महाकुंभ ने आज 40वां दिन है, अभी तक लगभग 57 करोड़ श्रद्धालु संगम मे आस्था की डुबकी लगा चुके है, देशभर के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालुओं संगत के तट गंगा, जमुना, सरस्वती, माता के जल से अपने आप को पवित्र कर रहे हैं। अब वे श्रद्धालु आरहे है जिन्होने अभी तक स्नान नही किया है। सीएम योगी ने गुरुवार को महाकुंभ से जुड़े अफसरों के साथ मीटिंग की। कहा- बड़ी संख्या में श्रद्धालु संगम आ रहे हैं। व्यवस्था में चूक की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। ऐसी व्यवस्था बनाएं कि श्रद्धालुओं को कम से कम पैदल चलना पड़े।
सीएम योगी ने गुरुवार को महाकुंभ सहित सभी 76 जिलों के अफसरों के साथ मीटिंग की। आगामी दिनों में होली, शब-ए-बारात, रमजान, चैत्र नवरात्रि, राम नवमी आदि त्योहारों को लेकर गुरुवार को सभी जिलों के अफसरों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से मीटिंग की।
माना जा रहा था कि महाकुंभ मे शाही स्नानों के बाद मेला क्षेत्र मे लोगो की कम भीड़ देखने को मिलेगी लेकिन ये अंदाजा भी गलत निकला, संगम मे चारों तरफ श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिल रही है सड़क, आने-जाने वाली सभी गलियां भर चुकी है मेले मे किसी वाहन की एंट्री नही है जिस वाहन के पास है फिर भी उन्हे अंदर जाने की अनुमती नही है।
12 साल मे 1 बार लगने वाले इस महाकुंभ मे बढ़-चढ़कर हिस्सी ले रहे है, अधिकारिक आंकड़ो के मुताबिक अनुमान लगाया लगा था कि 144 वर्ष बाद लगे इस पूर्ण महाकुंभ मे 45 करोड़ श्रद्धालु संगम मे आस्था की डुबकी लगाएंगे, लेकिन ये आंकड़ा तो कब का टूट चुका है, अब तक लगभग 57 करोड़ श्रद्धालु संगम मे स्नान कर चुके है,
प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर पावन डुबकी लगाने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।
इतनी भीड़ क्यो क्या है कारण?
महाकुंभ मेला पर हर बारहवें वर्ष में प्रयागराज – गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर, हरिद्वार – गंगा नदी के तट पर, उज्जैन – क्षिप्रा नदी के तट पर, नासिक – गोदावरी नदी के तट पर आयोजित होता है। प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में से किसी एक स्थान पर एकत्र होते हैं और नदी में पवित्र स्नान करते हैं। हर स्थान पर मेले का आयोजन एक विशेष खगोलीय स्थिति के आधार पर किया जाता है। यह मेला हिंदू धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है और इसे मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है। प्रत्येक 12वें वर्ष के अतिरिक्त प्रयाग में दो कुम्भ पर्वों के बीच छह वर्ष के अन्तराल में अर्धकुम्भ भी होता है। 2013 के कुंभ के बाद 2019 में प्रयाग में अर्धकुम्भ मेले का आयोजन हुआ था।