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जन्मदिन विशेष: अपने ऊपर एनकाउंटर कराने के आरोपों और जज लोया केस को लेकर अमित शाह ने कही थी ये बड़ी बात

[Edited By: Admin]

Tuesday, 22nd October , 2019 01:33 pm

भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह का आज जन्मदिन है। शाह वर्तमान में देश के गृह मंत्री हैं. उनका राजनीतिक जीवन संघर्षों से भरा रहा है.  शाह के ऊपर तमाम आरोप  भी लग चुके हैं यहां जानिए उनके बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें ...


टीवी न्यूज चैनल आजतक पर एक इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा कि मुझ पर कभी भी भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगे, लेकिन फेक एनकाउंटर के आरोप लगे. हालांकि ये आरोप सही साबित नहीं हो पाए और मैं निर्दोष साबित हुआ. अगर वह निर्दोष हैं तो कोर्ट उन्हें छोड़ देगा.

सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस

बहुचर्चित सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस में सितंबर 2018 में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ था. सोहराबुद्दीन शेख के भाई नयाबुद्दीन शेख ने सीबीआई कोर्ट को बताया था कि CBI ने अपने आप ही तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह और गुजरात पुलिस ऑफिसर अभय चुडास्मा का नाम इस मामले में जोड़ा था. हालांकि, इस मामले में दोनों को बाद में बरी कर दिया गया था.

नयामुद्दीन ने हादसे के दिन का जिक्र करते हुए कोर्ट को बताया कि उसने अपने भाई और भाभी को बस स्टैंड पर छोड़ा था. वो दोनों हैदराबाद जा रहे थे. उन्होंने कहा कि सीबीआई ने इस केस में तुलसीराम का नाम भी जानबूझ कर प्लांट किया.

इसके अलावा उन्होंने अपने एक पुराने बयान पर सफाई दी. जो सीबीआई अफसर डीएस डागर ने लिया था. नयामुद्दीन ने कहा कि मैंने उस बयान में इस हिस्से को कभी बोला ही नहीं.

2010 के बयान में कहा गया था कि जब मैंने चुडास्मा को बताया कि हम अपनी याचिका वापस नहीं लेंगे, तब उन्होंने मुझे धमकाया और कहा कि मेरा हाल भी सोहराबुद्दीन जैसा ही होगा. मैं इस बारे में अमित भाई से बात करूंगा और ये मध्यप्रदेश में ही हो जाएगा. वहां पर भी उनकी ही सरकार है.

नयामुद्दीन ने कहा कि उसपर कभी भी बीजेपी की तरफ से दबाव नहीं बनाया गया था, मैंने कभी आज़म खान का नाम नहीं सुना था. डागर साहब पहली बार एक ऑटोरिक्शा पर मेरे गांव में जांच करने आए थे.

मैंने कभी नहीं कहा कि चूड़ास्मा ने उन्हें 50 लाख का ऑफर दिया और याचिका वापस लेने की बात कही थी. नयामुद्दीन ने बताया कि उसने बाद में पूछा कि आखिर क्यों उसके बयान से छेड़छाड़ की गई. नयामुद्दीन ने साफ कहा कि अमित शाह और चुडास्मा ने कभी भी उसे नहीं धमकाया.

सीबीआई कोर्ट के द्वारा नयामुद्दीन को सलाह दी गई है कि वह इस केस के बारे में मीडिया से बात ना करे. नयामुद्दीन के अलावा रुबादुद्दीन और डागर भी जल्द बयान दे सकते हैं.

2005 में हुआ था एनकाउंटर 

सोहराबुद्दीन शेख और उसकी पत्नी का नवंबर 2005 में एनकाउंटर हुआ था. इस मामले की जांच और सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गुजरात में इस केस की जांच को प्रभावित किया जा रहा था और केस को 2012 में मुंबई ट्रांसफर कर कहा था कि इस मामले की शुरू से अंत तक सुनवाई एक ही जज करेगा. हालांकि 2014 में ही जज जेटी उत्पत का ट्रांसफर कर दिया गया.

उत्पत के बाद इस केस में जज बृजगोपाल लोया को लाया गया. नियुक्ति के छह महीने बाद लोया की नागपुर में एक कार्यक्रम में मौत हो गई थी. जिसपर काफी विवाद हुआ था. हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में मीडिया रिपोर्टिंग पर लगे बैन को हटा दिया था. मीडिया की रिपोर्टिंग पर बैन निचली अदालत ने 29 नवंबर के अपने आदेश में लगाया था.

