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कोरोना महामारी से उबरने का सहारा है कला, स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी टिप्स

[Edited By: Admin]

Wednesday, 10th June , 2020 05:21 pm

इस महामारी के दौरान अगर आप डर, तनाव और अकेलापन की परेशानियों से गुजर रहे हैं तो इस समय अपना कोई हुनर विकसित करें. अगर आप क्रियेटिव हैं तो खुद पर भरोसा रखें. कभी खुद पर संदेह नहीं करना चाहिये.

पांच साल से कम की उम्र तक हम सभी बेहतरीन कलाकार होते हैं. बाद में हम खुद पर संशय करना सीख जाते हैं. हालांकि लोगों के पास इस बात के भी अधिकार होने चाहिए कि वे अपने पेंसिल को फेंक दें और फिर कभी तस्वीर न बनाएं, वो अपनी मूर्ति बनाने, डांस करने, खाना बनाने या दूसरों को हंसाने में भी दिखा सकते हैं. यह सब भी अहम है और दिल को सुकून देता है. कोरोना महामारी के दौरान कलाकारी की बड़ी अहमियत है. इससे लोगों को महामारी से लड़ने में मदद मिलती है.

ख़बरों की ओवरडोज़ ना लें
आजकल टीवी और सोशल मीडिया पर चारों तरफ़ कोरोना वायरस से जुड़ी ख़बरें आ रही हैं. हर छोटी-बड़ी, सही-गलत ख़बर लोगों तक पहुंच रही है. डॉक्टर्स के मुताबिक़ इससे भी लोगों की परेशानी बढ़ गई है क्योंकि वो एक ही तरह की बातें सुन, देख व पढ़ रहे हैं और फिर सोच भी वही रहे हैं.

इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलाइड साइंसेज (इहबास) के निदेशक डॉक्टर निमेश जी. देसाई कहते हैं, “इसके लिए ज़रूरी है कि लोग उतनी ही ख़बरें देखें और पढ़ें जितना ज़रूरी है. उन्हें समझना होगा कि एक ही चीज़ बार-बार देखने से उनके दिमाग़ में वही चलता रहेगा. इसलिए दिनभर का एक समय तय करें और उसी वक़्त न्यूज़ चैनल देखें.”

डॉक्टर देसाई सलाह देते हैं कि इस वक़्त अपना ध्यान बंटाना ज़रूरी है. इसके लिए ख़ुद को दूसरे कामों में व्यस्त रखें. दोस्तों और परिजनों से बातचीत करते रहें या अपने मनपसंद काम में ध्यान लगाएं. कुछ लिखना भी इस दौरान सुकून दे सकता है.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी टिप्स

मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी इस संबंध में कुछ टिप्स बताए हैं.

मंत्रालय की वेबसाइट पर वीडियो के ज़रिए बताया गया कि तनाव से बचने के लिए स्टूडेंट्स और माता-पिता क्या करें -

दुनिया भर में कोरोना वायरस को लेकर जो स्थितियां हैं, उससे बच्चों के दिमाग़ में बहुत कुछ चल रहा है. एकदम से उनका रूटीन भी बदल गया है. स्कूल बंद है और बाहर खेल भी नहीं सकते.

  • ऐसे में उन्हें उनके बायलॉजिकल शेड्यूल के अनुसार चलने दें. ज़बरदस्ती उनके लिए नया शेड्यूल और काम तय ना करें. जैसे सुबह जल्दी उठो, योगा करो, ऑनलाइन क्लास लेकर कुछ नया सीख लो. उन्हें भी बदली हुई परिस्थितियों में एडजस्ट होने का समय दें.

Report By- Gaurav Shukla

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