राणा सांगा को ‘गद्दार’ कहने वाले समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन पूरी तरह से विवादों मे घिर चुके है, राणा सांगा पर दिए विवादित बयान को लेकर देश की सियासत गरमा गई है। जिसको लेकर कई बड़े नेता अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे है इस बीच सपा सांसद रामजी लाल सुमन ने अपने बयान पर कहा कि वह इसके लिए माफी नहीं मांगेंगे, क्योंकि इतिहास को ‘नकारा’ नहीं जा सकता। हालांकि उन्होने सभापति अपनी सुरक्षा बढ़ने की मांग की है।
बता दें सपा सांसद रामजी लाल सुमन के आगरा स्थित घर पर बुधवार को करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने हमला कर दिया था। गुस्साए लोग अपने साथ बुलडोजर लेकर पहुंचे थे। वहां जमकर तोड़फोड़ और पथराव कर किया। तोड़फोड़ और पथराव के बीच पुलिस ने मोर्चा संभाला तो कई पुलिसकर्मी भी घायल हो गए थे। घर हमला होने के बाद रामजी लाल सुमन एक इंटरव्यू में कहा कि उनके घर पर उनके परिवार को नुकसान पहुंचाने के इरादे से हमला किया गया। सपा नेता ने कहा कि उन्होंने इस घटना के बारे में राज्यसभा के सभापति को भी सूचित कर दिया है।
सपा सांसद का हाल ही में एक वीडियो सामने आया था, कि बीजेपी वालों का तकिया कलाम हो गया है कि मुसलमानों में बाबर का डीएनए है। सवाल उठाते हए बोले कि, फिर हिंदुओं में किसका डीएनए है? प्रश्न उठाया कि बाबर को कौन लाया ? खुद ही उत्तर देते हुए बोला था कि इब्राहिम लोदी को हराने के लिए राणा सांगा ही बाबर को भारत में लाए थे। इस तरह उन्होंने कहा कि अगर मुसलमान बाबर की औलाद हैं तो तुम भी हिंदू गद्दार राणा सांगा की औलाद हुए? फिर बोले कि देश में यह भी तय हो जाना चाहिए कि बाबर की आलोचना करते हैं तो फिर राणा सांगा की क्यो नहीं। सांसद ने कहा कि, हिंदुस्तान का मुसलमान बाबर को अपना आदर्श नहीं मानता है वह मोहम्मद साहब और सूफी परंपरा को आदर्श मानता है।
सपा सांसद रामजी लाल सुमन ने अपने बयान पर कहा कि वह इसके लिए माफी नहीं मांगेंगे, क्योंकि इतिहास को ‘नकारा’ नहीं जा सकता। सुमन ने कहा, ‘‘उन्हें सच को स्वीकार करना सीखना होगा। बाबर को राणा सांगा ने ही इब्राहिम लोदी को हराने के लिए आमंत्रित किया था। उन्हें यह गलतफहमी थी कि बाबर एक लुटेरा है और वह वापस चला जाएगा तथा हम शासन करेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह समझौता हुआ था कि राणा सांगा आगरा पर हमला करेंगे। जब उनका समझौता टूट गया, तो फतेहपुर सीकरी में उनका युद्ध हुआ, राणा सांगा ने बहादुरी से लड़ाई लड़ी, लेकिन हार गए। यह इतिहास है, इसे कौन नकार सकता है?
सपा नेता रामगोपाल और डिंपल यादव ने दी प्रतिक्रिया
समाजवादी पार्टी सांसद रामजी लाल सुमन के आवास पर तोड़फोड़ को लेकर समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव कहा, “ये हमला पूर्व नियोजित तो था ही, बड़े आला अधिकारियों की जानकारी में भी था। प्रशासन को जो सख्ती करनी चाहिए थी वो नहीं की गई… संसद में उन्होंने जो कहा वो संसद में निपटना चाहिए, लेकिन किसी के घर और परिवार पर हमला हुआ। इसके लिए यहां का प्रशासन पूरी तरह जिम्मेदार है। सपा सांसद डिंपल यादव ने सपा सांसद रामजी लाल सुमन के आवास के बाहर तोड़फोड़ और पथराव पर कहा, “… यह जो हमला हुआ है हम उसकी निंदा करते हैं… वे(रामजी लाल सुमन) एक दलित नेता हैं… अगर सरकार की मंशा साफ है, तो इन सभी करणी सेना के अपराधियों को जेल भेजा जाए।
अखिलेश यादव ने दी मामले पर प्रतिक्रिया
उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘हमारा उद्देश्य किसी इतिहास पुरुष का अपमान करना नहीं हो सकता। भाजपा ने इतिहास के कुछ विषयों को सदैव राजनीतिक लाभ और देश को धार्मिक-जातिगत आधार पर विभाजित करने के लिए इस्तेमाल किया है। हमारे राज्यसभा सदस्य ने सिर्फ एक पक्षीय लिखे गए इतिहास और व्याख्या का उदाहरण देने की कोशिश की है। हमारा कोई भी प्रयास राजपूत समाज या किसी अन्य समाज का अपमान करना नहीं है। आज के समय में बीते कल की, मतलब इतिहास की घटनाओं की व्याख्या नहीं की जा सकती। राज काज के निर्णय अपने समय की परिस्थितियों की मांग के हिसाब से लिए जाते थे। भाजपा सरकार को अपनी भेदकारी आदत को सुधार कर जनता के रोजी-रोजगार, स्वास्थ्य और सुरक्षा पर कुछ ध्यान देना चाहिए।’
अखिलेश यादव ने रामजी लाल सुमन के आवास पर हुए हगामे को लेकर मुख्यमंत्री योगी पर निशाना भी साधा था उन्होंने एक्स पर लिखा, आगरा में मुख्यमंत्री जी के उपस्थित रहते हुए भी, पीडीए के एक सांसद के घर पर तोड़फोड़ की हिंसक वारदात जब रोकी नहीं जा सकती, तो फिर जीरो टालरेंस तो जीरो होना ही है। क्या मुख्यमंत्री जी का प्रभाव क्षेत्र दिन पर दिन घट रहा है या फिर ‘आउटगोइंग सीएम’ की अब कोई सुन नहीं रहा है। अगर वो अभी भी मुख्यमंत्री हैं तो तुंरत कार्रवाई करें और दोषियों को एआइ से पहचानकर दंडित करें, नहीं तो मान लिया जाएगा कि पीडीए सांसद के खिलाफ ये सब उनकी अनुमति से हुआ है।
बता दें सपा सांसद के घर पर करणी सेना के कई कार्यकार्ताओं ने हमला किया था, जिस समय ये हंगामा हुआ, उस वक्त करीब पांस सौ से अधिक करणी सेना के कार्यकर्ताओं थे, वहीं मौके पर पुलिस टीम भी मौजूद थी। करणी सेना के प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस ने कई इंतजाम किए, पुलिस और करणी सेना के बीच भिड़ंत भी हुई लेकिन पुलिस उन्हें काबू करने मे नाकाम रही। इसके बाद भी मामला नहीं संभला तो कई थानों की पुलिस फोर्स मौके पर बुलाई गई। पुलिस को बैरिकेडिंग करके करणी सेना के गुसाई लोगों को रोकना पड़ा। गुस्साए लोग जय श्री राम का नारा लगा रहे थे। इनका रास्ता रोकने की कोशिश की गई तो एक्सप्रेसवे से शहर के अंदर घुस गए। इसके बाद पुलिस ने उस सोसाईटी का गेट बंद करवा दिया जहां पर सांसद का आवास है, इस घटना के बाद से ही देश की सियासत में गरमा गई है।