[Edited By: Admin]
Monday, 7th October , 2019 06:56 pm‘द इमॉर्टल्स ऑफ मेलुहा’ उपन्यास की 30 लाख प्रतियों के बिकने के बाद लेखक अमीश त्रिपाठी ने साहित्य की दुनिया में खलबली मचा दी थी. इसके नौ साल बाद भी उनकी सफलताओं का सिलसिला थमा नहीं. उन्होंने ‘द सीक्रेट ऑफ द नागाज’, ‘द ओथ ऑफ द वायुपुत्राज’, ‘राम: सायन ऑफ इक्ष्वाकु’, ‘सीता: वॉरियर ऑफ मिथिला’ और ‘रावण: एनेमी ऑफ आर्यावर्त’ जैसे उपन्यास लिखे हैं. ‘इमॉर्टल इंडिया’ उनकी एकमात्र ‘नॉन फिक्शन’ (कथेतर साहित्य) रचना है. पिछले दिनों उन्हें लंदन स्थित भारतीय हाई कमीशन के सांस्कृतिक केंद्र ‘नेहरू सेंटर’ का निदेशक बनाया गया.
मैं यही कहूंगा कि बिना पढ़े अच्छा लेखक नहीं बना जा सकता. इसलिए अगर आप एक अच्छा लेखक बनना चाहते हैं तो पहले अच्छे पाठक बनें. तभी पाठकों की नब्ज पकड़ सकेंगे.
अमीश ने एक नेशनल टीवी चैनल के कार्यक्रम में कहा कि -
रामायण, महाभारत को लेकर जो हमारी यादें हैं वो पढ़कर कम बल्कि टीवी धारावाहिकों पर ज्यादा आधारित हैं. उन्होंने कहा कि वाल्मिकी रामायण में 'लक्ष्मण रेखा' का जिक्र ही नहीं है वो रामचरित मानस में है, वो भी सीताहरण के वक्त का नहीं है. लेकिन सभी को टीवी की बदौलत लक्ष्मण रेखा का सीन याद है, इसके लिए भी धारावाहिकों का आभार जताना चाहिए.
रामायण के अलग-अलग संस्करणों का जिक्र करते हुए अमीश ने कहा कि रामायण में रावण का वध राम ने किया, सीता ने भी किया और जैन रामायण में तो लक्ष्मण ने भी किया, क्योंकि श्री राम अंहिसावादी थे और वो हिंसा नहीं कर सकते थे. उन्होंने कहा कि इसमें सच क्या है इसका दावा कोई नहीं कर सकता, क्योंकि सच सिर्फ भगवान को मालूम है, हम सिर्फ अपना सत्य जानते हैं.
रामायण के अलग-अलग किरदारों पर बात करते हुए अमीश ने कहा कि शूर्पणखा बहुत सुंदर थी भले ही वो राक्षसी हो. उन्होंने कहा कि उसका चित्रण ऐसा किया गया है लेकिन असलियत में वो काफी फैशनेबल महिला थी. उसका नाम ही उसके नाखूनों की सुंदरता का वर्णन करने के लिए काफी हैं. अमीश ने कहा कि रावण, विभीषण और शूर्पणखा ब्राह्मण ऋषि की संतान थे. उन्होंने बताया कि अगर आप रावण जितने काबिल हो तो विनम्र रहना चाहिए, वर्ना हश्र रावण जैसा ही होगा.
पुष्पक विमान पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि उसके वैज्ञानिक सबूत का दावा तो आज नहीं किया जा सकता लेकिन उस दौर में विज्ञान भी काफी विकसित थी, इससे इनकार करना मुश्किल है. अमीश ने कहा कि हमारे पूर्वजों को पास ज्ञान का भंडार था लेकिन हम इतने बेवकूफ हैं कि हमने उसे पढ़ना तो दूर उसका अनुवाद तक नहीं किया है.