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वित्तीय वर्षों में विलय या बंद होने से SBI की 2568 बैंक शाखाएं हुईं प्रभावित, RTI से हुए कई और खुलासे

[Edited By: Admin]

Monday, 4th November , 2019 07:04 pm

सूचना के अधिकार के तहत बैंकों के विलय और शाखा बंदी को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. मध्यप्रदेश के नीमच निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट चंद्रशेखर गौड़ ने सूचना के अधिकार से पूछा था कि पिछले पांच सालों में कितने सरकारी बैंक बंद किए गए हैं. आरीबीआई ने जवाब देते हुए उन्हें बताया कि बीते पांच वित्तीय वर्षों में विलय-शाखाबंदी की प्रक्रिया से सार्वजनिक क्षेत्र के 26 सरकारी बैंकों की कुल 3,427 बैंक शाखाओं का मूल अस्तित्व प्रभावित हुआ है. इनमें से 75 प्रतिशत शाखाएं देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की प्रभावित हुई हैं. आलोच्य अवधि के दौरान SBI में इसके पांच सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक का विलय हुआ है.

यह जानकारी आरटीआई के जरिए ऐसे समय सामने आई है, जब देश के 10 सरकारी बैंकों को मिलाकर इन्हें चार बड़े बैंकों में तब्दील करने की सरकार की नई योजना पर काम शुरू हो चुका है. देश के 26 सरकारी बैंकों की वित्तीय वर्ष 2014-15 में 90 शाखाएं, 2015-16 में 126 शाखाएं, 2016-17 में 253 शाखाएं, 2017-18 में 2,083 बैंक शाखाएं और 2018-19 में 875 शाखाएं या तो बंद कर दी गईं या इन्हें दूसरी बैंक शाखाओं में मर्ज कर दिया गया. RTI अर्जी पर मिले जवाब के अनुसार, बीते पांच वित्तीय वर्षों में विलय या बंद होने से SBI की सर्वाधिक 2,568 बैंक शाखाएं प्रभावित हुईं.

आरटीआी कार्यकर्ता ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से सरकारी बैंकों की शाखाओं को बंद किए जाने का सबब भी जानना चाहा था. लेकिन उन्हें उचित जवाब नहीं मिला है. इस प्रश्न पर केंद्रीय बैंक ने आरटीआई कानून के सम्बद्ध प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि मांगी गई जानकारी एक सूचना नहीं, बल्कि एक राय है.

RBI ने बताया कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के साथ भारतीय महिला बैंक, स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला और स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर का विलय एक अप्रैल 2017 से प्रभावी हुआ था. इसके अलावा, बैंक ऑफ बड़ौदा में विजया बैंक और देना बैंक का विलय एक अप्रैल 2019 से अमल में आया.

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