Sohrabuddin Amit Shah Judge Loya

गुजरात के सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस की सुनवाई कर रहे सीबीआई कोर्ट के जज बीएच लोया की मौत के मामले में अमित शाह ने अप्रैल 2018 में एक टीवी चैनल को इंटरव्यू दिया था. उन्होंने कहा था कि इस केस में पूरी तरह से बेबुनियाद आरोप लगाकर मुझे टारगेट किया गया. अब देश की सर्वोच्च अदालत ने फैसला दिया है, कांग्रेस उसे भी तो माने. क्या राहुल गांधी न्यायालय को कांग्रेस कार्यालय में ही बैठाना चाहते हैं? राजनीति की लड़ाई को जनता के बीच लड़ा जाए. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अपने फैसले में कहा था कि जज लोया की मौत प्राकृतिक थी और राजनीतिक साजिश के तहत जांच के लिए याचिकाएं लगाई गईं.

कांग्रेस न्यायपालिका का सम्मान करे


- अमित शाह ने रिपब्लिक चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा, ''जज लोया केस आधारहीन था. इसमें कुछ लोगों ने गंभीर आरोप लगाए. न्यायपालिका, सरकार और मुझ पर भी आरोप लगे. सुप्रीम कोर्ट ने 10 दिन तक इस मामले पर सुनवाई की. अब तीन जजों की बेंच ने यह फैसला दिया है. देश की जनता देख रही है. कांग्रेस किसी फैसले को तो मानेगी.''
- ''उन्होंने पहले गलत आरोप लगाकर एक आर्टिकल लिखवाया. फिर जज को बदलने का दवाब बनाया। कोर्ट ने सुनवाई के लिए बड़ी बेंच बनाई. अब उसके फैसले को नहीं मानते हैं तो क्या न्यायालय को कांग्रेस कार्यालय में ही बैठाना है क्या? न्यायपालिका के फैसले का सम्मान करना चाहिए. इसके लिए संविधान के तहत अपील करें.''

इशरत केस में भी मुझे टारगेट किया: शाह

- इशरत जहां केस पर अमित शाह ने कहा, ''इस केस में भी कानूनी तौर पर जांच के बाद ही फैसला सुनाया गया. मुझे क्लीन चिट मिली. राहुल गांधी से पूछा जाए कि कांग्रेस राजनीति की लड़ाई जनता के बीच और चुनाव में क्यों नहीं लड़ती. मैं उनसे कहता हूं कि जनता के बीच लड़ाई लड़ें. इसमें नेता और पार्टियां अपनी बात रखती हैं और बाद में वही जनता चुनाव हराती या जीताती है. इन केसों में मुझे सीधे तौर पर टारगेट किया गया.''

सीजेआई समेत 3 जजों की बेंच ने दिया फैसला

- 19 अप्रैल को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने जज लोया की मौत को प्राकृतिक करार दिया. एसआईटी से जांच की मांग कराने के लिए दायर सभी याचिकाएं खारिज कर दीं.

- सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा था कि जज की मौत पर सवाल उठाए गए, लेकिन दस्तावेजों को देखने के बाद इनमें कोई गड़बड़ी सामने नहीं आई. याचिकाएं दायर करने के पीछे राजनीतिक कारण हो सकते हैं. (जज लोया की मौत पर राजनीति से प्रेरित होकर सवाल उठे थे: सुप्रीम कोर्ट)

जज लोया की मौत की जांच नहीं कराई गई

  • कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने फैसले पर कहा था, ''आज भारत के इतिहास का सबसे दुखद दिन है. जिन संदिग्ध हालात में जज लोया की मौत हुई. यह न्याय व्यवस्था में भरोसा रखने वाले नागरिकों के लिए परेशान करने वाली बात है. अब तक फैसले की कॉपी तक मुहैया नहीं कराई गई. इससे गंभीर सवाल खड़े होते हैं.''
    - सुरजेवाला ने कहा कि अपराध से जुड़े किसी भी मामले में पहले जांच कराई जाती है. लेकिन सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस की सुनवाई कर रहे जज की मौत के मामले में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.

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