातात्विक साक्ष्यों का हवाला भी दिया गया था.

इसी मुकदमे में हुई थी विशाल मंदिर की बात

इसी मुकदमे में पहली बार कहा गया था कि राम जन्म भूमि न्यास इस स्थान पर एक विशाल मंदिर बनाना चाहता है. इस दावे में राम जन्म भूमि न्यास को भी प्रतिवादी बनाया गया था. अशोक सिंघल इस न्यास के मुख्य पदाधिकारी थे. इस तरह पहली बार विश्व हिंदू परिषद भी परोक्ष रूप से पक्षकार बना.

मुस्लिम पक्ष को मिलेगी 5 एकड़ जमीन

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा है कि विवादित जमीन पर रामलला का हक है. जबकि मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन किसी दूसरी जगह दी जाएगी. कोर्ट ने कहा कि केंद्र या राज्य सरकार अयोध्या में उचित स्थान पर मस्जिद बनाने को जमीन दे.

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