इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बुधवार को उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती के कटऑफ अंक विवाद पर न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल व न्यायमूर्ति करुणेश सिंह पवार की अध्यक्षता वाली बेंच ने सरकार द्वारा तय किए गए मानकों पर अपनी मुहर लगाई है।
सूबे के परिषदीय विद्यालयों में 69 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए 5 दिसंबर 2018 को शासनादेश जारी कर ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू की गई थी। छह दिसंबर से 20 दिसंबर तक ऑनलाइन आवेदन लिए गए। इसके बाद छह जनवरी 2019 को राज्य के 800 परीक्षा केंद्रों पर चार लाख परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी।
भर्ती विज्ञापन में न्यूनतम कटऑफ अंक की बात तो की गई थी, लेकिन कटऑफ कितने प्रतिशत होगा, इसका जिक्र शासनादेश में नहीं किया गया था। लिखित परीक्षा के अगले दिन सात दिसंबर 2019 को न्यूनतम कटऑफ की घोषणा की गई। इसके तहत सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को 65 फीसदी और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को 60 फीसदी लाने होंगे। इसी कटऑफ को लेकर परीक्षार्थियों ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर की थी। जिसकी सुनवाई के बाद 3 मार्च 2020 को फैसला सुरक्षित रख लिया गया था।
अभ्यर्थियों की यह मांग थी - सितंबर 2018 में 68,500 शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में सामान्य व ओबीसी वर्ग के लिए 45 और आरक्षित वर्ग के लिए 40 फीसदी कटऑफ अंक तय हुआ था। अभ्यर्थियों का एक वर्ग पुराने कटऑफ अंक लागू करने की मांग कर रहा था तो वहीं कई अभ्यर्थी शासन की ओर से जारी कटऑफ अंक के पक्ष में थे।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बुधवार को उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती के कटऑफ अंक विवाद पर अपना अहम फैसला सुनाया है। न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल व न्यायमूर्ति करुणेश सिंह पवार की अध्यक्षता वाली बेंच ने सरकार द्वारा तय किए गए मानकों पर अपनी मुहर लगाई है। बेंच ने तीन माह के भीतर भर्ती प्रक्रिया पूर्ण करने का आदेश दिया है। यह भर्ती प्रक्रिया बीते डेढ़ साल से अटकी थी। प्रदेश के करीब 4 लाख से ज्यादा अभ्यर्थी निर्णय का इंतजार कर रहे थे।